श्री कृष्णाष्टकम् (Krishnashtakam – Bhaje Vrajaik Maṇḍanam) एक ऐसा पावन स्तोत्र है जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और उनकी लीलाओं का वर्णन करता है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों का संग्रह है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों, गुणों और उनके भक्तों के प्रति उनकी करुणा का चित्रण किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, भक्ति की वृद्धि और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
श्री कृष्णाष्टकम् का आरंभ भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की स्तुति से होता है। इसमें व्रज के बालकों के साथ उनकी क्रीड़ाओं का वर्णन है। उनके मुख की मधुर मुस्कान, गोपियों के प्रति उनकी स्नेहपूर्ण दृष्टि, और उनकी बांसुरी की धुन का सजीव चित्रण किया गया है। यह स्तोत्र भगवान के उन सुंदर क्षणों को याद दिलाता है जब वे अपने बाल सखाओं के साथ यमुना के तट पर खेलते थे और गोपियों के मन को मोह लेते थे।
भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता का वर्णन करते हुए, यह स्तोत्र उनके अद्भुत पराक्रम और शौर्य का भी वर्णन करता है। कंस के अत्याचार से पृथ्वी को मुक्त कराने वाले भगवान के अद्भुत कारनामों को इसमें उकेरा गया है। उनके माखन चोरी की लीला, कालिया नाग के फन पर नृत्य, और गोवर्धन पर्वत को उठाने की घटनाएं सभी भक्तों के हृदय में उत्साह और श्रद्धा का संचार करती हैं।
श्री कृष्णाष्टकम् में भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और दया का भी उल्लेख है। वे अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने वाले और उन्हें संजीवनी प्रदान करने वाले हैं। उनके चरणों में समर्पण करने वाले भक्तों को वे सदैव अभय प्रदान करते हैं। यह स्तोत्र भगवान की करुणामयी दृष्टि और उनकी अनंत दया का स्मरण कराता है।
इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को गहराई मिलती है। यह उनके मन, वचन और कर्म को शुद्ध करता है और उन्हें श्रीकृष्ण की कृपा का पात्र बनाता है। श्री कृष्णाष्टकम् का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अपने जीवन में दिव्य आनंद की अनुभूति होती है और उसके सभी कष्टों का नाश होता है।
श्री कृष्णाष्टकम् – भजे व्रजैक मण्डनम् एक अद्वितीय स्तोत्र है जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और उनकी लीलाओं का सजीव चित्रण करता है। इसका पाठ भक्तों को भगवान के समीप लाता है और उन्हें उनकी कृपा का अनुभव कराता है। श्रीकृष्ण की भक्ति से ओतप्रोत यह स्तोत्र न केवल भक्तों के हृदय को शांति प्रदान करता है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर करता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने वाले भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से उनके जीवन में अनंत सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
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|| श्री कृष्णाष्टकम् PDF ||
भजे व्रजैक मण्डनम्, समस्त पाप खण्डनम्,
स्वभक्त चित्त रञ्जनम्, सदैव नन्द नन्दनम्,
सुपिन्छ गुच्छ मस्तकम् , सुनाद वेणु हस्तकम् ,
अनङ्ग रङ्ग सागरम्, नमामि कृष्ण नागरम् ॥ १ ॥
मनोज गर्व मोचनम् विशाल लोल लोचनम्,
विधूत गोप शोचनम् नमामि पद्म लोचनम्,
करारविन्द भूधरम् स्मितावलोक सुन्दरम्,
महेन्द्र मान दारणम्, नमामि कृष्ण वारणम् ॥ २ ॥
कदम्ब सून कुण्डलम् सुचारु गण्ड मण्डलम्,
व्रजान्गनैक वल्लभम नमामि कृष्ण दुर्लभम.
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया,
युतम सुखैक दायकम् नमामि गोप नायकम् ॥ ३ ॥
सदैव पाद पङ्कजम मदीय मानसे निजम्,
दधानमुत्तमालकम् , नमामि नन्द बालकम्,
समस्त दोष शोषणम्, समस्त लोक पोषणम्,
समस्त गोप मानसम्, नमामि नन्द लालसम् ॥ ४ ॥
भुवो भरावतारकम् भवाब्दि कर्ण धारकम्,
यशोमती किशोरकम्, नमामि चित्त चोरकम्.
दृगन्त कान्त भङ्गिनम् , सदा सदालसंगिनम्,
दिने दिने नवम् नवम् नमामि नन्द संभवम् ॥ ५ ॥
गुणाकरम् सुखाकरम् क्रुपाकरम् कृपापरम् ,
सुरद्विषन्निकन्दनम् , नमामि गोप नन्दनम्.
नवीनगोप नागरम नवीन केलि लम्पटम् ,
नमामि मेघ सुन्दरम् तथित प्रभालसथ्पतम् ॥ ६ ॥
समस्त गोप नन्दनम् , ह्रुदम्बुजैक मोदनम्,
नमामि कुञ्ज मध्यगम्, प्रसन्न भानु शोभनम्.
निकामकामदायकम् दृगन्त चारु सायकम्,
रसालवेनु गायकम, नमामि कुञ्ज नायकम् ॥ ७ ॥
विदग्ध गोपिका मनो मनोज्ञा तल्पशायिनम्,
नमामि कुञ्ज कानने प्रवृद्ध वह्नि पायिनम्.
किशोरकान्ति रञ्जितम, द्रुगन्जनम् सुशोभितम,
गजेन्द्र मोक्ष कारिणम, नमामि श्रीविहारिणम ॥ ८ ॥
यथा तथा यथा तथा तदैव कृष्ण सत्कथा ,
मया सदैव गीयताम् तथा कृपा विधीयताम.
प्रमानिकाश्टकद्वयम् जपत्यधीत्य यः पुमान ,
भवेत् स नन्द नन्दने भवे भवे सुभक्तिमान ॥ ९ ॥
ॐ नमो श्रीकृष्णाय नमः॥
ॐ नमो नारायणाय नमः॥
|| Krishnashtakam – Bhaje Vrajaik Mandanam ||
Bhaje vrajaik mandanam, sampoorn paap khandanam,
Svabhakt chitt ranjanam, sadaiv nand nandanam,
Supinch guchchh mastakam, sunaad venu hastakam,
Anang rang saagaram, namaami krshn naagaam ॥ ॥
Manoj gaurav mochanam vishaal lol lochanam,
Vidhut gop shochanam namaami padm lochanam,
Karavind bhoodharam smitaavalok sundaram,
Mahendr maan daaranam, namaami krshn varnam ॥ 2॥
Charanab soon kundalam suchaaru gand mandalam,
Vrjaanganaak vallabham namaami krshn durlabham॥
Yashoday samoday sagopaay sannadaya,
Yutam sukhaikadaayakam namaami gop naayakam ॥ 3 ॥
Sada paad paakajam madeey manase nijam,
Dadhaanamuttamaalakam, namaami nand aayulaam,
Samagr dosh shoshanam, samagr lok poshanam,
Sarv gop maanasan, namaami nand laalasam ॥ 4 ॥
Bhuvo bhaaravataarakam bhavaabdi karn dhaarakam,
Yashomatee kishorakam, namaami chitt chorakam॥
Digant kaant bhaginam, sada sadaalasanginam,
Dine dine navam navam namaami nand sambhavam ॥ 5 ॥
Gunaakaram sukhakaram krpapaakaram krpaaparam,
Suradvishnnikandanam, namaami gop nandanam॥
Naveenagop naagaam naveen keli lampatam,
Namaami megh sundaram tathit prabhallastaptam ॥ 6 ॥
Samagr gop nandanam, hrudambujaik modanam,
Namaami kunj madhyagam, manohar bhaanu shobhanam॥
Nikamakaamadaayakam digant chaaru saayakam,
Rasaalavenu gaayakam, namaami kunj naayakam ॥ 7 ॥
Vidagdh gopika mano manogy talpashaayinam,
Namaami kunj kaane pravrddh vahni paayanam॥
Kishorakaanti ranjitam, druganjanam sushobhitam,
Gajendra moksha karinam, namaami shreevihaarinam ॥ 8॥
Yatha tatha yatha tatha tadaiv krshn satakatha,
Maaya sadaiv geeyataam tatha krpa vidheeyatam॥
Praamaanikaashtakadvayam japatyadheety yah pumaan,
Bhavet sa nand nandane bhave bhave subhaktiman॥ 9 ॥
Om namo shreekrshnaay namah॥
Om namo naaraayanaay namah॥
Krishnashtakam – Bhaje Vrajaik Mandanam Benefits
श्री कृष्णाष्टकम् PDF – भजे व्रजैक मण्डनम् के लाभ
श्री कृष्णाष्टकम् – भजे व्रजैक मण्डनम् का पाठ करने के अनेक लाभ हैं, जो भक्तों को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से लाभान्वित करते हैं। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अनेक प्रकार के दिव्य अनुभव प्राप्त होते हैं। यहाँ हम विस्तार से उन लाभों का वर्णन करेंगे जो इस पवित्र स्तोत्र के पाठ से प्राप्त होते हैं:
मानसिक लाभ
- मानसिक शांति: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से मन को अद्भुत शांति मिलती है। यह स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण के मधुर लीलाओं का स्मरण कराता है, जो मन को शांत और स्थिर करता है।
- तनाव में कमी: आधुनिक जीवन की भागदौड़ में लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से तनाव कम होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- एकाग्रता में वृद्धि: श्री कृष्णाष्टकम् का नियमित पाठ करने से ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि होती है। भगवान श्रीकृष्ण की लीला और गुणों का स्मरण करने से व्यक्ति का मन भटकता नहीं है और उसे ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
- सकारात्मक सोच: इस स्तोत्र का पाठ करने से नकारात्मक विचारों का नाश होता है और व्यक्ति के मन में सकारात्मकता का संचार होता है। श्रीकृष्ण की मधुर लीला और उनके गुणों का स्मरण व्यक्ति को आशावादी बनाता है।
शारीरिक लाभ
- स्वास्थ्य में सुधार: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह स्तोत्र मानसिक शांति प्रदान करता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
- ऊर्जा में वृद्धि: भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण और उनके प्रति भक्ति भाव से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। यह व्यक्ति को दिनभर तरोताजा और ऊर्जावान बनाए रखता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है। मानसिक शांति और सकारात्मकता शरीर को स्वस्थ रखते हैं और बीमारियों से बचाते हैं।
आध्यात्मिक लाभ
- भगवत कृपा की प्राप्ति: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान के समीप लाता है और उन्हें उनकी कृपा का अनुभव कराता है।
- भक्ति में वृद्धि: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की भक्ति में वृद्धि होती है। भगवान श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं का स्मरण व्यक्ति के हृदय में भक्ति भाव को जागृत करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भगवान की महिमा का गुणगान करता है, जो आत्मा को शुद्ध करता है और उसे आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है।
- मुक्ति की प्राप्ति: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण की करुणा और उनकी कृपा से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मुक्ति प्राप्त होती है।
पारिवारिक और सामाजिक लाभ
- परिवार में सुख-शांति: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति का वातावरण बनता है। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से सभी परिवारजन सुखी और संतुष्ट रहते हैं।
- सद्भावना का विकास: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के मन में सभी के प्रति सद्भावना का विकास होता है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण व्यक्ति को सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव सिखाता है।
- समाज में सामंजस्य: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से समाज में सामंजस्य का विकास होता है। यह स्तोत्र सभी लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश देता है।
अन्य लाभ
- संकटों का नाश: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति के सभी संकटों का नाश होता है। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी कष्ट और विपत्तियों का समाधान होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के आस-पास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होती है।
- जीवन में समृद्धि: श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
- आत्मज्ञान की प्राप्ति: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करने से व्यक्ति को आत्मा के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होता है।
श्री कृष्णाष्टकम् – भजे व्रजैक मण्डनम् का पाठ न केवल भक्तों को मानसिक और शारीरिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर करता है। भगवान श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं और उनके गुणों का स्मरण करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतोष प्राप्त होता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान की कृपा और दया का अनुभव कराता है और उन्हें उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को भगवान श्रीकृष्ण की अपार कृपा का अनुभव होता है और उसे जीवन में हर प्रकार के कष्टों और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। भगवान की भक्ति में लीन होकर व्यक्ति को अपने जीवन के उद्देश्य का ज्ञान होता है और वह आध्यात्मिक मार्ग पर निरंतर अग्रसर होता है। श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करने वाले भक्तों को भगवान की अनंत दया का अनुभव होता है और उन्हें उनके जीवन में अनंत सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
श्री कृष्णष्टकम् – भजे व्रजैक मण्डनम् का अनुवाद
(Hindi Translation)
1. मैं भगवान कृष्ण की सदा पूजा करता हूँ, जो नन्द के पुत्र हैं, जो व्रज के एकमात्र आभूषण हैं, जो सभी पापों को टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं, तथा जो भक्तों के हृदय को प्रसन्न करते हैं। मैं उन वीर भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जिनका सिर मोर के पंखों से सुशोभित है, जिनके हाथ में मधुर बांसुरी है, तथा जो कामदेव की लीलाओं के सागर हैं।
2. मैं कमल-नयन वाले भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो कामदेव को उसके अभिमान से मुक्त करते हैं, जिनके बड़े-बड़े नेत्र अत्यंत चंचल हैं, तथा जो गोपों के दुःख को दूर करते हैं। मैं श्याम भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जिनके कमल-हाथ ने गोवर्धन पर्वत को उठाया, जिनकी मुस्कुराहट मनमोहक है, तथा जिन्होंने इंद्र के अभिमान को चूर-चूर कर दिया।
3. मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो कि प्राप्त करने में कठिन हैं, जो कदम्ब पुष्प की बाली पहनते हैं, जिनके गालों का घेरा बहुत ही सुन्दर है, तथा जो व्रज की कन्याओं के एकमात्र प्रिय हैं। मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो कि चंचल ग्वालबाल हैं, तथा जो यशोदा, नन्द तथा गोप लोगों के साथ मिलकर उन सभी को आनन्द देने वाली लीलाओं का आनन्द लेते हैं।
4. मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो कि नन्द के छोटे बालक हैं, तथा जो अपने कुंकुम-अभिषिक्त चरण-कमलों को सदैव मेरे हृदय में रखते हैं। मैं प्रसन्नचित्त भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो कि सभी दोषों को दूर करते हैं, सभी लोकों को समृद्ध बनाते हैं, तथा सभी गोप लोगों के विचारों में रहते हैं।
5. मैं दूधचोर भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने पृथ्वी का भार हर लिया है, जो जन्म-मृत्यु के सागर से पार जाने वाले जहाज के कप्तान हैं, और जो यशोदा के किशोर पुत्र हैं। मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो नन्द के पुत्र हैं, जो अपनी आँखों की कोरों से टेढ़ी दृष्टि डालते हैं, जो हमेशा गोपियों के साथ रहते हैं, और जो दिन-प्रतिदिन नई-नई लीलाओं का आनंद लेते हैं।
6. मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो दिव्य गुणों की रत्न-खान हैं, दिव्य आनंद की रत्न-खान हैं, दया की रत्न-खान हैं, जो देवताओं के शत्रुओं को पराजित करते हैं, और जो ग्वाल-बालों को प्रसन्न करते हैं। मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो ग्वाल-बालों के युवा नायक हैं, जो चंचल युवा रंक हैं, जो मानसून के बादल की तरह सुंदर और काले हैं, और जिनके पीले वस्त्र बिजली की तरह चमकते हैं।
7. मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो सभी ग्वाल-बालों को प्रसन्न करते हैं, जो भक्तों के हृदय-कमलों को मोहित करते हैं, जो वन के उपवनों में रहते हैं, और जो चमकते हुए सूर्य की तरह तेजस्वी हैं। मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं, जिनकी तिरछी नज़रें आकर्षक बाण हैं, जिनकी बांसुरी का संगीत अमृत है, और जो वन के उपवनों के कामुक नायक हैं।
8. मैं भगवान कृष्ण को सादर प्रणाम करता हूँ, जो बुद्धिमान गोपियों के हृदय के आकर्षक पलंग पर विश्राम करते हैं, और जिन्होंने मुंजतवी वन में दावाग्नि को पी लिया था। मैं प्रार्थना करता हूँ कि जब भी और जिस तरह भी मैं उनकी महिमा गाऊँ, भगवान कृष्ण मुझ पर दया करें।
9. मैं प्रार्थना करता हूँ कि जो कोई भी इन आठ प्रार्थनाओं को पढ़ेगा या सुनाएगा, वह जन्म-जन्मांतर तक नंद के पुत्र के प्रति समर्पित रहेगा।
FAQs – श्री कृष्णाष्टकम् (Shri Krishnashtakam)
श्री कृष्ण का प्रिय मंत्र कौन सा है?
श्री कृष्ण का प्रिय मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” है। यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करने और उनके प्रति भक्ति व्यक्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
श्री कृष्ण जी का बीज मंत्र क्या है?
श्री कृष्ण का बीज मंत्र “क्लीं कृष्णाय नमः” है। यह बीज मंत्र भगवान कृष्ण के दिव्य शक्ति और उनके दिव्य स्वरूप का प्रतीक है।
भगवान श्री कृष्ण को कैसे खुश करें?
भगवान श्री कृष्ण को खुश करने के लिए भक्तिपूर्ण मन से उनके नाम का जाप करें, गीता के उपदेशों का पालन करें, और निष्काम कर्म योग का अनुसरण करें। साथ ही, तुलसी दल चढ़ाकर उनकी पूजा करें और उनके भजन गाएं।
श्री कृष्णा किसका अवतार है?
भगवान श्री कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। वे भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार हैं और उन्होंने धरती पर धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए अवतार लिया था।
कृष्ण महामंत्र कौन सा है?
कृष्ण महामंत्र “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे” है। इस महामंत्र का जप करने से व्यक्ति भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकता है और भक्ति में लीन हो सकता है।
कौन सा कृष्ण मंत्र बहुत शक्तिशाली है?
कृष्ण का बहुत शक्तिशाली मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “हरे कृष्ण महामंत्र” माने जाते हैं। इन मंत्रों का नियमित जप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।