पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa Pdf) माँ पार्वती को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह चालीसा देवी पार्वती के गुणों, लीलाओं और महिमा का वर्णन करती है और उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाई जाती है। आप हमारी वेबसाइट से श्री सरस्वती चालीसा | श्री दुर्गा चालीसा | साई चालीसा | हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
पार्वती चालीसा की शुरुआत में माँ पार्वती का ध्यान किया जाता है, फिर उनके विभिन्न रूपों और अवतारों का वर्णन होता है। माँ पार्वती को शक्ति, सौंदर्य, और करुणा की देवी माना जाता है और वे भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं। यह चालीसा न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है, बल्कि उन्हें माँ पार्वती की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में भी मदद करती है।
पार्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इसे भक्तों द्वारा सुबह और शाम दोनों समय गाया जा सकता है, विशेष रूप से नवरात्रि, शिवरात्रि और अन्य विशेष त्योहारों और पूजाओं के अवसर पर।
Parvati Chalisa Lyrics in Hindi / English
- हिंदी / संस्कृत
- English
|| पार्वती चालीसा ||
॥ दोहा ॥
जय गिरी तनये दक्षजे
शम्भू प्रिये गुणखानि ।
गणपति जननी पार्वती
अम्बे! शक्ति! भवानि ॥
॥ चौपाई ॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे ।
पंच बदन नित तुमको ध्यावे ॥
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो ।
सहसबदन श्रम करत घनेरो ॥
तेऊ पार न पावत माता ।
स्थित रक्षा लय हिय सजाता ॥
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे ।
अति कमनीय नयन कजरारे ॥
ललित ललाट विलेपित केशर ।
कुंकुंम अक्षत शोभा मनहर ॥
कनक बसन कंचुकि सजाए ।
कटी मेखला दिव्य लहराए ॥
कंठ मदार हार की शोभा ।
जाहि देखि सहजहि मन लोभा ॥
बालारुण अनंत छबि धारी ।
आभूषण की शोभा प्यारी ॥
नाना रत्न जड़ित सिंहासन ।
तापर राजति हरि चतुरानन ॥
इन्द्रादिक परिवार पूजित ।
जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ॥ 10
गिर कैलास निवासिनी जय जय ।
कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय ॥
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी ।
अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ॥
हैं महेश प्राणेश तुम्हारे ।
त्रिभुवन के जो नित रखवारे ॥
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब ।
सुकृत पुरातन उदित भए तब ॥
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी ।
महिमा का गावे कोउ तिनकी ॥
सदा श्मशान बिहारी शंकर ।
आभूषण हैं भुजंग भयंकर ॥
कण्ठ हलाहल को छबि छायी ।
नीलकण्ठ की पदवी पायी ॥
देव मगन के हित अस किन्हो ।
विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो ॥
ताकी तुम पत्नी छवि धारिणी ।
दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ॥
देखि परम सौंदर्य तिहारो ।
त्रिभुवन चकित बनावन हारो ॥ 20
भय भीता सो माता गंगा ।
लज्जा मय है सलिल तरंगा ॥
सौत समान शम्भू पहआयी ।
विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ॥
तेहि कों कमल बदन मुरझायो ।
लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो ॥
नित्यानंद करी बरदायिनी ।
अभय भक्त कर नित अनपायिनी ॥
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी ।
माहेश्वरी हिमालय नन्दिनी ॥
काशी पुरी सदा मन भायी ।
सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी ॥
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री ।
कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ॥
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे ।
वाचा सिद्ध करि अवलम्बे ॥
गौरी उमा शंकरी काली ।
अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ॥
सब जन की ईश्वरी भगवती ।
पतिप्राणा परमेश्वरी सती ॥ 30
तुमने कठिन तपस्या कीनी ।
नारद सों जब शिक्षा लीनी ॥
अन्न न नीर न वायु अहारा ।
अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा ॥
पत्र घास को खाद्य न भायउ ।
उमा नाम तब तुमने पायउ ॥
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे ।
लगे डिगावन डिगी न हारे ॥
तब तब जय जय जय उच्चारेउ ।
सप्तऋषि निज गेह सिद्धारेउ ॥
सुर विधि विष्णु पास तब आए ।
वर देने के वचन सुनाए ॥
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों ।
चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों ॥
एवमस्तु कही ते दोऊ गए ।
सुफल मनोरथ तुमने लए ॥
करि विवाह शिव सों भामा ।
पुनः कहाई हर की बामा ॥
जो पढ़िहै जन यह चालीसा ।
धन जन सुख देइहै तेहि ईसा ॥ 40
॥ दोहा ॥
कूटि चंद्रिका सुभग शिर,
जयति जयति सुख खानि
पार्वती निज भक्त हित,
रहहु सदा वरदानि ।
॥ इति श्री पार्वती चालीसा ॥
Parvati Chalisa PDF in English
॥ Doha ॥
jay giree tanaye dakshaje
shambhoo priye gunakhaani ॥
ganapati jananee paarvatee
ambe! shakti! bhavaanee ॥
॥ Chaupai ॥
brahma bhed na tummharo paave ॥
panchabandan nit tumako dhyaave ॥
shadmukh kahi na sakat yash tero ॥
sahasabadan shram karat ghanero ॥
teu paar na paavat maata ॥
sthit raksha lay hay sajaata ॥
adhar pravaal sadrsh arunaare ॥
ati kaamanaay nayan kajaraare ॥
lalit lailaat vilepit keshar ॥
kunkum akshat sobha manahar ॥
kanak basan kanchuki dande ॥
katee mekhala divy prakate ॥
kanth madaar haar kee shobha ॥
jaahi dekhi sahajahi man lobha ॥
baalaarun anant chhabee daaree ॥
aabhooshanon kee shobha pyaaree ॥
naana ratnajatit sinhaasan ॥
taapar raajati hari chaturaanan ॥
indraadik parivaar poojit ॥
jag mrg naag yaksh rav kujit ॥10 ॥
gir kailaas nivaasinee jay jay ॥
kotik prabha vikaasinee jay jay ॥
tribhuvan sakal kutumb tihaaree ॥
ati atyan mahan vivaah ujiyaaree ॥
hain mahesh praneshaphe ॥
tribhuvan ke jo nit rakhavaare ॥
unaso pati tumhen praapt kinh jab ॥
sukrt puraan udit bhe tab ॥
boodha bail prototaip ॥
mahima ka gaave kooo tinakee ॥
sadaabahaar shmashaan bihaaree shankar ॥
aabhooshan hain bhujang bhayankar ॥
kanth halaahal ko chhabi chhaayee ॥
neelakanth kee padavee khoj ॥
dev magan ke hit as kinho ॥
vish aap laiu tinahi ami dinho ॥
taakee tumhaaree patnee chhavi dhaarinee ॥
durit vidaarinee mangal kaarinee ॥
dekhi param saundary tihaaro ॥
tribhuvan chakit banaavan haaro ॥20 ॥
bhay bheeta so maata ganga ॥
lajja may hai salil taranga ॥
saut samaan shambhoo pahaayee ॥
vishnu padabaj chhodi so dhaayi ॥
tehi kon kamal badan murajhaayo ॥
lakkhee satvar shiv sheesh chaadayo ॥
nityaanand kari baradaayinee ॥
abhay bhakt kar nit anapaayinee ॥
sampoorn paap trayataap nikandinee ॥
maaheshvaree himaalay nandinee ॥
kaashee puree sada man bhaayee ॥
siddh prshn tehi aapu bagena ॥
bhagavatee dainik bhiksha daatree ॥
krpa raam saneh vidhaatree ॥
ripukshay kaarinee jay jay ambe ॥
vaacha siddh kari avalambe ॥
gauree uma shankaree kaalee ॥
annapoorna jag pratipaalee ॥
sab jan kee eeshvaree bhagavatee ॥
patipraana bhagavaanee satee ॥30 ॥
too kathin tapasya keenee ॥
naarad son jab shiksha leenee ॥
ann na neer na vaayu ahaara ॥
asthi maraatan bhayu gareeb ॥
patr ghaas ko bhojan na bhayau ॥
uma naam tab ho paayau ॥
tap biloki rshi saat padhaare ॥
laage digaavan digee na haare ॥
tab tab jay jay jay uraareu ॥
saptrshi nij geh siddhaareu ॥
sur vishnu paas tab aaen ॥
var dene ke vachan sunae ॥
majhuma var pati tum tinason ॥
chaahat jag tribhuvan nidhi jinson ॥
evamastu kahi te dou gaye ॥
suphal manorath maange ॥
kari vivaah shiv son bhaama ॥
punah kahaay har kee baama ॥
jo padhihai jan yah chaaleesa ॥
dhan jan sukh deihai tehi eesa ॥40 ॥
॥ Doha ॥
kutee chandrika subhag shree,
jayati jayati sukh khaani
paarvatee nij bhakt hit,
rahahu sada bhooshanee ॥
॥ iti shree paarvatee chaaleesa ॥
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पार्वती चालीसा के 40 श्लोक
पार्वती चालीसा के 40 श्लोक विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हैं, जैसे देवी पार्वती की विशेषताएं, उनके दिव्य कार्य, और भक्तों की समस्याओं को दूर करने की उनकी शक्ति। इन श्लोकों में देवी पार्वती की पूजा की विधियाँ, उनके प्रति श्रद्धा और आस्था, और उनकी विशेष कृपा प्राप्त करने के उपाय शामिल हैं।
श्लोक 1-10: देवी पार्वती की महिमा
पहले दस श्लोक देवी पार्वती की दिव्य महिमा का वर्णन करते हैं। इनमें उनकी शक्ति, सौंदर्य, और उनके दिव्य गुणों का विशद विवरण होता है। इन श्लोकों में देवी पार्वती के रूप और स्वरूप की पूजा की जाती है और उनके प्रति भक्ति और सम्मान प्रकट किया जाता है।
श्लोक 11-20: भक्तों की समस्याओं का समाधान
अगले दस श्लोक उन भक्तों के लिए हैं जो देवी पार्वती से व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान चाहते हैं। इन श्लोकों में समस्याओं के समाधान के लिए देवी पार्वती से प्रार्थना की जाती है, और उनके आशिर्वाद प्राप्त करने के उपाय बताए जाते हैं।
श्लोक 21-30: पार्वती की विशेष कृपा
इस खंड में, देवी पार्वती की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के उपायों का वर्णन किया गया है। इन श्लोकों में उनकी दया, प्रेम, और भक्ति की शक्ति को समझाया गया है, और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के तरीके बताए गए हैं।
श्लोक 31-40: आराधना और उपासना की विधियाँ
अंतिम दस श्लोक देवी पार्वती की आराधना और उपासना की विधियों पर केंद्रित हैं। इनमें पूजा की विधि, भजन और आरती का विवरण है, जो भक्तों को सही तरीके से देवी पार्वती की पूजा करने में मदद करता है।
पार्वती चालीसा का पाठ विधि
पार्वती चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ विशेष विधियाँ हैं जिन्हें अनुसरण करना चाहिए:
- स्नान और स्वच्छता: पूजा करने से पहले स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है। स्नान करें और पवित्र वस्त्र पहनें।
- पाठ स्थान की सजावट: एक स्वच्छ स्थान पर देवी पार्वती की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और उसे फूल, दीपक, और फल अर्पित करें।
- शांति और एकाग्रता: पाठ करते समय मन को शांत रखें और पूरी एकाग्रता के साथ चालीसा का पाठ करें।
- पाठ विधि: चालीसा को अपने स्वर में पढ़ें और हर श्लोक को ध्यानपूर्वक समझते हुए पाठ करें।
- आरती और भजन: पाठ समाप्त करने के बाद देवी पार्वती की आरती करें और भजन गाएँ।
पार्वती चालीसा का महत्व
पार्वती चालीसा का पाठ भक्तों के जीवन में अनेक प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है:
स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए देवी पार्वती की पूजा से लाभ होता है।
मन की शांति: नियमित पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव दूर होता है।
सुख और समृद्धि: देवी पार्वती की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
परिवार में Harmony: पार्वती चालीसा के पाठ से पारिवारिक जीवन में शांति और सामंजस्य बना रहता है।
Parvati Chalisa Benefits
पार्वती चालीसा के लाभ
पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa Pdf) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो देवी पार्वती की महिमा और उपासना के लिए रचा गया है। इसे पढ़ने और सुनने से अनेक लाभ होते हैं, जिनका उल्लेख इस लेख में किया जाएगा।
मानसिक शांति और ध्यान:
पार्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसे पढ़ते समय व्यक्ति ध्यानमग्न हो जाता है और उसका मन शांत हो जाता है। इससे तनाव और चिंता में कमी आती है और मानसिक संतुलन बना रहता है।
आध्यात्मिक उन्नति:
पार्वती चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह चालीसा देवी पार्वती की महिमा का गुणगान करती है, जिससे भक्त के हृदय में भक्ति और श्रद्धा का संचार होता है। इससे आत्मज्ञान और आत्मविकास की प्राप्ति होती है।
समस्याओं का समाधान:
पार्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान मिलता है। देवी पार्वती को संकटमोचक माना जाता है, और उनकी कृपा से भक्त के जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं। आर्थिक, स्वास्थ्य, पारिवारिक या किसी भी प्रकार की समस्या हो, पार्वती चालीसा का पाठ करने से समाधान मिल सकता है।
सकारात्मक ऊर्जा:
पार्वती चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह चालीसा सकारात्मक विचारों और भावनाओं का संचार करती है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
कुटुंब में सुख-शांति:
पार्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। देवी पार्वती को गृहलक्ष्मी माना जाता है, और उनकी उपासना से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है। परिवार के सदस्य एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखते हैं।
मनोकामनाओं की पूर्ति:
पार्वती चालीसा का पाठ करने से भक्त की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। देवी पार्वती को वरदायिनी माना जाता है, और उनकी कृपा से भक्त की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। चाहे वह विवाह, संतान, नौकरी या किसी भी अन्य इच्छा की पूर्ति हो, पार्वती चालीसा का पाठ करने से वह पूरी हो सकती है।
स्वास्थ्य लाभ:
पार्वती चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य लाभ भी होता है। देवी पार्वती को औषधियों की देवी माना जाता है, और उनकी कृपा से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। नियमित रूप से पार्वती चालीसा का पाठ करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
आत्मबल और धैर्य:
पार्वती चालीसा का पाठ करने से आत्मबल और धैर्य की प्राप्ति होती है। यह चालीसा देवी पार्वती की अपार शक्ति और धैर्य का गुणगान करती है, जिससे भक्त में भी ये गुण उत्पन्न होते हैं। इससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना साहस और धैर्य के साथ कर पाता है।
अध्यात्मिक संबंध:
पार्वती चालीसा का पाठ करने से देवी पार्वती के साथ भक्त का गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित होता है। इससे भक्त को देवी की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, जिससे उसका जीवन सुखमय और सफल होता है।
नकारात्मक शक्तियों से रक्षा:
पार्वती चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। देवी पार्वती को शक्ति और सुरक्षा की देवी माना जाता है, और उनकी कृपा से भक्त सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बुरी दृष्टि से सुरक्षित रहता है।
FAQs – पार्वती चालीसा – Parvati Chalisa
1. पार्वती का मंत्र क्या है?
पार्वती माता का एक प्रसिद्ध मंत्र है:
“ॐ ह्रीं क्लीं महादुर्गायै नमः”
इस मंत्र का जाप करने से देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र उनके शक्ति रूप, महादुर्गा, की स्तुति करता है। पार्वती का यह मंत्र साधकों को शक्ति, साहस, और आंतरिक शांति प्रदान करता है। इसके नियमित जाप से भक्तों को मानसिक शांति और संकटों से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से, यदि कोई व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों या समस्याओं का सामना कर रहा हो, तो इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। इस मंत्र के साथ एकाग्रता और भक्ति का होना अनिवार्य है, क्योंकि पार्वती जी भक्तों की सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न होती हैं। जाप के दौरान मन को शांत रखना और नियमित रूप से देवी की उपासना करना आवश्यक होता है। पार्वती माता के मंत्र का जाप किसी भी शुभ अवसर, विशेष पूजा, या रोजमर्रा के जीवन में किया जा सकता है।
2. पार्वती देवी को खुश कैसे करें?
पार्वती देवी को खुश करने के लिए सच्चे मन से उनकी पूजा और भक्ति करनी चाहिए। उनकी कृपा पाने के लिए भक्त को विनम्रता और श्रद्धा के साथ उनके नामों का जप करना चाहिए। नियमित रूप से शिव-पार्वती की पूजा करने से देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं। उन्हें लाल फूल, खासकर कमल और गुड़हल, अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से, सोमवार का दिन देवी पार्वती की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह दिन उनके पति भगवान शिव को समर्पित है। पार्वती माता को सोलह श्रृंगार प्रिय हैं, इसलिए पूजा के दौरान उन्हें सुहाग का सामान, जैसे चूड़ियां, सिंदूर, और बिंदी, अर्पित करने से वह प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही, माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से शिव चालीसा या दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
3. पार्वती जी को क्या पसंद है?
पार्वती जी को सोलह श्रृंगार और महिलाओं का सौंदर्य प्रतीक बहुत प्रिय है। उन्हें लाल रंग के वस्त्र, चूड़ियां, सिंदूर, और बिंदी विशेष रूप से पसंद हैं। पार्वती माता को लाल फूल, जैसे कि गुड़हल और कमल, अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। उन्हें दूध और शहद से बनी मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं। इसके अलावा, माता पार्वती को बेलपत्र और कुमकुम भी चढ़ाया जा सकता है। उनकी आराधना में शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करना भी विशेष फलदायी माना जाता है। माता पार्वती को सुहाग का प्रतीक, जैसे कि लाल चूड़ियां, चुनरी, और सिंदूर, अर्पित करने से वह विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। उनके प्रिय भोगों में खीर, मिठाई, और फल शामिल होते हैं।
4. पार्वती का असली रूप क्या है?
पार्वती देवी का असली रूप एक करुणामयी, मातृस्वरूपा देवी के रूप में है, जो सृष्टि की शक्ति और पालनकर्ता हैं। वह प्रेम, करुणा, और सौंदर्य की देवी मानी जाती हैं, लेकिन उनके कई रूप और अवतार भी हैं। देवी पार्वती का सबसे शांत और सौम्य रूप “गौरी” के रूप में प्रसिद्ध है, जहां उन्हें स्नेह, ममता और परिवार का प्रतीक माना जाता है। इसके विपरीत, उनके उग्र और शक्तिशाली रूपों में “दुर्गा” और “काली” भी शामिल हैं, जो दुष्टों का नाश करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। पार्वती को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और सृजन, पालन, और विनाश की शक्ति को संतुलित करती हैं। उनका सौम्य और उग्र रूप दोनों ही जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं, जिससे वे मातृशक्ति और युद्ध की देवी दोनों के रूप में पूजी जाती हैं।
5. पार्वती के 108 नाम कौन से हैं?
पार्वती देवी के 108 नाम उनके विभिन्न गुणों, शक्तियों और रूपों को दर्शाते हैं। इन नामों में से कुछ प्रमुख नाम हैं: शिवा, महेश्वरी, गौरी, दुर्गा, काली, शिवप्रिया, शिवाननी, सती, अंबिका, चंडी, जगदंबा, कात्यायनी, भवानी, उमा, और शैलपुत्री। पार्वती के 108 नाम उनके विविध स्वरूपों को प्रतिबिंबित करते हैं और हर नाम उनकी महिमा और शक्ति का परिचायक है। प्रत्येक नाम उनकी विभिन्न भूमिकाओं को व्यक्त करता है, जैसे कि प्रेममयी माता, शक्ति का अवतार, और विनाशकारी शक्ति। इन नामों के जप से भक्तों को आंतरिक शांति, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। पार्वती के विभिन्न नाम उनके भक्तों के लिए उनकी असीम कृपा और शक्ति का प्रतीक हैं।
6. पार्वती की जाति क्या है?
पार्वती देवी को पौराणिक कथाओं में एक राजकुमारी के रूप में वर्णित किया गया है, जो हिमालय के राजा हिमावन और रानी मैना की पुत्री थीं। इसलिए, पार्वती का संबंध एक राजपरिवार से है, और उनका जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। उनका विवाह भगवान शिव से हुआ, जो तपस्वी और सृष्टि के विनाशकर्ता हैं। पार्वती का जीवन और उनके विभिन्न रूप, जैसे सती, दुर्गा, और काली, यह दर्शाते हैं कि वह समाज में हर वर्ग और जाति से ऊपर हैं। उन्हें माता के रूप में सभी जातियों और समाजों में समान रूप से पूजा जाता है। पार्वती देवी शक्ति और प्रेम की प्रतीक हैं, जो जाति और वर्ग की सीमाओं से परे हैं। उनकी पूजा हर वर्ग के लोग श्रद्धा और भक्ति से करते हैं, और उन्हें सृष्टि की शक्ति और पालनहार माना जाता है।