श्री जानकीनाथ जी की आरती (Shri Jankinatha Ji Ki Aarti) एक भक्तिमय आरती है जो भगवान श्री राम और माता सीता के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करती है। इस आरती के माध्यम से भक्तजन भगवान श्री राम के अद्वितीय प्रेम और उनकी दिव्य लीलाओं का गुणगान करते हैं। “ॐ जय जानकीनाथ” आरती की शुरुआत करते हुए, यह आरती पूरे हृदय से की जाती है और इससे भक्तों को आत्मिक शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
श्री जानकीनाथ जी की आरती के बोल संगीतमय और भावपूर्ण हैं, जो भगवान राम और माता सीता की महिमा का वर्णन करते हैं। यह आरती विशेष रूप से रामनवमी, दशहरा, और अन्य धार्मिक अवसरों पर गाई जाती है। इस आरती को गाने से भक्तगण भगवान श्री राम और माता सीता की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की कामना करते हैं।
अगर आप श्री जानकीनाथ जी की आरती के सम्पूर्ण बोल जानना चाहते हैं, तो आप सही स्थान पर आए हैं। यहाँ पर आपको इस अद्भुत आरती के सारे बोल मिलेंगे, जिससे आप अपने धार्मिक अनुष्ठानों को और भी भक्तिपूर्ण बना सकते हैं।
श्री जानकीनाथ जी की आरती को नियमित रूप से गाने से भगवान श्री राम और माता सीता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जो हमारे जीवन को सफल और सार्थक बनाते हैं। इस आरती के माध्यम से हम अपने आराध्य देवता श्री राम और माता सीता को प्रसन्न कर सकते हैं और उनके दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को संवार सकते हैं।
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|| श्री जानकीनाथ जी की आरती ||
ॐ जय जानकीनाथा,
जय श्री रघुनाथा ।
दोउ कर जोरें बिनवौं,
प्रभु! सुनिये बाता ॥ ॐ जय..॥
तुम रघुनाथ हमारे,
प्राण पिता माता ।
तुम ही सज्जन-संगी,
भक्ति मुक्ति दाता ॥ ॐ जय..॥
लख चौरासी काटो,
मेटो यम त्रासा ।
निशदिन प्रभु मोहि रखिये,
अपने ही पासा ॥ ॐ जय..॥
राम भरत लछिमन,
सँग शत्रुहन भैया ।
जगमग ज्योति विराजै,
शोभा अति लहिया ॥ ॐ जय..॥
हनुमत नाद बजावत,
नेवर झमकाता ।
स्वर्णथाल कर आरती,
करत कौशल्या माता ॥ ॐ जय..॥
सुभग मुकुट सिर, धनु सर,
कर शोभा भारी ।
मनीराम दर्शन करि,
पल-पल बलिहारी ॥ ॐ जय..॥
जय जानकिनाथा,
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा ।
हो प्रभु जय सीता माता,
हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता ॥ ॐ जय..॥
हो प्रभु जय चारौं भ्राता,
हो प्रभु जय हनुमत दासा ।
दोउ कर जोड़े विनवौं,
प्रभु मेरी सुनो बाता ॥ ॐ जय..॥
|| Shri Jankinatha Ji Ki Aarti ||
Om Jay Janakinatha,
Jay Shri Raghunatha.
Dou kar joren binavon,
Prabhu! Suniye bata. Om Jay..
Tum Raghunath hamare,
Pran pita mata.
Tum hi sajjan-sangi,
Bhakti mukti data. Om Jay..
Lakh chaurasi kato,
Meto Yam trasa.
Nishadin Prabhu mohi rakhiye,
Apne hi pasa. Om Jay..
Ram Bharat Lachhiman,
Sang shatruhan bhaiya.
Jagmag jyoti viraje,
Shobha ati lahiya. Om Jay..
Hanumat nad bajavat,
Nevr jhamkata.
Swarnathal kar aarti,
Karat Kaushalya mata. Om Jay..
Subhag mukut sir, dhanu sar,
Kar shobha bhari.
Maniram darshan kari,
Pal-pal balihari. Om Jay..
Jay Janakinatha,
Ho Prabhu jay Shri Raghunatha.
Ho Prabhu jay Sita mata,
Ho Prabhu jay Laxman bhrata. Om Jay..
Ho Prabhu jay charon bhrata,
Ho Prabhu jay Hanumat dasa.
Dou kar jode vinavon,
Prabhu meri suno bata. Om Jay..
Shri Jankinatha Ji Ki Aarti Benefits
श्री जानकीनाथ जी की आरती के लाभ
श्री जानकीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों द्वारा भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा के लिए की जाती है। इस आरती का मुख्य उद्देश्य भगवान को समर्पित भाव से पूजा करना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करना है। इस लेख में, हम श्री जानकीनाथ जी की आरती के लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति
आरती के माध्यम से भक्त भगवान के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करते हैं। यह ध्यान और ध्यान की एक विधि है जो भक्तों को आंतरिक शांति और संतुलन प्रदान करती है। श्री जानकीनाथ जी की आरती से भक्तों को आत्मिक उन्नति का अनुभव होता है, और वे अपने जीवन के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से समझ पाते हैं।
भक्तिवृद्धि और धार्मिकता में वृद्धि
आरती के दौरान भगवान की स्तुति करना और उनकी महिमा गाना भक्तों की भक्ति को बढ़ाता है। यह उन्हें धार्मिकता के मार्ग पर बनाए रखता है और उनकी आत्मा को शुद्ध करता है। इस प्रकार, आरती करने से व्यक्ति की भक्ति और धार्मिकता में वृद्धि होती है।
सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति
आरती करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जब भक्त एक साथ मिलकर आरती करते हैं, तो उनका सामूहिक ध्यान और भक्ति मिलकर एक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करती है। यह मानसिक शांति और संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है, और तनाव को कम करता है।
सौहार्द और सामुदायिक भावना
आरती अक्सर सामूहिक रूप से की जाती है, जो समुदाय के सदस्यों के बीच सौहार्द और सामुदायिक भावना को प्रबल करती है। यह एक सामाजिक समारोह होता है जिसमें सभी लोग एक साथ मिलकर भगवान की पूजा करते हैं और आपसी संबंधों को मजबूत करते हैं।
स्वास्थ्य लाभ
आरती के दौरान बजाए जाने वाले घंटे और अन्य धार्मिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है। इन ध्वनियों से मानसिक तनाव कम होता है और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
समय की पाबंदी और अनुशासन
आरती के नियमित समय से करना भक्तों को समय की पाबंदी और अनुशासन का महत्व सिखाता है। यह दैनिक जीवन में अनुशासन बनाए रखने और समय प्रबंधन में सहायक होता है।
जीवन में सफलता और समृद्धि
भगवान श्रीराम और माता सीता की आरती से आशीर्वाद प्राप्त करना जीवन में सफलता और समृद्धि की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होता है। भक्तों की इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए आरती को एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है।
कर्मों की शुद्धता और पापों का नाश
आरती के माध्यम से भक्त अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और अपने कर्मों की शुद्धता प्राप्त करते हैं। यह ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का एक तरीका है, जो जीवन को पवित्र और शुद्ध बनाता है।
सकारात्मक सोच और मानसिक दृष्टिकोण
आरती करते समय भगवान की महिमा का गान और उनके प्रति समर्पण भक्तों के मानसिक दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाता है। यह उन्हें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति और धैर्य प्रदान करता है।
सर्वभौम जीवन के लिए मार्गदर्शन
आरती करते समय भगवान से मार्गदर्शन प्राप्त करने की भावना होती है। यह भक्तों को जीवन के विभिन्न पहलुओं में सही निर्णय लेने में मदद करती है और उन्हें जीवन की दिशा और उद्देश्य को स्पष्ट करने में सहायक होती है।
श्री जानकीनाथ जी की आरती के लाभ विविध हैं और यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालती है। यह आध्यात्मिक उन्नति, धार्मिकता में वृद्धि, मानसिक शांति, और सामुदायिक भावना को प्रबल करती है। इसके साथ ही, यह स्वास्थ्य लाभ, अनुशासन, सफलता, और पापों की शुद्धता में भी योगदान करती है। आरती का नियमित आयोजन और इस पर विश्वास भक्तों के जीवन को समृद्ध और सुखमय बना सकता है।