राम चालीसा (Ram Chalisa Pdf) एक महत्वपूर्ण भक्ति काव्य है जो भगवान श्रीराम की स्तुति और महिमा का वर्णन करता है। यह चालीसा संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है, जिन्होंने रामचरितमानस जैसे महान ग्रंथ की भी रचना की है। राम चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
राम चालीसा का पाठ करने से भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। इस चालीसा में भगवान राम के जीवन, उनके आदर्शों, और उनके द्वारा स्थापित धर्म की महिमा का वर्णन किया गया है, जिससे व्यक्ति के मन और आत्मा को शांति मिलती है। राम चालीसा का नियमित पाठ भक्तों को आध्यात्मिक शांति, मानसिक बल, और जीवन में सफलताओं की ओर अग्रसर करता है।
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|| राम चालीसा ||
॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं
॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई ॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥
गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई ॥
राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥
फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥
ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥
महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥
सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥
घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥
सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥
इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥
जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥
सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥
जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥
रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥
सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा ॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥
याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥
आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा ॥
और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥
साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥
श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥
राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥
|| Ram Chalisa PDF ||
॥ Doha॥
aadau raam tapovanaadi gamanan hatvaah mrg kaanchanan
vaidehee haranan jataayu maranan sugreev sambhaashanan
baali nirdalan samudr taranan lankaapuree dahanam
pashchadravanan kumbhakarnan hanaanan etaddhi raamaayanan
॥ Chaupaee ॥
shree raghubeer bhakt hitakaaree॥
suni leejai prabhu araj hamaaree॥
nishi din dhyaan dharai jo koee॥
ta sam bhakt aur nahin hoi॥
dhyaan dhare shivajee man maaheen॥
brahma indr paar nahin paahin॥
jay jay jay krpaala॥
sada karo santan pratipaala ॥
doot tumhaara veer hanumaana॥
jaasu prabhaav tihoon pur jaana॥
tuv bhujadand prachand krpaala॥
raavan maari suran pratipaala॥
tum anaath ke naath gosaeen॥
deen ke ho sada sahaee॥
brahmaadik tav paar na paavain॥
sada eesh tumharo yash gaavain॥
chaariu ved bharat hain saakhee॥
tuman bhaktan kee lajja raakhi॥
gun gaavat sharad man maaheen॥
surapati taako paar na paahin ॥ 10॥
naam tumhaara let jo koee॥
ta sam dhany aur nahin hoi॥
raam naam aparampaar hai॥
chaarihu vedan jaahi pukaara ॥
ganapati naam tumharo leenhon॥
tinako pratham poojy tum kinhon॥
shesh ratat nit naam ॥
mahi ko bhaar sheesh par dhaara॥
phool samaan rahat so bhara॥
paavat kou na tummharo paara॥
bharat naam tummharo ur dharo॥
taason kahahun na ran mein haaro॥
naam shatruhan hrday prakaasha॥
sumirat hot shatru kar naasha॥
lashanaafe izozakaaree॥
sada karat santan rakhavaaree॥
taate ran jeete nahin koee॥
yuddh jure yamahoon kin hoi॥
maha lakshmee dhara avataar॥
sab vidhi karat paap ko haara ॥ 20॥
seeta raam puniya gaayo॥
babeeree prabhaavo ॥
ghat son prakat bhee so aaee॥
jaako dekhat chandr laajai॥
so tumare nit palot॥
navo nidhi charanon mein lotat ॥
siddhi terah mangal kaaree॥
so tum par jaavai balihaaree॥
aurahu jo anek prabhutaee॥
so seetaapati tumahin nirmit॥
ichchha te kotin sansaara॥
rachat na laagat pal kee baara ॥
jo tumhaare charanan chit laavai॥
taako mukti avasi ho jaavai॥
sunahu raam tum taat hamaare॥
tumahin bharat kul-poojy prachaare॥
tumahin dev kul dev hamaare॥
tum guru dev praan ke pyaare॥
jo kuchh ho so tumheen raaja॥
jay jay jay prabhu raakho laaja ॥ 30॥
raama aatma poshan haare॥
jay jay jayamishaal ke pyaare ॥
jay jay jay prabhu jyoti svaroopa॥
nigun brahm akhand anupama ॥
saty saty jay saty – brat svaamee॥
saty sanaatan antaryaamee॥
saty bhajan tummharo jo gaavai॥
so saaye chaaron or phal paavai॥
saty shapath gaureepati keenheen॥
ho bhaktahin sab siddhi deenheen॥
gyaan hrday do gyaan svaroopa॥
namo namo jay japati bhoopa॥
dhany dhany tum dhany prataapa॥
naam tumhaara harat santaapa॥
saty shuddh devan mukh gaya॥
baji dundubhi shankh bajaaya ॥
saty saty tum saty sanaatan॥
tumheen ho hamaare tan man dhan॥
yaako paath kare jo koee॥
gyaan prakat taake ur hoee ॥ 40॥
siddhaant mitai tihi kera॥
saty vachan maane shiv mera ॥
aur aas man mein jo lyaavai॥
tulasee aru phool chadhaavai॥
saaga patr so bhog lagaavai॥
so nar sakal siddhata paavai॥
ant samay raghubar pur jaee॥
jahaan janm hari bhakt kahaee॥
shree hari daas kahai aru gaavai॥
so vaikunth dhaam ko paavai॥
॥ Doha॥
saat din jo nem kar paath kare chit laay॥
haridaas harikrpa se avasi bhakti ko paay॥
raam chaaleesa jo padhe raamacharan chit laay॥
jo chaah man mein karai sakal siddh ho jaay॥
Ram Chalisa Lyrics PDF
Ram Chalisa Benefits
राम चालीसा के लाभ
राम चालीसा (Ram Chalisa) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान राम की आराधना और भक्ति को समर्पित है। यह 40 श्लोकों (चालीसा) का एक संग्रह है, जिसे तुलसीदास जी ने लिखा है। राम चालीसा का पाठ करने के कई लाभ होते हैं जो धार्मिक, मानसिक, और सामाजिक पहलुओं पर प्रभाव डालते हैं। नीचे हम इसके लाभों को विस्तार से समझेंगे।
राम चालीसा के लाभ:
भक्ति और श्रद्धा की वृद्धि:
राम चालीसा का पाठ व्यक्ति के दिल में भगवान राम के प्रति असीम श्रद्धा और भक्ति को उत्पन्न करता है। जब लोग नियमित रूप से राम चालीसा का पाठ करते हैं, तो वे भगवान राम की दिव्यता और उनके आदर्शों से प्रेरित होते हैं। इससे व्यक्ति की धार्मिक भावना और आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है।
आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन:
राम चालीसा के नियमित पाठ से मानसिक शांति मिलती है। जब व्यक्ति भगवान राम के गुणों का ध्यान करता है, तो उसकी चिंताओं और मानसिक तनाव में कमी होती है। यह मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति अधिक खुशहाल और संतुष्ट महसूस करता है।
आध्यात्मिक सुरक्षा और सुकून:
राम चालीसा में भगवान राम के विभिन्न गुण और उनकी रक्षा की शक्ति का वर्णन है। इसे पढ़ने से व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक सुरक्षा का अनुभव होता है। यह विश्वास उत्पन्न करता है कि भगवान राम उसके साथ हैं और उसे हर कठिनाई से उबारने की शक्ति रखते हैं।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
राम चालीसा का पाठ करते समय व्यक्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके मंत्रों और श्लोकों के उच्चारण से वातावरण में सकारात्मकता फैलती है, जो व्यक्ति की आत्मिक उन्नति के लिए लाभकारी है।
भय और चिंता से मुक्ति:
राम चालीसा का पाठ व्यक्ति के मन से भय और चिंता को दूर करने में सहायक होता है। भगवान राम की शक्ति और उनकी सुरक्षा के प्रति विश्वास रखने से व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में भी साहस और धैर्य मिलता है।
जीवन में सफलता और समृद्धि:
राम चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान राम की कृपा से व्यक्ति को अपने कर्मों में सफलता प्राप्त होती है और जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलती है।
सकारात्मक सोच और आत्म-विश्वास में वृद्धि:
राम चालीसा के पाठ से व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है और आत्म-विश्वास बढ़ता है। भगवान राम के आदर्शों और उनके जीवन से प्रेरित होकर व्यक्ति अपनी समस्याओं का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है।
धार्मिक अनुष्ठान और पूजा में सहायक:
राम चालीसा को पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष महत्व दिया जाता है। इसे पढ़ने से पूजा का प्रभाव बढ़ता है और भगवान राम की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह धार्मिक अनुष्ठानों को सफल और प्रभावशाली बनाता है।
परिवार में शांति और सौहार्द:
राम चालीसा का पाठ परिवार के सभी सदस्य मिलकर करें, तो इससे घर में शांति और सौहार्द बना रहता है। यह पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करता है और घर में सुख-शांति की भावना को बढ़ाता है।
आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति:
राम चालीसा का पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। भगवान राम की भक्ति से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग सरल होता है। यह व्यक्ति को आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है और उसके जीवन की अंतिम यात्रा को सरल बनाता है।
संपत्ति और धन-वैभव में वृद्धि:
राम चालीसा का पाठ आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में भी सहायक हो सकता है। भगवान राम की कृपा से व्यक्ति को धन, संपत्ति, और वैभव की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है और उसके जीवन में प्रचुरता लाता है।
स्वास्थ्य और दीर्घायु:
राम चालीसा का पाठ स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। भगवान राम की कृपा से व्यक्ति स्वस्थ और दीर्घायु होता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
नैतिक और चारित्रिक सुधार:
राम चालीसा का पाठ व्यक्ति के नैतिक और चारित्रिक गुणों में सुधार लाता है। भगवान राम के आदर्श और उनके जीवन के उदाहरणों से व्यक्ति में ईमानदारी, सत्यता, और नैतिकता की भावना विकसित होती है।
कर्मों के फल को सुधारना:
राम चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति के बुरे कर्मों का प्रभाव कम हो जाता है और अच्छे कर्मों का फल अधिक मिलता है। यह व्यक्ति को अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करता है और उसके जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाता है।
सामाजिक संबंधों में सुधार:
राम चालीसा का पाठ सामाजिक संबंधों में भी सुधार लाता है। व्यक्ति में विनम्रता, सहानुभूति, और समझदारी की भावना बढ़ती है, जिससे उसके सामाजिक रिश्ते मजबूत होते हैं और समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
परिवार के लिए आशिर्वाद:
राम चालीसा का पाठ परिवार के सभी सदस्य मिलकर करें, तो इससे परिवार के लिए विशेष आशिर्वाद प्राप्त होते हैं। यह परिवार में सुख, समृद्धि, और खुशहाली लाने में सहायक होता है।
धार्मिक अडिगता और अनुशासन:
राम चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति में धार्मिक अडिगता और अनुशासन को बढ़ावा देता है। यह व्यक्ति को नियमित पूजा-पाठ की आदत डालता है और धार्मिक अनुशासन को बनाए रखता है।
संकटों का समाधान:
राम चालीसा का पाठ संकटों और कठिनाइयों से उबरने में मदद करता है। भगवान राम की कृपा से व्यक्ति की समस्याओं का समाधान होता है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाता है।
आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन:
राम चालीसा व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन करता है। यह उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और उसके आध्यात्मिक उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता करता है।
प्रेरणा और उत्साह:
राम चालीसा का पाठ व्यक्ति को जीवन में प्रेरणा और उत्साह प्रदान करता है। भगवान राम के आदर्शों और उनकी शक्ति से प्रेरित होकर व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाता है।
राम चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन को एक नई दिशा और अर्थ प्रदान करता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि मानसिक, सामाजिक, और भौतिक लाभ भी प्रदान करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति भगवान राम की भक्ति और कृपा का अनुभव करता है और अपने जीवन को सुधारने के प्रयास में लगा रहता है।