Saturday, August 23, 2025
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श्री हनुमान चालीसा हिंदी में PDF – Hanuman Chalisa Hindi Mein PDF 2025

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श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) का अपना एक विशेष महत्व है। यह चालीसा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है और इसमें भगवान हनुमान जी के महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया है। हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और साहस के प्रतीक माना जाता है। उनकी भक्ति से न केवल संकटों का निवारण होता है बल्कि आत्मिक बल और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। आप हमारी वेबसाइट में संकट मोचन हनुमान अष्टक | हनुमान बाहुक और दुर्गा आरती भी पढ़ सकते हैं।

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) के पाठ से जीवन में अद्भुत परिवर्तन आ सकते हैं। यह चालीसा 40 चौपाइयों का एक संग्रह है, जिसमें हनुमान जी के जन्म, उनकी अद्भुत शक्तियों, भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति, और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों का वर्णन किया गया है। यहां से आप बजरंग बाण भी पढ़ सकते हैं| हनुमान चालीसा पढ़ने के 21 चमत्कारिक फायदे

हनुमान जी की आराधना से सभी प्रकार के भय, संकट, और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह चालीसा न केवल संकटों का निवारण करती है, बल्कि जीवन में साहस, आत्मविश्वास और विजय की प्राप्ति भी कराती है। हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक बल और आध्यात्मिक संतोष की प्राप्ति होती है। हनुमान जी के आशीर्वाद से सभी बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्री नारायण कवच | वीर हनुमाना अति बलवाना भजन लिरिक्स | Shri Sai Chalisa Lyrics PDF | Hanuman Chalisa MP3 Download


  • हिंदी / अवधि 
  • English

॥Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi ||
|| हनुमान चालीसा लिखित में ||

Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi PDF – श्री हनुमान चालीसा

॥Hanuman Chalisa in Hindi Pdf॥
Hanuman चालीसा इन हिंदी PDF
(हनुमान चालीसा पाठ)

॥ दोहा॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥

॥ हनुमान चालीसा चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

शंकर सुवन केसरीनन्दन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै  हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०॥

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥


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|| Hanuman Chalisa in English PDF ||

Hanuman Chalisa pdf | Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi

॥ Doha:॥

Shri guru charan saroj raj
Nij manu mukur sudhaari ॥
Baranau Raghubar bimal jasu
Jo dayaku phal chaari ॥

Buddhiheen tanu jaanike
Sumirau pavan-kumaar ॥
Bal buddhi vidya dehu mohi
Harahu kales bikar ॥

॥ Chaupai॥

Jay Hanuman gyan gun sagar
Jay Kapis tihu lok ujaagar ॥

Ram doot atulit bal dhaama
Anjani putra Pavan sut naama ॥

Mahaabir bikram Bajarangi
Kumati nivaar sumati ke sangi ॥

Kanchan baran biraj subesa
Kanan kundal kunchit kesa ॥

Haath bajra aur dhvaja biraajai
Kaandhe moonj janeu saajai ॥

Shankar suvan Kesari Nandan
Tej pratap mahaa jag vandan ॥

Vidyavaan guni ati chaatur
Ram kaj karibe ko aatur ॥

Prabhu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man basiya ॥

Sukshma roop dhari siyahi dikhava,
Bikat roop dhari lanka jarava ॥

Bheem roop dhari asur samhare,
Ramachandra ke kaj samvare ॥

Laayi sajeevan Lakhan jiyaaye,
Shri Raghubir harashi ur laaye ॥

Raghupati keenhi bahut badai,
Tum mam priya Bharatahi sam bhai ॥

Sahas badan tumharo jas gaave,
Asa kahi Shripati kanth lagaave ॥

Sanakadik brahmaadi munisa,
Narad saarad sahit ahisa ॥

Yam Kubera digpala jahaan te,
Kavi kobid kahi sake kahaan te ॥

Tum upakara Sugreevahin keenha,
Ram milaayi raaj pad deenha ॥

Tumharo mantra Bibheeshana maana,
Lankeshwar bhaaye sab jag jaana ॥

Jug sahastra jojan par bhaanu,
Lielyo taahi madhur phal jaanu ॥

Prabhu mudrika meli mukh maahi,
Jaladhi laanghi gaye achraj naahi ॥

Durgam kaaj jagat ke jete,
Sugam anugrah tumhare tete ॥

Ram duare tum rakhware,
Hot na aajnya binu paisare ॥

Sab sukh lahai tumhari sarna,
Tum rakshak kaahu ko darna ॥

Aapan tej samhaaro aapai,
Teenon lok haank te kaapai ॥

Bhoot pishaach nikat nahin aavai,
Mahaveer jab naam sunaavai ॥

Nasai roga harai sab peera,
Japat nirantra Hanumat beera ॥

Sankat tai Hanuman chhudaavai,
Man kram bachan dhyaan jo laavai ॥

Sab par Ram tapasvi raja,
Tinke kaaj sakal tum sajaa ॥

Aur manorath jo koi laavai,
Soi amit jeevan phal paavai ॥

Charon jug paratap tumhaara,
Hai par siddh jagat ujiyaara ॥

Sadhu sant ke tum rakhavaare,
Asur nikandan Ram dulaare ॥

Asht siddhi nau nidhi ke daata,
Asa bar deen Janaki maata ॥

Ram rasaayan tumhare paasaa,
Sada raho Raghupati ke daasaa ॥

Tumhare bhajan Ram ko paavai,
Janam janam ke dukh bisaraavai ॥

Antakaal Raghuvir pur jaai,
Jahaan janma Haribhakta kahaai ॥

Aur devata chitta naa dharai,
Hanumat sei sarva sukh karai ॥

Sankat katai mitai sab peera,
Jo sumirai Hanumat balbeera ॥

Jai jai jai Hanuman Gosai,
Kripa karahu Gurudeva ki naai ॥

Jo sat baar paath kar koi,
Chhutahi bandi maha sukh hoi ॥

Jo yah padhai Hanuman chalisa,
Hoi siddhi sakhi Gaurisa ॥

Tulsidas sada Hari chera,
Keejai naath hrdaya mah dera ॥

॥ Doha॥
Pavan tanay sankat haran,
Mangal moorti roop ॥
Ram Lakhan Sita sahit,
Hriday basahu sur bhoop ॥



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  • डर और दुश्मनों से बचाव: हनुमान जी की कृपा से भूत-प्रेत, बुरी नजर, नकारात्मकता और हर तरह के डर से रक्षा होती है। मन को सुरक्षा का एहसास मिलता है।
  • हौसला और मजबूती बढ़े: परीक्षा हो, नौकरी का इंटरव्यू हो, कोर्ट-कचहरी का मुकदमा हो या कोई और मुश्किल घड़ी – हनुमान चालीसा पढ़ने से अंदर से हिम्मत और आत्मविश्वास बढ़ता है। डर कम होता है और सामना करने की ताकत मिलती है।
  • दिमाग को शांति मिले: रोजाना पाठ करने से मन की उधेड़बुन, तनाव, चिंता और गुस्सा कम होता है। दिलो-दिमाग को एक अजीब सी शांति और स्थिरता मिलती है।
  • सेहत में सुधार: माना जाता है कि नियमित पाठ से शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत (इम्युनिटी) बढ़ती है। मन शांत रहने से शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होने में मदद मिलती है।
  • भगवान की कृपा बरसे: हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं और शिवजी के अवतार भी माने जाते हैं। उनकी चालीसा का पाठ करने से तीनों – भगवान राम, शिवजी और हनुमान जी – की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कहते हैं न भाई, “बजरंगबली की कृपा हो, तो क्या काम मुश्किल हो सकता है?” नियमित और श्रद्धा से पाठ करिए, फायदा जरूर मिलेगा। जय बजरंगबली!

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) का पाठ हनुमान जी को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है। इसे पढ़ने से पहले श्रद्धालु को शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने के बाद एक शांत और साफ स्थान पर बैठें। हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं और ध्यान केंद्रित करें। मन में पूरी श्रद्धा और विश्वास रखते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य के लिए हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं।

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) का पाठ करते समय हर श्लोक को सही उच्चारण के साथ पढ़ें। इसे तीन, सात, या 108 बार तक पढ़ा जा सकता है, खासकर मंगलवार और शनिवार को। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के विशेष दिन माने जाते हैं और इन दिनों में पाठ करना अधिक प्रभावकारी होता है। पाठ के दौरान ध्यान रखें कि मन शांत और एकाग्र हो, और आपकी भावनाएं सच्ची हों, ताकि हनुमान जी की कृपा आप पर बनी रहे।

पाठ के बाद हनुमान जी को तुलसी के पत्तों का भोग अर्पित करें और हनुमान जी की आरती करें। इसके साथ ही प्रसाद का वितरण करें। हनुमान जी की पूजा में मिष्ठान्न का विशेष महत्व होता है, और अगर संभव हो तो लड्डू का भोग चढ़ाएं। आरती के बाद पुनः हनुमान जी से अपनी प्रार्थना करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मबल, और साहस की प्राप्ति होती है। इससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, और सभी प्रकार के भय, रोग, और शत्रुता का नाश होता है। यदि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से हनुमान जी की आराधना की जाए, तो वे शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।


श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।

अर्थ – श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से
अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके
श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं,
जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।

अर्थ – हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं।
आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है।
मुझे शारीरिक बल, बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए
और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥
अर्थ –
 श्री हनुमान जी! आपकी जय हो।
आपका ज्ञान और गुण अथाह है।
हे कपीश्वर! आपकी जय हो!
तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।

राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
अर्थ –
 हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं हैं।

महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
अर्थ –
 हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले हैं।
आप खराब बुद्धि को दूर करते हैं,
और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक हैं।

कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
अर्थ –
 आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल
और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।

हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
अर्थ –
 आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है
और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
अर्थ-
 शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम
और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।

विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥
अर्थ-
 आप प्रकान्ड विद्या निधान हैं, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर
श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते हैं।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
अर्थ –
 आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते हैं।
श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते हैं।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
अर्थ –
 आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया
और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।

भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
अर्थ –
 आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा
और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।

लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
अर्थ –
 आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया
जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
अर्थ –
 श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की
और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥
अर्थ –
 श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया
कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥
अर्थ –
 श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी,
सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते हैं।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥
अर्थ –
 यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित
या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
अर्थ –
 आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥
अर्थ –
 आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया
जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥
अर्थ –
 जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे।
दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
अर्थ –
 आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया,
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
अर्थ –
 संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो,
वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।

राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥
अर्थ –
 श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले हैं,
जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता
अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
अर्थ –
 जो भी आपकी शरण में आते हैं, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है,
और जब आप रक्षक हैं, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥
अर्थ –
 आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता,
आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥
अर्थ –
 जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है,
वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।

नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
अर्थ –
 वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से
सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है।

संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥
अर्थ –
 हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में,
जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते हैं।

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
अर्थ –
 तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं,
उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
अर्थ-
 तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं,
उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।

और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥
अर्थ-
 जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें
तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥
अर्थ-
 चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है,
जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।

साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥
अर्थ –
 हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है
और दुष्टों का नाश करते है।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥31॥
अर्थ –
 आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है,
जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।

अणिमा – जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
महिमा – जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
गरिमा – जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
लघिमा – जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
प्राप्ति – जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
प्राकाम्य – जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
ईशित्व – जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
वशित्व – जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।

राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥
अर्थ –
 आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं,
जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥
अर्थ –
 आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं
और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं।

अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥
अर्थ –
 अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं
और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।

और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥
अर्थ –
 हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं,
फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
अर्थ –
 हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है,
उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती हैं।

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥
अर्थ –
 हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो,
जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।

जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥
अर्थ –
 जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा
वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥
अर्थ –
 भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी हैं,
जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।

तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥
अर्थ –
 हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।
इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥
अर्थ –
 हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं।
हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।


श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) को विवाह संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रभावी उपाय माना जाता है। हनुमान जी को भक्ति, शक्ति, और समर्पण का प्रतीक माना जाता है, और उनकी उपासना से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हनुमान चालीसा का पाठ विशेषकर उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है जो विवाह में आ रही बाधाओं, वैवाहिक जीवन में कलह, या दांपत्य जीवन की अन्य समस्याओं से जूझ रहे होते हैं।

विवाह में बाधाओं को दूर करने के लिए:
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकता है। अगर किसी का विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह में देरी हो रही है, तो हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इसके साथ ही, मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा करने से भी विवाह में आ रही कठिनाइयों का निवारण होता है।

वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि:
विवाह हो जाने के बाद भी कई बार दंपत्ति के बीच आपसी समझ, सामंजस्य, और प्रेम में कमी आ जाती है, जिसके कारण वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हनुमान चालीसा का पाठ इन समस्याओं के समाधान के लिए भी बहुत प्रभावी होता है। जो भी दंपत्ति अपने वैवाहिक जीवन में शांति और सुख चाहते हैं, उन्हें प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आपसी संबंधों में मधुरता आती है।

दांपत्य जीवन में कलह का निवारण:
कई बार वैवाहिक जीवन में कलह और विवाद उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे दांपत्य जीवन कष्टदायी हो जाता है। ऐसी स्थिति में, हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से पति-पत्नी के बीच के तनाव और विवाद दूर होते हैं। यह पाठ न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है बल्कि जीवन में स्थिरता और संतुलन भी लाता है।

नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा:
हनुमान चालीसा का पाठ नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है। अगर किसी के विवाह या वैवाहिक जीवन पर किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा या बुरी दृष्टि का प्रभाव हो रहा हो, तो हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से इन सब से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी की कृपा से जीवन में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

अन्य लाभ:
हनुमान चालीसा का पाठ न केवल वैवाहिक समस्याओं का समाधान करता है, बल्कि यह जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सफलता दिलाने वाला माना गया है। यह पाठ आत्मविश्वास को बढ़ाता है, मानसिक शांति देता है, और जीवन में आने वाली हर तरह की समस्याओं से निपटने की शक्ति प्रदान करता है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष समय या दिन की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन इसका विशेष महत्व है। हनुमान जी के भक्तों को चाहिए कि वे पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करें, जिससे उन्हें हनुमान जी की कृपा प्राप्त हो और उनके जीवन की सभी समस्याएं दूर हों।


श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) को सिद्ध करने के लिए इन अद्यतन चरणों का पालन करें:

  • पवित्रता और शुद्धता: हनुमान चालीसा का पाठ करते समय, शुद्ध और पवित्र जीवन शैली को अपनाना अत्यावश्यक है। दैनिक जीवन में सात्विक आहार, संयम, और स्वच्छता बनाए रखें। इससे आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होगी और पाठ का प्रभाव अधिक होगा।
  • 108 बार पाठ: हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करना सिद्धि प्राप्ति के लिए अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। आप एक माला का उपयोग करके 108 बार जप कर सकते हैं। इससे मन की एकाग्रता और भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है।
  • 21 दिन की साधना: 21 दिन तक निरंतर हनुमान चालीसा का पाठ करना एक सिद्ध साधना मानी जाती है। इस अवधि में, प्रतिदिन नियमित रूप से चालीसा का पाठ करें। इस साधना के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहें और अपने मन को शुद्ध और स्थिर रखें।
  • मानसिक ध्यान और एकाग्रता: हनुमान चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत और ध्यानमग्न रखना आवश्यक है। मानसिक एकाग्रता से पाठ का प्रभाव गहरा होता है और भगवान हनुमान के साथ एक आध्यात्मिक संबंध स्थापित होता है।
  • भक्ति और श्रद्धा: चालीसा का पाठ गहरी भक्ति और श्रद्धा के साथ करें। आपके मन में भगवान हनुमान के प्रति अटूट विश्वास होना चाहिए। इस भक्ति भाव से ही पाठ का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
  • समय का महत्व: हनुमान चालीसा का पाठ सुबह या सूर्यास्त के समय करना विशेष लाभकारी माना जाता है। यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह के लिए उपयुक्त होता है, जिससे पाठ का प्रभाव अधिक होता है।
  • उचित उच्चारण: हनुमान चालीसा का पाठ करते समय सही उच्चारण का ध्यान रखें। शब्दों के सही उच्चारण से मंत्र की शक्ति बढ़ती है और भगवान हनुमान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

इन सभी चरणों का पालन करके, आप हनुमान चालीसा का सिद्ध पाठ कर सकते हैं और भगवान हनुमान से अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। नियमित और समर्पित साधना से ही सच्ची सिद्धि प्राप्त होती है।


मनुष्य को इस संसार का श्रेष्ठ प्राणी माना जाता है, और इसके पीछे का कारण उसके विशिष्ट गुण हैं जो उसे अन्य प्राणियों से अलग करते हैं। इन गुणों के कारण ही मनुष्य ने समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त किया है और अपने जीवन को सफल बनाया है। जब वह समाज में रहता है, तो एक सामाजिक प्राणी के रूप में उसमें कुछ विशिष्ट गुणों का होना आवश्यक है। इन्हीं गुणों के बल पर वह समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। समाजिक व्यवहार की दृष्टि से, विनम्रता को मानवता का प्रतीक माना गया है, और यही बात श्री हनुमान चालीसा में बार-बार बताई गई है।

मनुष्य, विद्या और ज्ञान से संपन्न होने के साथ-साथ प्रभावशाली भी बन जाता है। ऐसा प्रभावशाली व्यक्ति समाज में सभी का प्रिय होता है, और हर कोई उसकी प्रशंसा और सम्मान करता है। जिन व्यक्तियों में यह गुण नहीं होता, वे समाज में उपेक्षित होते हैं, और लोग उनके साथ निकटता का संबंध बनाने से कतराते हैं।

विनम्रता एक अद्वितीय गुण है, जिसे भारतीय धर्मग्रंथों में विस्तार से वर्णित किया गया है। भगवान विष्णु स्वयं इसके सबसे बड़े प्रमाण हैं। एक बार, भृगु मुनि ने आवेश में आकर भगवान विष्णु की छाती पर पैर मारा। परंतु विष्णु भगवान ने क्रोध नहीं किया, बल्कि उनके पैर पकड़कर विनम्रता से पूछा, “हे ऋषि! क्या आपके पैर में चोट लगी?”

भगवान विष्णु की इस विनम्रता ने भृगु मुनि को शर्मिंदा कर दिया। इससे हमें सीख मिलती है कि विनम्रता क्रोध के आवेग को तुरंत समाप्त कर देती है। यह अनावश्यक उत्तेजना और क्रोध से बचाव करती है और हमें परेशानियों में पड़ने से बचाती है।

हमारी भारतीय संस्कृति भी सदैव विनम्रता से परिपूर्ण रही है। इसे विद्वानों और सज्जनों का सर्वोत्तम गुण माना जाता है। हमारे कई ऋषि-मुनियों को विनम्रता के अभाव में गलत आचरण करते देखा गया है। अपने क्रोध और अहंकार के कारण, उन्होंने समाज में नकारात्मक प्रभाव छोड़ा और लोगों की घृणा का पात्र बने। वहीं, अपनी विनम्रता के बल पर कई लोग इतिहास में अमर हो गए।

एक विनम्र व्यक्ति सदैव आदर और सम्मान का पात्र होता है। सभी उसकी सज्जनता की प्रशंसा करते हैं और वह सबके स्नेह का पात्र बनता है। चाहे स्त्री हो या पुरुष, विनम्रता लोक-व्यवहार में निपुणता का एक मानदंड होती है।

हमने अपने आस-पास कई ऐसे लोगों को देखा है जो शान और अकड़ दिखाते हैं। ऐसे लोग अपने आप पर गर्व और अहंकार करते हैं। वे दूसरों के अभिवादन का उत्तर देना भी उचित नहीं समझते। उनका मानना होता है कि ऐसा करने से उनकी प्रतिष्ठा पर आंच आएगी। उनका व्यवहार, बातचीत का ढंग भी लोगों को आहत करता है, और परिणामस्वरूप लोग उनसे दूरी बनाने लगते हैं।

“जब कोई व्यक्ति किसी के बारे में कुछ कहता है, तो समझ लीजिए कि वह आपके बारे में भी वैसी ही बातें कह सकता है।”

इस प्रकार के व्यक्तियों से सतर्क रहें, क्योंकि वे आपकी निंदा भी उसी तरह कर सकते हैं। सदैव ध्यान रखें कि किसी की परेशानी का मजाक उड़ाना, या किसी के शारीरिक दोष पर कटाक्ष करना अनुचित है। ऐसा आचरण आपको समाज में कभी भी सम्मान नहीं दिला सकता। इसलिए, विनम्रता को अपनाइए और समाज में सम्मान और प्रशंसा के पात्र बनिए। अपने बड़ों का आदर करें और उनसे विनम्रता से पेश आएं। ऐसा करने से आप उनके स्नेह और आदर के पात्र बन जाएंगे।

विनम्रता अपनाने में आपका कुछ खर्च नहीं होता, और आप आसानी से इस गुण को अपने जीवन में अपना सकते हैं। यदि आप योग्य हैं, धनी हैं, स्वस्थ हैं, सुंदर हैं, तो विनम्रता आपके व्यक्तित्व में और भी अधिक आकर्षण जोड़ देगी। आप समाज में और अधिक लोकप्रिय बन सकते हैं और सभी का स्नेह प्राप्त कर सकते हैं।

जिनमें विनम्रता का अभाव होता है, वे बड़े अभिमानी होते हैं। आपने देखा होगा कि कुछ लोग अपने धन, शरीर, या विशेष गुणों पर गर्व करते हैं। महिलाओं में यह दोष अधिक पाया जाता है। कोई विशिष्ट पद प्राप्त कर लेने पर, उनमें अहंकार आ जाता है।

घर में कोई महंगी वस्तु आ जाने पर, वे पड़ोसियों के सामने अपनी शान बघारने लगती हैं, और दूसरों को हेय दृष्टि से देखने लगती हैं। इस प्रकार का व्यवहार उन्हें उनके पड़ोसियों के स्नेह से वंचित कर देता है।

यदि वे अपने पड़ोसियों से विनम्रता से पेश आतीं, तो वे सदैव उनके सुख-दुख में उनके साथ होते, और कहते – “देखो, उसके घर में भगवान का दिया सब कुछ है, लेकिन उसके व्यवहार में आज भी मिठास है, अहंकार ने उसे नहीं छुआ है।”

याद रखें, जब व्यक्ति के स्वभाव में अहंकार प्रवेश कर जाता है, तो वह समाज में अलोकप्रिय हो जाता है। अभिमान आपके मन रूपी घर को हमेशा खाली ही रखता है।


हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव दूर होता है। यह भक्तों को आत्मविश्वास और साहस प्रदान करता है। हनुमानजी की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। इसके अलावा, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। कहा जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। यह भक्तों को भगवान हनुमान के प्रति भक्ति और श्रद्धा को मजबूत करता है।

  • मानसिक शांति: हनुमान चालीसा का नियमित पाठ आपके मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  • आध्यात्मिक शक्ति: यह पाठ आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।
  • नकारात्मकता का नाश: हनुमान चालीसा के पाठ से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियाँ दूर होती हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए हनुमान चालीसा का पाठ बेहद लाभकारी माना जाता है।
  • संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली कठिनाइयों और संकटों से निजात पाने में हनुमान चालीसा मददगार होता है।
  • भक्ति और श्रद्धा: भगवान हनुमान के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।

हनुमान चालीसा कब पढ़े

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) का पाठ सुबह और शाम को करना सबसे उत्तम माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में इसका पाठ विशेष फलदायी होता है। इसके अलावा, मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी की विशेष पूजा की जाती है, इसलिए इन दिनों में भी हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में हनुमान चालीसा पढ़ना भी लाभकारी होता है।

हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले क्या सावधानी बरतें

हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शुद्ध और शांत मन से इसका पाठ करें। पाठ करते समय भगवान हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और सुगंधित अगरबत्ती का उपयोग करें। पाठ के समय मन को एकाग्र रखें और ध्यान भटकने न दें। इस दौरान किसी प्रकार की नकारात्मकता को मन में न आने दें।

हनुमान चालीसा क्या लड़कियाँ भी पढ़ सकती हैं

हाँ, हनुमान चालीसा लड़कियाँ भी पढ़ सकती हैं। इसमें कोई भेदभाव नहीं है। भगवान हनुमान अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। महत्वपूर्ण यह है कि पाठ श्रद्धा और भक्ति भाव से किया जाए।

हनुमान चालीसा मंदिर पढ़ना सही होता है या घर में

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) का पाठ मंदिर और घर, दोनों जगह किया जा सकता है। मंदिर में पाठ करने से सामूहिक ऊर्जा का लाभ मिलता है, जबकि घर में पाठ करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शांति का माहौल बनता है। जहां भी पाठ करें, स्थान को पवित्र और शांत रखें।

हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद क्या करें

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) पढ़ने के बाद भगवान हनुमान के चरणों में नमन करें और उनकी आरती उतारें। उन्हें भोग अर्पित करें और प्रसाद ग्रहण करें। इसके बाद भगवान का धन्यवाद करें और प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करें।

हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले भोग लगाएं या बाद में

भोग का अर्पण हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद करना उचित माना जाता है। पाठ के बाद भगवान हनुमान को भोग अर्पित करें और फिर प्रसाद ग्रहण करें। इससे भगवान हनुमान की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।

हनुमान चालीसा क्या रोज पढ़ सकते हैं

हाँ, हनुमान चालीसा का पाठ रोज किया जा सकता है। रोजाना पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। इसका नियमित पाठ जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और भक्त को आंतरिक शांति प्रदान करता है।

हनुमान चालीसा को 7 बार पढ़ने का क्या महत्व है?

हनुमान चालीसा को 7 बार पढ़ने का विशेष महत्व है। इसे पढ़ने से विशेष समस्याओं का समाधान होता है और भगवान हनुमान की कृपा जल्दी प्राप्त होती है। कहा जाता है कि 7 बार पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

क्या हनुमान चालीसा को रोज़ाना पढ़ा जा सकता है?

हाँ, हनुमान चालीसा को रोज़ाना पढ़ा जा सकता है। नियमित पाठ से भगवान हनुमान की कृपा बनी रहती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। यह भक्त को आंतरिक शांति और मानसिक शक्ति प्रदान करता है।

तुलसीदास ने हनुमान चालीसा कैसे लिखी थी?

तुलसीदास ने हनुमान चालीसा का रचना भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करने के लिए की थी। कहा जाता है कि उन्हें स्वयं भगवान हनुमान की प्रेरणा से यह चालीसा लिखी। इसमें भगवान हनुमान के गुण, उनकी शक्ति और उनके भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।

हनुमान चालीसा किस पुस्तक में लिखी गई है?

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ में शामिल है। यह चालीसा भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करती है और रामायण के विभिन्न प्रसंगों का भी वर्णन करती है।

हनुमान चालीसा का कैसे प्रयोग करें

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa PDF) का प्रयोग भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने और समस्याओं का समाधान पाने के लिए किया जाता है। इसे श्रद्धा और भक्ति से पढ़ें। विशेष अवसरों पर, जैसे संकट के समय, परीक्षा या महत्वपूर्ण कार्य से पहले इसका पाठ करें। इसे पढ़ने से पहले और बाद में भगवान हनुमान का स्मरण करें और उनकी आराधना करें।


हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पूजनीय स्तोत्र है, जो लाखों लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। 16वीं शताब्दी में महान संत और कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह चालीस चौपाइयों का भक्ति स्तोत्र भगवान हनुमान को समर्पित है, जो भक्ति, शक्ति और निःस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। अवधी भाषा में लिखी गई हनुमान चालीसा न केवल एक साहित्यिक उत्कृष्ट कृति है, बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी है, जो आंतरिक शांति और दिव्य आशीर्वाद की खोज में लगे भक्तों को प्रेरणा देती है। इसकी काव्यात्मक लय और गहन अर्थ इसे सभी आयु और पृष्ठभूमि के लोगों के लिए सुलभ बनाते हैं, जिससे यह भक्तों और भगवान के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करती है।

हनुमान चालीसा की सार्वभौमिक लोकप्रियता का मुख्य कारण इसमें भय से मुक्ति और सुरक्षा का वादा है। प्रत्येक चौपाई हनुमान जी के गुणों की महिमा गाती है, जिनमें उनकी असीमित शारीरिक शक्ति, भगवान राम के प्रति अडिग भक्ति और अद्वितीय साहस शामिल हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, जो भक्तों को नकारात्मक प्रभावों से बचाते हैं और जीवन की कठिनाइयों को पार करने की शक्ति प्रदान करते हैं। इस स्तोत्र की सरलता और शक्ति इसे कई लोगों की दैनिक प्रार्थना का अभिन्न हिस्सा बनाती है, जिससे उन्हें सांत्वना और आत्मबल मिलता है।

आध्यात्मिक महत्व के अलावा, हनुमान चालीसा के मनोवैज्ञानिक लाभ भी अत्यंत गहरे हैं। शोध बताते हैं कि इस स्तोत्र का पाठ या श्रवण तनाव और चिंता को कम कर सकता है, मन को शांत कर एक ध्यानात्मक अवस्था उत्पन्न करता है। इसके नियमित पाठ से मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन प्राप्त होता है। भक्ति और मानसिक स्वास्थ्य का यह अनूठा संयोजन हनुमान चालीसा को समयातीत बनाता है, जो धार्मिक सीमाओं को पार कर उन लोगों को भी आकर्षित करता है जो समग्र रूप से कल्याण की खोज में हैं।

हनुमान चालीसा की वैश्विक मान्यता निरंतर बढ़ रही है, और इसे कई भाषाओं में अनुवाद और व्याख्या के माध्यम से सराहा जा रहा है। इसकी अनुकूलता इसे आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बनाती है, जहां आंतरिक शक्ति और शांति की आवश्यकता पहले से अधिक महत्वपूर्ण है। चाहे इसे एकांत में पढ़ा जाए या सामूहिक भजन में, हनुमान चालीसा प्राचीन भक्ति की बुद्धिमत्ता को आधुनिक जीवन में साहस और आशा की आवश्यकता के साथ जोड़ती है। इसके छंदों में भक्तों को न केवल हनुमान जी की स्तुति मिलती है, बल्कि उद्देश्य, साहस और अडिग विश्वास से भरा जीवन जीने का मार्ग भी मिलता है।


Hanuman Ji, a revered figure in Hindu mythology, is celebrated for his devotion, strength, and bravery. Here’s a closer look at his story:

Devotion to Rama: Hanuman’s unwavering loyalty to Lord Rama is the foundation of his legend. His dedication to Rama, who is an incarnation of Lord Vishnu, is profound and central to his identity. Hanuman never wavers in his service, constantly offering his strength and abilities to help Rama in times of need.

Role in the Ramayana: Hanuman’s role in the Ramayana, one of the most important Hindu epics, is pivotal. He assists Lord Rama in his quest to rescue Sita, Rama’s wife, from the demon king Ravana. Hanuman’s courage, intelligence, and extraordinary powers come to the fore, particularly when he leaps across the ocean to find Sita in Lanka, delivering Rama’s message and offering her hope.

Symbol of Strength and Devotion: Hanuman is the embodiment of strength, devotion, and perseverance. He is often depicted as a muscular figure, symbolizing his physical power, while his unwavering commitment to Rama highlights his spiritual strength. Hanuman’s character teaches the virtues of selfless service, devotion, and humility.

Powers and Qualities: Hanuman is endowed with many supernatural abilities, such as immense strength, the power of flight, and the ability to change his size at will. His intelligence and quick thinking also make him a great strategist. He uses these powers for the benefit of others, especially in the service of Lord Rama. His ability to overcome obstacles and help those in need makes him a beloved figure.

Worship: Hanuman is widely worshipped in Hindu temples across India and beyond. He is often revered for his ability to protect devotees from harm, grant strength, and fulfill wishes. Temples dedicated to Hanuman are abundant, where people pray for physical strength, mental fortitude, and the removal of obstacles in their lives.

Cultural Significance: Hanuman’s influence goes beyond Hinduism. His story is also revered in other parts of Asia, including Buddhist traditions. The lessons drawn from his life resonate across cultures, teaching the values of loyalty, selflessness, and strength. Hanuman’s image as a protector and source of divine strength makes him a universal symbol of courage.


1. असली हनुमान चालीसा क्या है?

असली हनुमान चालीसा वह है जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी में रचा था। यह चालीसा 40 चौपाइयों का संग्रह है, जिसमें भगवान हनुमान की महिमा, उनके गुण, और उनके पराक्रम का वर्णन किया गया है। हनुमान चालीसा को सही तरीके से पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। इसे भगवान हनुमान के भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ नियमित रूप से पढ़ा जाता है।

2. 1 दिन में हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए?

हनुमान चालीसा पढ़ने की संख्या व्यक्ति की श्रद्धा और समय के अनुसार भिन्न हो सकती है। आमतौर पर, इसे दिन में एक बार पढ़ना पर्याप्त माना जाता है। लेकिन अगर कोई विशेष संकट या इच्छा की पूर्ति के लिए पढ़ता है, तो इसे दिन में 3, 5, 7, या 11 बार भी पढ़ा जा सकता है। अधिक बार पढ़ने से मानसिक शांति, साहस, और भगवान हनुमान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

3. क्या मैं अपने बिस्तर पर हनुमान चालीसा पढ़ सकता हूं?

हाँ, आप अपने बिस्तर पर हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं, लेकिन इसे करते समय शुद्ध मन और पूरी श्रद्धा होनी चाहिए। अगर आप अस्वस्थ हैं या किसी विशेष स्थिति में हैं, तो बिस्तर पर भी हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे पढ़ते समय आपका मन भगवान हनुमान की भक्ति में केंद्रित हो और वातावरण में शांति हो।

4. हनुमान चालीसा कब नहीं पढ़ना चाहिए?

हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन यह माना जाता है कि शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ भोजन के तुरंत बाद, रात के समय बिना स्नान किए, या अशुद्ध अवस्था में नहीं करना चाहिए। पवित्रता बनाए रखने और भगवान हनुमान की कृपा पाने के लिए स्नान के बाद, साफ वस्त्र पहनकर, और शुद्ध मन से हनुमान चालीसा का पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है।

5. हनुमान चालीसा में क्या गलती है?

हनुमान चालीसा के श्लोकों में कोई गलती नहीं है। हालांकि, कुछ स्थानों पर अलग-अलग प्रचलित संस्करणों में शब्दों का अंतर देखने को मिलता है। यह भिन्नता पाठकों के उच्चारण, भाषा और क्षेत्रीय प्रभाव के कारण हो सकती है। इसलिए, हनुमान चालीसा पढ़ते समय सही उच्चारण और शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसके लिए तुलसीदास जी द्वारा लिखित मूल चालीसा का अनुसरण करना सबसे उपयुक्त है।

6. हनुमान चालीसा की शक्ति क्या है?

हनुमान चालीसा की शक्ति अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुरक्षा, और समृद्धि आती है। हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है। इसका पाठ करने से भय, रोग, और संकट दूर होते हैं और मानसिक बल में वृद्धि होती है। इसके अलावा, हनुमान चालीसा का पाठ साधक को आत्मिक शुद्धता, साहस, और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाता है।

7. हनुमान चालीसा कैसे डाउनलोड करें

दोस्तों यहाँ हमने हनुमान चालीसा PDF की फाइल दी हुई है। आप सिंगल क्लिक से डाउनलोड कर सकते है।

8. सबसे अच्छा हनुमान चालीसा कौन सा है?

हनुमान चालीसा के सभी संस्करण समान रूप से प्रभावी और पवित्र हैं, क्योंकि वे मूल रूप से गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हैं। आपको वही संस्करण चुनना चाहिए जो आपको आसानी से समझ में आए और जिससे आप भावनात्मक रूप से जुड़ सकें।

9. रोज 7 बार हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

रोजाना 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। यह आपके जीवन से नकारात्मकता और भय को दूर करता है, मानसिक शांति प्रदान करता है और आपको आत्मविश्वास से भर देता है। यह साधना विशेष रूप से बाधाओं को दूर करने और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए फलदायी मानी जाती है।

10. सुबह 4:00 बजे हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

सुबह 4:00 बजे ब्रह्म मुहूर्त का समय होता है, जो आध्यात्मिक साधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस समय हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति, ध्यान की गहराई और आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यह समय ईश्वर से जुड़ने के लिए आदर्श होता है, और इससे दिन भर के लिए सकारात्मकता और ऊर्जा प्राप्त होती है।

11. 21 दिनों के लिए हनुमान पूजा क्या है?

21 दिनों की हनुमान पूजा एक विशेष साधना है, जिसमें भक्त 21 दिनों तक हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और भगवान हनुमान को श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा अर्पित करते हैं। इसे किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति या बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इस साधना के दौरान भक्त नियमों का पालन करते हैं, जैसे ब्रह्मचर्य, शुद्ध आहार और नियमित पूजा। 21 दिनों के इस अनुष्ठान से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Hanuman चालीसा इन हिंदी PDF कहाँ से डाउनलोड करें?

अगर आप Hanuman चालीसा इन हिंदी pdf ढूंढ़ रहे हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं। हनुमान चालीसा एक लोकप्रिय हिंदू भजन है, जिसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह भक्ति-पाठ भगवान हनुमान जी की स्तुति में लिखा गया है और इसे हिंदी में पढ़ने का एक बहुत ही प्रभावशाली तरीका है उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का।

डाउनलोड कैसे करें:
Hanuman चालीसा इन हिंदी pdf डाउनलोड करने के लिए, आप विश्वसनीय वेबसाइट्स जैसे कि Chalisa-pdf.com का उपयोग कर सकते हैं। इन साइट्स पर आपको मुफ्त और शुद्ध हिंदी में पीडीएफ फॉर्मेट में हनुमान चालीसा उपलब्ध मिल जाएगी।

उपयोग कैसे करें:
डाउनलोड की गई PDF को आप अपने मोबाइल, टैबलेट या कंप्यूटर पर सेव कर सकते हैं और कभी भी, कहीं भी इसका पाठ कर सकते हैं। यह विशेष रूप से यात्रा के समय या रोजाना पूजा में बहुत उपयोगी होता है।

मैं हनुमान चालीसा हिंदी में PDF कहाँ से डाउनलोड कर सकता हूँ?

आप हनुमान चालीसा हिंदी में PDF फ्री में डाउनलोड करने के लिए https://www.chalisa-pdf.com पर जा सकते हैं। वहाँ उच्च गुणवत्ता में स्कैन की गई हिंदी में चालीसा उपलब्ध है।

क्या मुझे hanuman चालीसा इन हिंदी PDF फॉर्मेट में इस वेबसाइट से मिल सकती है?

जी हाँ, आप hanuman चालीसा इन हिंदी PDF फॉर्मेट में chalisa-pdf.com से आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। यह वेबसाइट भक्तों के लिए सरल और साफ फॉर्मेट में PDF उपलब्ध कराती है।

हनुमान चालीसा पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने की प्रक्रिया क्या है?

हनुमान चालीसा पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए आपको बस https://www.chalisa-pdf.com पर जाकर संबंधित लिंक पर क्लिक करना है और आपकी फाइल तुरंत डाउनलोड हो जाएगी।

Can beginners recite Hanuman Chalisa?

Yes, beginners can absolutely recite the Hanuman Chalisa. It is a powerful and revered devotional hymn composed by the saint-poet Tulsidas in the 16th century, written in the Awadhi language.
The Hanuman Chalisa is accessible to anyone with a genuine desire to connect spiritually with Lord Hanuman, regardless of their background, level of knowledge, or experience in Hindu rituals. In fact, many people begin their spiritual journey by chanting or listening to the Hanuman Chalisa due to its simplicity, rhythm, and profound spiritual benefits.

For beginners, it is not necessary to know Sanskrit or have in-depth knowledge of Hindu scriptures. The verses can be learned gradually, and there are many transliterations and translations available to aid understanding. One does not need to worry about pronunciation in the early stages; devotion and sincerity are far more important than perfect enunciation. Over time, with regular recitation, familiarity with the verses and their meanings deepens naturally.

Moreover, Hanuman is often regarded as the epitome of devotion, humility, and strength. Devotees believe he is compassionate and quick to respond to sincere prayers, especially from those who approach him with a pure heart. Beginners often report feeling a sense of peace, protection, and growing confidence after reciting the Chalisa regularly. It’s also common for parents to encourage children to start reciting it from a young age to instill spiritual values and emotional strength.

There is no rigid requirement for a beginner to follow any elaborate rituals before chanting. Simple cleanliness, a calm mindset, and respect for the process are enough. Sitting quietly in a clean space, lighting a small lamp if possible, and focusing attention on Lord Hanuman while reciting the verses can be very effective.

Over time, reciting the Hanuman Chalisa becomes not just a spiritual act but also a meditative and calming daily habit. So yes, beginners are more than welcome to start their journey with this sacred hymn.

What is the best time to chant Hanuman Chalisa?

chanted at any time of the day, traditionally, the early morning hours at Brahma Muhurta (approximately 4:00 a.m. to 6:00 a.m.) and in the evening around sunset are considered most auspicious. Chanting during these times is believed to enhance its spiritual potency because these are calm and spiritually charged parts of the day when the mind is more focused and the environment is quieter.

Morning chanting helps set a positive tone for the day. It instills strength, clarity, and devotion, and is often associated with invoking the protective and purifying aspects of Lord Hanuman. Evening recitations, especially after sunset on Tuesdays and Saturdays (which are considered especially significant days for Hanuman worship), are believed to cleanse the mind of the day’s stress, fears, and negative energies.

However, the beauty of the Hanuman Chalisa lies in its flexibility. If someone cannot manage early morning or evening recitations, they can still benefit from chanting at any time that suits their schedule—whether during a break at work, during a walk, or before bedtime. The key is to maintain sincerity, focus, and regularity. Even listening to the Chalisa during daily chores or while commuting can have a calming and spiritually uplifting effect.

Many devotees choose specific days—such as Tuesdays and Saturdays—as their preferred days for more intense recitation, often repeating the Chalisa 11, 21, or even 108 times on these days for specific purposes such as protection, health, or spiritual growth.

Ultimately, there is no “wrong” time to chant the Hanuman Chalisa. What matters most is the mindset and intention behind the recitation. Lord Hanuman is believed to be ever-present and compassionate, especially toward those who seek his blessings with genuine faith and devotion. So, while there are recommended times, the best time is when one can chant with focus and heartfelt dedication.

Is there a specific number of times to recite it?

The Hanuman Chalisa can be recited as many times as one feels comfortable, but traditionally, specific numbers are often followed by devotees for spiritual discipline and focused intentions. A single recitation takes about 10 minutes and is commonly done daily. However, many people choose to repeat it 3, 7, 11, 21, or 108 times in one sitting, especially during challenging times, festivals, or for specific spiritual benefits.

Reciting the Hanuman Chalisa once daily is believed to offer protection, peace of mind, and strength. Three times a day (morning, noon, and night) is ideal for those who wish to deepen their practice and maintain continuous spiritual connection throughout the day. Eleven recitations are often performed for warding off obstacles and negative energies, while 21 times is believed to invoke strong blessings for resolving persistent issues.

For major spiritual efforts or specific wishes, devotees sometimes perform 108 recitations, often done over one or several days. Chanting the Chalisa 108 times is considered highly sacred, mirroring the spiritual significance of the number 108 in Hinduism, which represents the universe’s wholeness. Some do it in group settings, such as temples or during special prayer gatherings, particularly on Tuesdays or Hanuman Jayanti (the birthday of Lord Hanuman).

However, it’s important to note that the number of recitations should not become a mere ritualistic goal. The intention, focus, and devotion behind the chant matter much more than the count. Beginners can start with one or three times a day and gradually build up. Using a mala (rosary) of 108 beads can help keep count without distraction.

Ultimately, there’s no mandatory requirement for the number of times. Devotees are encouraged to chant according to their capacity, with sincerity and without pressure. Hanuman is known for his loving response to even a single heartfelt chant, so whether it’s once or 108 times, what counts most is the faith and love with which it is offered.

Can Hanuman Chalisa help with anxiety or fear?

Yes, many devotees believe that regularly reciting the Hanuman Chalisa can significantly help with anxiety, fear, and emotional stress. The hymn’s powerful verses glorify the strength, courage, and divine energy of Lord Hanuman, who is known in Hindu tradition as a protector and remover of fear. The recitation acts not only as a spiritual shield but also as a form of meditation that soothes the mind and calms the nervous system.

Each line of the Chalisa contains vibrations that, when spoken or heard with devotion, can create a sense of reassurance and stability. For those suffering from anxiety, the rhythmic chanting or listening to the Chalisa can provide a grounding effect, helping to shift the mind away from fear-driven thoughts and into a space of trust and surrender. The repetition itself can be therapeutic, functioning like a mantra that distracts from negative spirals and anchors the mind in something positive.

Many lines within the Chalisa directly invoke protection against ghosts, negative forces, and internal doubts. For example, the line “Bhoot pishach nikat nahi aave, Mahaveer jab naam sunave” implies that all evil, including negative thoughts or energies, will vanish when the name of the mighty Hanuman is spoken. This is particularly comforting to those experiencing fear, especially at night or during times of emotional vulnerability.

Additionally, Lord Hanuman is regarded as the embodiment of devotion and humility. Connecting with him through the Chalisa can instill a sense of inner strength and divine support. For individuals who struggle with loneliness, low confidence, or panic attacks, this devotional practice can become a powerful psychological and emotional anchor.

While the Hanuman Chalisa is not a substitute for professional help in cases of chronic anxiety, it can be a supportive tool alongside therapy or other treatments. Its uplifting energy, spiritual protection, and rhythmic repetition offer a safe and sacred space to turn to during moments of inner turmoil.

Is it okay to read it in English or other translations?

Yes, it is perfectly okay to read the Hanuman Chalisa in English or other translations if one is not fluent in the original Awadhi or Hindi. The essence of spiritual practice lies in the sincerity of devotion, not the language used. Lord Hanuman, as a divine being, responds to the heartfelt prayers of his devotees regardless of the tongue they speak.

Reading the Chalisa in a language you understand can actually deepen your connection to its meaning and spiritual significance.

For many non-Hindi speakers or new devotees, reading the Chalisa in English (or their native language) helps them comprehend the values, stories, and qualities of Lord Hanuman being described. This understanding strengthens faith and makes the practice more mindful rather than mechanical. There are many excellent translations available that retain the poetic structure and spiritual intent of the original verses.

Some devotees prefer to read the English version alongside the original, which allows them to both pronounce the traditional text and understand it simultaneously. Others alternate between versions depending on their mood or purpose. For example, one may read the English translation for study and understanding, then chant the original verses for devotion.

It is also common to sing or recite the Chalisa in a transliterated format—where the Hindi sounds are written using English alphabets. This is especially helpful for those who wish to chant the original sounds but are unfamiliar with Devanagari script. As long as the recitation is done with reverence and intention, any format is spiritually beneficial.

Ultimately, what matters most is your devotion, faith, and consistency. Language is merely a medium, and the divine energy invoked through the Hanuman Chalisa transcends all linguistic boundaries. Whether chanted in English, Tamil, Telugu, Bengali, or any other language, the power of the Chalisa remains

Where can I find Hanuman Chalisa in PDF format for free?

You can easily download Hanuman Chalisa in PDF from Chalisa PDF. The website provides clear, easy-to-read versions in Hindi and English. Many devotees prefer PDF format because it can be saved on mobile, tablet, or laptop for daily recitation without carrying a book.

Is the Hanuman Chalisa in PDF available in Hindi as well as English?

Yes, both versions are available. If you want the authentic Hindi text or the English transliteration, you’ll find reliable options at Chalisa PDF.

Can I download Hanuman Chalisa MP3 sung by Gulshan Kumar from Gaana?

While many music apps like Gaana and YouTube host versions of the Hanuman Chalisa, devotees searching for Hanuman Chalisa MP3 download Gulshan Kumar can also find resources and related links at Chalisa PDF. It’s always good to listen while also keeping a text version handy for chanting.

Why is Gulshan Kumar’s Hanuman Chalisa so popular?

Gulshan Kumar’s soulful recitation has touched millions of devotees. His voice adds devotion and calmness, making the prayer experience more spiritual. You can pair the MP3 listening with a written Hanuman Chalisa in PDF to follow along easily.

How do I download Hanuman Chalisa for offline reading?

Simply visit Chalisa PDF and select the option for Hanuman Chalisa download. The file is lightweight, mobile-friendly, and works without internet once saved.

Why should I download Hanuman Chalisa instead of just reading online?

Downloading gives you quick offline access. Many devotees like to recite early in the morning or while traveling, and with a Hanuman Chalisa download from Chalisa PDF, you can pray without relying on internet connectivity.

क्या मैं हनुमान चालीसा pdf ऑनलाइन डाउनलोड कर सकता हूँ?

हाँ, आप आसानी से Chalisa PDF से हनुमान चालीसा pdf मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं। यह स्पष्ट और शुद्ध पाठ उपलब्ध कराता है, जिसे मोबाइल या कंप्यूटर पर कहीं भी पढ़ा जा सकता है।

हनुमान चालीसा pdf पढ़ने के क्या लाभ हैं?

हनुमान चालीसा का पाठ मन को शांति देता है और भय दूर करता है। अगर आपके पास हनुमान चालीसा pdf सेव है, तो आप कभी भी, कहीं भी इसका पाठ कर सकते हैं। इसे Chalisa PDF से तुरंत डाउनलोड करना सबसे आसान तरीका है।


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Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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