सरस्वती मां की आरती (Saraswati Ji Ki Aarti) ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और शिक्षा की हिंदू देवी सरस्वती को छात्रों, विद्वानों और कलाकारों द्वारा पूजा जाता है। उन्हें पवित्रता और बुद्धि का अवतार माना जाता है, जो अपने भक्तों को ज्ञान की ओर ले जाती हैं। सरस्वती आरती उनकी स्तुति में गाया जाने वाला एक भक्ति भजन है, विशेष रूप से वसंत पंचमी जैसे त्योहारों के दौरान, जो ज्ञान और रचनात्मकता के लिए प्रार्थना का प्रतीक है।
Also Read – श्री लक्ष्मी जी की आरती | श्री गणेश आरती | श्री शनिदेव आरती | श्री राम आरती | श्री जगन्नाथ संध्या आरती | श्री सीता आरती | चन्द्र देव की आरती | माँ महाकाली आरती | श्री जानकीनाथ जी की आरती
Saraswati Aarti Lyrics Hindi / English
- हिंदी
- English
माँ सरस्वती जी – आरती
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
Saraswati Mata Ji Ki Aarti
Jay Saraswati Mata,
Maiya Jay Saraswati Mata।
Sadgun Vaibhav Shalini,
Tribhuvan Vikhyata॥
॥ Jay Saraswati Mata…॥
Chandravadani Padmasini,
Dyuti Mangalkari।
Sohe Shubh Hans Sawari,
Atul Tejdhari॥
॥ Jay Saraswati Mata…॥
Bayen Kar Mein Veena,
Dayen Kar Mala।
Sheesh Mukut Mani Sohe,
Gal Motiyan Mala॥
॥ Jay Saraswati Mata…॥
Devi Sharan Jo Aaye,
Unaka Uddhar Kiya।
Paithi Manthara Dasi,
Ravan Sanhar Kiya॥
॥ Jay Saraswati Mata…॥
Vidya Gyan Pradayini,
Gyan Prakash Bharo।
Moh Agyan Aur Timir Ka,
Jag Se Naash Karo॥
॥ Jay Saraswati Mata…॥
Dhoop Deep Phal Meva,
Maa Svikar Karo।
Gyanchakshu De Mata,
Jag Nistar Karo॥
॥ Jay Saraswati Mata…॥
Maa Saraswati Ki Arati,
Jo Koi Jan Gave।
Hitakari Sukhakari,
Gyan Bhakti Pave॥
॥ Jay Saraswati Mata…॥
Jay Saraswati Mata,
Maiya Jay Saraswati Mata।
Sadgun Vaibhav Shalini,
Tribhuvan Vikhyata॥
Download Saraswati Aarti
Watch Saraswati Aarti with Hindi Lyrics
All About Saraswati Ji Ki Aarti
सरस्वती जी की आरती के लाभ:
विद्या और बुद्धि की प्राप्ति: देवी सरस्वती की नियमित आरती करने से विद्या, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। यह छात्रों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है क्योंकि देवी सरस्वती को ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है।
वाणी में सुधार: देवी सरस्वती की आरती करने से वाणी में मधुरता और स्पष्टता आती है। जो लोग अपने सार्वजनिक भाषण, लेखन या किसी भी बोलने के कौशल में सुधार करना चाहते हैं, उन्हें देवी सरस्वती की पूजा से लाभ हो सकता है।
संगीत और कला में प्रवीणता: सरस्वती जी को संगीत और कला की देवी माना जाता है। आरती करने से संगीत, नृत्य, चित्रकला, लेखन आदि कलाओं में दक्षता प्राप्त होती है। कलाकारों के लिए मां सरस्वती की पूजा अत्यंत फलदायी होती है।
मानसिक शांति: सरस्वती जी की आरती से मानसिक शांति मिलती है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे आपको पढ़ाई और काम करने में मदद मिलती है।
आध्यात्मिक विकास: देवी सरस्वती की आरती करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और ज्ञान के मार्ग पर ले जाता है, जिससे उसका जीवन सुखी और समृद्ध होता है।
बाधाओं का नाश: देवी सरस्वती की आरती से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। यह नकारात्मक शक्तियों और अज्ञानता को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता और समृद्धि की ओर ले जाता है।
सरस्वती जी की आरती का महत्व:
भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में सरस्वती जी की आरती का विशेष महत्व है। मां सरस्वती को ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी माना जाता है और भक्त उनकी आरती के माध्यम से उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। आरती के दौरान भक्त सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति लाने वाली मां सरस्वती की महिमा गाते हैं।
आरती के दौरान, भक्त देवी सरस्वती की स्तुति करते हैं और उनसे ज्ञान और बुद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। यह आरती छात्रों, संगीतकारों, कलाकारों और लेखकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि माँ सरस्वती उनकी वाणी, स्मृति और रचनात्मकता में सुधार करती हैं।
मां सरस्वती की आरती शांति और एकाग्रता प्रदान करती है, जिससे व्यक्ति को अपने जीवन में सही दिशा और मार्गदर्शन मिलता है। यह आरती विशेष रूप से वसंत पंचमी के दिन की जाती है, जो सरस्वती पूजा को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति जीवन में सफलता, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।
FAQs – Saraswati Mata Aarti
1. माता सरस्वती की प्रार्थना कैसे करें?
माता सरस्वती की प्रार्थना में सबसे पहले स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। एक स्वच्छ स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। सफेद वस्त्र पहनकर, सफेद पुष्प और सफेद चंदन माता को अर्पित करें। सरस्वती वंदना, जैसे “या कुन्देन्दु तुषार हार धवला“, का उच्चारण करें। इसके बाद, “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप 108 बार करें। जाप के दौरान एकाग्रचित्त रहें और मन को शुद्ध रखें। माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा और विश्वास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अंत में, अपने हाथ जोड़कर उनसे विद्या, बुद्धि और कला का आशीर्वाद मांगे। यह प्रार्थना विशेष रूप से सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करनी चाहिए। यदि हो सके तो दीपक जलाकर धूप और अगरबत्ती से वातावरण को शुद्ध करें।
2. मां सरस्वती हमारी जुबान पर कब बैठती है?
मां सरस्वती को वाणी, विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है। जब हम पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ उनकी आराधना करते हैं, तो मां सरस्वती हमारी जुबान पर विराजमान होती हैं। खासकर विद्यारंभ, परीक्षा, वाणी से जुड़े कार्य, संगीत और कला में उनकी विशेष कृपा होती है। जब हम सच्चे मन से उनकी स्तुति और प्रार्थना करते हैं, तब वह हमें वाणी की स्पष्टता और ज्ञान की गहराई प्रदान करती हैं। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन विद्यारंभ संस्कार भी किया जाता है, जो बच्चों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। सरस्वती मंत्रों का जाप और उनकी आराधना करने से जुबान पर मां सरस्वती का स्थायी वास हो सकता है, जिससे व्यक्ति में वाक्पटुता, ज्ञान और तर्कशक्ति का विकास होता है।
3. सरस्वती जी के पति का नाम क्या है?
धार्मिक मान्यताओं और पुराणों के अनुसार, माता सरस्वती ब्रह्मा जी की पत्नी मानी जाती हैं। हालांकि, कुछ पौराणिक कथाओं में सरस्वती को स्वतंत्र देवी के रूप में वर्णित किया गया है, जो ज्ञान और वाणी की शक्ति का प्रतीक हैं। सरस्वती और ब्रह्मा का संबंध सृजन और ज्ञान के रूप में देखा जाता है। ब्रह्मा जी ने इस संसार का निर्माण किया और सरस्वती ने उसे ज्ञान और संगीत की शक्ति प्रदान की। कुछ मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि सरस्वती जी अपने आप में पूर्ण हैं और उन्हें किसी पुरुष शक्ति की आवश्यकता नहीं है। उनके स्वरूप को स्वतंत्र और स्वायत्त माना गया है। इसलिए, यह प्रश्न धार्मिक विश्वास और परंपराओं पर निर्भर करता है कि आप किस कथा को अधिक मान्यता देते हैं।
4. सरस्वती माता की आराधना कैसे करें?
सरस्वती माता की आराधना में सच्चे मन से श्रद्धा और भक्ति का होना आवश्यक है। सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर सफेद वस्त्र पहनकर बैठें। सरस्वती माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं। उन्हें सफेद पुष्प, धूप और अगरबत्ती अर्पित करें। “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें और सरस्वती वंदना का पाठ करें। सरस्वती माता को सफेद मिठाई और जल अर्पित करें। प्रार्थना के अंत में, उनसे ज्ञान, बुद्धि और वाणी की शुद्धता का आशीर्वाद मांगे। यह पूजा विशेष रूप से विद्यारंभ, परीक्षा, या किसी महत्वपूर्ण कार्य के पहले की जाती है। वसंत पंचमी का दिन माता सरस्वती की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।
5. सरस्वती आवाहन क्या है?
सरस्वती आवाहन का अर्थ है माता सरस्वती को विधिपूर्वक बुलाना और उनसे ज्ञान, बुद्धि और वाणी का आशीर्वाद प्राप्त करना। यह एक विशेष पूजा विधि है, जो वाणी और विद्या की देवी को आमंत्रित करने के लिए की जाती है। सरस्वती आवाहन के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है और विशेष रूप से सफेद पुष्प, चंदन और धूप अर्पित किए जाते हैं। आवाहन का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि माता सरस्वती साधक की जुबान, मन और बुद्धि पर अपना वास करें, ताकि वह सत्य, ज्ञान और कला के मार्ग पर अग्रसर हो सके। इसे विद्यारंभ, परीक्षा, या संगीत और कला से जुड़े किसी भी कार्य के पहले किया जाता है।
6. सरस्वती की स्तुति कैसे करें?
सरस्वती की स्तुति का मतलब है माता सरस्वती की महिमा का गान करना। स्तुति के लिए सुबह का समय उत्तम माना जाता है। सबसे पहले, स्वच्छ स्थान पर बैठकर सरस्वती माता का ध्यान करें। “या कुन्देन्दु तुषार हार धवला” और “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” जैसे मंत्रों का जाप करें। सरस्वती वंदना का पाठ करें, जिसमें उनकी बुद्धि, ज्ञान और वाणी की शक्तियों की महिमा की जाती है। अगर हो सके तो सरस्वती चालीसा या सरस्वती अष्टक का पाठ करें।