श्री राम रक्षा स्तोत्रम् (Ram Raksha Stotra) एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है, जिसकी रचना महर्षि बुधकौशिक ने की थी। यह स्तोत्र भगवान श्रीराम की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से गाया जाता है। श्री राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और आदर्श मानव के रूप में उनकी प्रतिष्ठा है। उनके नाम का स्मरण करने मात्र से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के कष्ट और संकट दूर होते हैं। आप यहाँ पर सूर्य आदित्य हृदय स्तोत्रम् | श्री हनुमान चालीसा | श्री काल भैरव अष्टकम् | श्री नारायण कवच भी पढ़ सकते हैं
“राम” नाम स्वयं में एक मंत्र है, जो ध्यान, भक्ति और आत्मशांति का प्रतीक है। श्री राम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ नियमित रूप से करने से भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्राप्त होती है। इस स्तोत्र में भगवान राम के विभिन्न रूपों और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है, जो साधक को जीवन के विभिन्न संकटों से उबारने में सहायक होता है।
श्री राम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है, जो जीवन में भय, अशांति और कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं। यह स्तोत्र रामभक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है और इसे दैनिक रूप से श्रद्धा के साथ पढ़ने पर जीवन में अद्भुत परिवर्तन और सुरक्षा का अनुभव होता है।
Ram Raksha Stotram Lyrics
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Ram Raksha Stotra in Hindi
॥ श्री राम रक्षा स्तोत्रम् लिखित॥
श्रीगणेशायनम:।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य।
बुधकौशिक ऋषि:।
श्रीसीतारामचन्द्रो देवता
अनुष्टुप् छन्द:।
सीता शक्ति:।
श्रीमद्हनुमान् कीलकम्।
श्रीसीतारामचन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग:॥
– अथ ध्यानम –
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं।
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्॥
वामाङ्कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचन्द्रम्॥
– इति ध्यानम् –
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम्॥2॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्॥3॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज:॥4॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल:॥5॥
जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित:।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक:॥6॥
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय:॥7॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु:।
ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्॥8॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक:।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु:॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत्।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्॥10॥
पाताल-भूतल-व्योम-चारिणश्छद्मचारिण:।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि:॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापै: भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥12॥
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम्।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय:॥13॥
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमङ्गलम्॥14॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक:॥15॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु:॥16॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ॥17॥
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥18॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ॥19॥
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशावक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत:पथि सदैव गच्छताम्॥20॥
संनद्ध: कवचीखड्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन् मनोरथोSस्माकंराम: पातु सलक्ष्मण:॥21॥
रामो दाशरथि: शूरोलक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण:कौसल्येयो रघूत्तम:॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम:॥23॥
इत्येतानि जपेन्नित्यंमद्भक्त: श्रद्धयान्वित:।
अश्वमेधाधिकं पुण्यंसम्प्राप्नोति न संशय:॥24॥
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर:॥25॥
रामं लक्ष्मण-पूर्वजंरघुवरं सीतापतिं सुंदरं।
काकुत्स्थं करुणार्णवंगुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्।
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथ-तनयंश्यामलं शान्तमूर्तिं।
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकंराघवं रावणारिम्॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:॥27॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥28॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥29॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र:।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र:।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥30॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्॥31॥
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरंराजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरन्तंश्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥32॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगंजितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यंश्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥33॥
कूजन्तं राम-रामेतिमधुरं मधुराक्षरम्।
आरुह्य कविताशाखांवन्दे वाल्मीकिकोकिलम्॥34॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥35॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्॥36॥
रामो राजमणि: सदाविजयते रामं रमेशं भजे।
रामेणाभिहता निशाचरचमूरामाय तस्मै नम:।
रामान्नास्ति परायणं परतरंरामस्य दासोऽस्म्यहम्।
रामे चित्तलय: सदा भवतुमे भो राम मामुद्धर॥37॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥38॥
॥ इति श्रीबुधकौशिकमुनिविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ Shri Rama Raksha Stotram ॥
Shri Ganeshaya-namah।
Asya Shri Ramraksha-stotra-mantrasya।
Budhakaushika Rishih।
Shri Sitaramachandro Devata।
Anushtup Chhandah।
Sita Shaktih।
Shrimadhanuman Kilakam।
Shri Sitaramachandra-prityarthe Jape Viniyogah॥
– Atha Dhyanama –
Dhyayedajanubahum Dhritashara-dhanusham Baddhapadmasanastham।
Pitam Vaso Vasanam Navakamala-dalaspardhinetram Prasannam
Vamankarudha-sita-mukhakamala-milallochanam Niradabham।
Nanalankaradiptam Dadhatamurujata-mandanam Ramachandram॥
– Iti Dhyanam –
Charitam Raghunathasya Shatakotipravistaram।
Ekaikamaksharam Punsam Mahapataka-nashanam॥1॥
Dhyatva Nilotpalashyamam Ramam Rajivalochanam।
Janakilakshmanopetam Jatamukutamanditam॥2॥
Sasituna-dhanurbanapanim Naktam Charantakam।
Svalilaya Jagattratumavirbhutamajam Vibhum॥3॥
Ramaraksham Pathetpragyah Papaghani Sarvakamadam।
Shiro Me Raghavah Patu Bhalam Dasharathatmajah॥4॥
Kausalyeyo Drishau Patu Vishvamitrapriyah Shruti।
Ghranam Patu Makhatrata Mukham Saumitrivatsalah॥5॥
Jivham Vidyanidhih Patu Kantham Bharata-vanditah।
Skandhau Divyayudhah Patu Bhujau Bhagneshkarmukah॥6॥
Karau Sitapatih Patu Hridayam Jamadagnyajit।
Madhyam Patu Kharadhvansi Nabhim Jambavadashrayah॥7॥
Sugriveshah Kati Patu Sakthini Hanumatprabhuh।
Uru Raghuttamah Patu Rakshah Kulavinashkrit॥8॥
Januni Setukritpatu Janghe Dashamukhantakah।
Padau Bibhishanashridh Patu Ramoskhilam Vapuh॥9॥
Etam Ramabalopetam Raksham Yah Sukriti Pathet।
Sa Chirayuh Sukhi Putri Vijayi Vinayi Bhaveta॥10॥
Patala-Bhutala-Vyoma-Charinashchadmacharinah।
Na Drashtumapi Shaktaste Rakshitam Ramanamabhih॥11॥
Rameti Ramabhadreti Ramachandreti Va Smaran।
Naro Na Lipyate Papaih Bhukti Muktim Cha Vindati॥12॥
Jagajjetraikamantrena Ramanamna-bhirakshitam।
Yah Kanthe Dharayettasya Karasthah Sarvasiddhayah॥13॥
Vajrapanjaranamedam Yo Ramakavacham Smaret।
Avyahatagyah Sarvatra Labhate Jayamangalam॥14॥
Adishtavan Yatha Svapne Ramarakshamima Harah।
Tatha Likhitavan Pratah Prabuddho Budhakaushikah॥15॥
Aramah Kalpavrikshanam Viramah Sakalapadam।
Abhiramastrilokanam Ramah Shriman Sa Nah Prabhuh॥16॥
Tarunau Rupasampannau Sukumarau Mahabalau।
Pundarika-vishalakshau Chirakrishnajinambarau॥17॥
Phalmulashinau Dantau Tapasau Brahmacharinau।
Putrau Dasharatha-syaitau Bhratarau Ramalakshmanau॥18॥
Sharanyau Sarvasatvanam Shreshthau Sarvadhanushmatam।
Rakshah Kulanihantarau Trayetam No Raghuttamau॥19॥
Attasajjadhanusha VishusprishaVakshaya Shuganishanga Sandiganau।
Rakshanaya Mama RamalakshmanavagratahPathi Sadaiva Gachchhatam॥20॥
Sannaddhah KavachiKhadgi Chapabanadharo Yuva।
Gachchhan ManorathoasmakamRamah Patu Salakshmanah॥21॥
Ramo Dasharathih ShuroLakshmananucharo Bali।
Kakutsthah Purushah PurnahKausalyeyo Raghuttamah॥22॥
Vedantavedayo Yagyeshah Puranapurushottamah।
Janakivallabhah Shrimanaprameya-parakramah॥23॥
Ityetani JapennityamMadbhaktah Shraddhayanvitah।
Ashvamedhadhikam PunyamSamprapnoti Na Sanshayah॥24॥
Ramam Durvadalashyam Padmaksham Pitavasasam।
Stuvanti Namabhirdivyairna Te Sansarino Narah॥25॥
Ramam Lakshmana-PurvajamRaghuvaram Sitapatim Sundaram।
Kakutstham KarunarnavamGunanidhim Viprapriyam Dharmikam।
Rajendram Satyasandham Dasharatha-TanayamShyamalam Shantamurtim।
Vande Lokabhiramam RaghukulatilakamRaghavam Ravanarim॥26॥
Ramaya Ramabhadraya Ramachandraya Vedhase।
Raghunathaya Nathaya Sitayah Pataye Namah॥27॥
Shrirama Rama Raghunandana Rama Rama।
Shrirama Rama Bharatagraja Rama Rama।
Shrirama Rama Ranakarkasha Rama Rama।
Shrirama Rama Sharanam Bhava Rama Rama॥28॥
Shriramachandra-charanau Manasa Smarami।
Shriramachandra-charanau Vachasa Grinami।
Shriramachandra-charanau Shirasa Namami।
Shriramachandra-charanau Sharanam Prapadye॥29॥
Mata Ramo Matpita Ramachandrah।
Svami Ramo Matsakha Ramachandrah।
Sarvasvam Me Ramachandro Dayalur।
Nanyam Jane Naiva Jane Na Jane॥30॥
Dakshine Lakshmano Yasya Vame Cha Janakatmaja।
Purato Marutirayasya Tam Vande Raghunandanam॥31॥
Lokabhirama RanarangadhiramRajivanetram Raghuvanshanatham।
Karunyarupam KarunakarantamShriramachandram Sharanam Prapadye॥32॥
Manojavam MarutatulyavegamJitendriyam Buddhimatam Varishtham।
Vatatmajam VanarayuthamukhyamShriramadutam Sharanam Prapadye॥33॥
Kujantam Rama-RametiMadhuram Madhuraksharam।
Aruhya KavitashakhamVande Valmiki-kokilam॥34॥
Apadamapahartaram Dataram Sarvasampadam।
Lokabhiramam Shriramam Bhuyo Bhuyo Namamyaham॥35॥
Bharjanam Bhavabijana-marjanam Sukhasampadam।
Tarjanam Yamadutanam Ramarameti Garjanam॥36॥
Ramo Rajamanih SadaVijayate Ramam Ramesham Bhaje।
Ramenabhihata NishacharachamuRamaya Tasmai Namah।
Ramannasti Parayanam ParataramRamasya Dasoasmyaham।
Rame Chittalayah Sada BhavatuMe Bho Rama Mamuddhara॥37॥
Rama Rameti Rameti Rame Rame Manorame।
Sahasranama Tattulyam Ramanama Varanane॥38॥
॥ Iti Shribudhakaushikamunivirachitam Shriramaraksha Stotram Sampurnam ॥
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Shree Ram Raksha Stotram Benefits
श्री राम रक्षा स्तोत्रम् का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इसे भगवान श्री राम की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए एक सशक्त साधन माना जाता है। यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन के सभी प्रकार के संकटों, कष्टों और भय से रक्षा करता है।
- सुरक्षा का कवच: “रक्षा” शब्द ही बताता है कि यह स्तोत्र भगवान राम के आशीर्वाद से भक्त को हर प्रकार की विपत्ति और संकट से बचाता है। इसे एक दैवीय कवच की तरह माना जाता है, जो हर विपरीत परिस्थिति में भी व्यक्ति को सुरक्षित रखता है।
- भय और संकट से मुक्ति: श्री राम रक्षा स्तोत्रम् का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति के मन में छिपे सभी भय दूर हो जाते हैं। यह स्तोत्र मानसिक शांति प्रदान करता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
- मानसिक और आत्मिक शांति: भगवान राम के नाम का स्मरण करने और इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को मानसिक शांति मिलती है। यह ध्यान और भक्ति का श्रेष्ठ माध्यम है, जिससे व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है।
- कर्मों का शुद्धिकरण: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से नकारात्मक विचार, दु:ख, और दुखद घटनाओं से मुक्ति मिलती है। यह व्यक्ति के विचारों और कर्मों को शुद्ध करता है।
- ईश्वरीय कृपा और सफलता: श्री राम रक्षा स्तोत्रम् व्यक्ति के जीवन में भगवान राम की अनुकंपा लाता है, जिससे वह जीवन में स्थायित्व, समृद्धि और सफलता प्राप्त करता है।
इस प्रकार, श्री राम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ भक्तों के लिए आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति और ईश्वरीय सुरक्षा प्राप्त करने का अद्वितीय माध्यम है।
FAQs – श्री राम रक्षा स्तोत्रम्
राम रक्षा स्तोत्र मंत्र क्या है?
राम रक्षा स्तोत्र एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसकी रचना महर्षि बुधकौशिक ने भगवान श्रीराम की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए की थी। इसमें भगवान राम के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन है, जो भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ सुबह या शाम के समय, शुद्ध मन और शुद्ध स्थान पर बैठकर करना चाहिए। हालांकि, इसका पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) का समय विशेष फलदायी माना जाता है।
राम रक्षा स्तोत्र में कितने श्लोक हैं?
राम रक्षा स्तोत्र में कुल 38 श्लोक होते हैं। ये श्लोक भगवान राम के विभिन्न गुणों और लीलाओं का गुणगान करते हैं और साथ ही उनकी कृपा और रक्षा की प्रार्थना भी करते हैं।
राम रक्षा स्तोत्र के रचयिता कौन थे?
राम रक्षा स्तोत्र के रचयिता महर्षि बुधकौशिक थे। उन्होंने भगवान शिव के आशीर्वाद से इस स्तोत्र की रचना की थी, जिसे भगवान राम की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
राम जी का प्रिय मंत्र कौन सा है?
भगवान राम का प्रिय मंत्र “श्री राम जय राम जय जय राम” है। यह मंत्र भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है और इसे ध्यान, पूजा, और भक्ति के समय जपने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
राम जी का मूल मंत्र क्या है?
भगवान राम का मूल मंत्र “राम” है। इस एकाक्षरी मंत्र का जप अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है और इसे नियमित रूप से जपने से भक्त को शांति, भक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।