नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की (Nand Ke Anand Bhayo) एक अत्यंत लोकप्रिय और मंगलमय भजन है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर गाया जाता है। इस भजन की हर पंक्ति में बालकृष्ण के जन्म की खुशी और आनंद को बड़े ही सुंदर और भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया गया है। भारतीय संस्कृति में श्रीकृष्ण को न केवल एक महान देवता के रूप में पूजा जाता है, बल्कि उन्हें प्रेम, करुणा, और जीवन के विभिन्न रंगों के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
भजन “नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की” का गान विशेष रूप से जन्माष्टमी के पर्व पर किया जाता है, जो कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह भजन भक्तों के दिलों में भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और श्रद्धा को प्रकट करता है। इस भजन का प्रमुख उद्देश्य भगवान कृष्ण के जन्म के उस पावन क्षण को याद करना और उसे मन में संजोना होता है जब नन्द बाबा के घर बालकृष्ण का आगमन हुआ था।
भजन के पहले ही शब्दों से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह गीत किस प्रकार भक्तों के दिलों में आनंद और उल्लास का संचार करता है। “नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” का अर्थ है कि नन्द बाबा के घर आनंद का समय आया है क्योंकि कन्हैया लाल यानी श्रीकृष्ण का जन्म हुआ है। यह वाक्यांश बार-बार दोहराया जाता है ताकि इस महान घटना की महत्ता और उसका प्रभाव भक्तों के मन में गहरे तक अंकित हो जाए।
भजन में यशोदा माता के उस असीमित आनंद को भी दर्शाया गया है जब उन्होंने अपने पुत्र श्रीकृष्ण का पहली बार दर्शन किया। श्रीकृष्ण के जन्म से नन्द बाबा और यशोदा माता का जीवन एकदम से बदल जाता है। इस भजन में भक्त उस खुशी का अनुभव कर सकते हैं जो नन्द और यशोदा को अपने पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण के जन्म के समय हुई थी।
इस भजन के माध्यम से भक्त अपने जीवन में श्रीकृष्ण की उपस्थिति का अनुभव करते हैं। इसके हर शब्द में कृष्ण के प्रति प्रेम, श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय संगम है। इस भजन को गाने के समय भक्त अपने ह्रदय को भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम और आनंद से भर लेते हैं। यही कारण है कि यह भजन केवल एक गान मात्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का माध्यम है।
इसके अलावा, इस भजन के माध्यम से श्रीकृष्ण की बाल लीला, उनकी मासूमियत और उनके चंचल स्वभाव का भी अनुभव किया जा सकता है। इस भजन में वर्णित भगवान कृष्ण का बाल स्वरूप प्रत्येक भक्त के मन में एक पवित्र और कोमल भावनाओं का संचार करता है।
भजन “नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की” को विभिन्न शैलियों में गाया जाता है, लेकिन इसकी मुख्य भावना और उद्देश्य सभी में समान रहते हैं – भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी और उनके प्रति भक्तों की असीमित भक्ति। यह भजन न केवल कृष्ण भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक गीत है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और संगीत का एक अभिन्न हिस्सा भी है।
अंततः, यह भजन हमें यह संदेश देता है कि भगवान श्रीकृष्ण के आगमन से संसार में प्रेम, आनंद और शांति का प्रसार होता है। जब भी इस भजन का गान किया जाता है, तो भक्तों के ह्रदय में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और श्रद्धा की भावना जागृत होती है, जो उनके जीवन को आनंद और शांति से भर देती है।
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|| नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ||
आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की,
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
जय हो नंदलाल की, जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की ||
कोटि ब्रह्माण्ड के अधिपति लाल की,
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की….
गउवे चराने आये, जय हो पशुपाल की,
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
कोटि ब्रह्माण्ड के अधिपति लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
गउवे चराने आये, जय हो पशुपाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की ||
पूनम के चाँद जैसी शोभा है बाल की,
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की….
आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की,
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
कोटि ब्रह्माण्ड के अधिपति लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
गउवे चराने आये, जय हो पशुपाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की ||
भक्तो के आनंदकंद जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की….
जय हो यशोदा लाल की, जय हो गोपाल की,
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
कोटि ब्रह्माण्ड के अधिपति लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
गउवे चराने आये, जय हो पशुपाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की ||
आनद से बोलो सब जय हो बृज लाल की,
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की….
जय हो बृज लाल की, पावन प्रतिपाल की,
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
कोटि ब्रह्माण्ड के अधिपति लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
गउवे चराने आये, जय हो पशुपाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की ||
आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….
जय हो नंदलाल की, जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की….
आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की,
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की….
बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की,
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की ||
|| Nand Ke Anand Bhayo Lyrics ||
Hey anand umang bhayo, Jai ho nand lal ki
Nand ke anand bhayo, Jai Kanhiya lal ki
Braj mein anand bhayo, Jai Yashoda lal ki
Haathi Ghoda Paal Ki, Jai Kanhiya lal ki
Jai ho Nand lal ki, Jai Yashoda lal ki
Gokul mein anand bhayo, Jai Kanhiya lal ki
Hey anand umang bhayo, Jai ho nand lal ki
Gokul ke anand bhayo, Jai Kanhiya lal ki
Jai Yashoda lal ki, Jai ho Nand lal ki
Hathi ghoda paal ki, Jai Kanhiya lal ki
Jai ho Nand lal ki, Jai Yashoda lal ki
Hathi ghoda paal ki, Jai Kanhiya lal ki
Koti Brahmaand ke, Adhipati laal ki
Hathi ghoda paal ki, Jai Kanhiya laal ki
Gaune chaarane aaye, Jai ho Pashupaal ki
Nand ke anand bhayo, Jai Kanhiya lal ki
Punam ki chand jaise, shobha hai baal ki
Hathi ghoda paal ki, jai kanhiya laal ki
Hey anand umang bhayo jai ho nand laal ki
Gokul mein anand bhayo, jai kanhiya laal ki
Bhakto ke anand kand, jai yashoda laal ki
Hathi ghoda paal ki, jai kanhiya laal ki
Hey jai yashoda laal ki, jai ho gopal ki
Gokul mein anand bhayo, jai kanhiya laal ki
Anand se bolo sab, Jai ho Braj laal ki
Hathi ghoda paal ki, Jai Kanhiya laal ki
Jai ho Braj laal ki, Paawan Pratipaal ki
Hey Nand ke anand bhayo, Jai ho Nand laal ki
अनूप जलोटा नन्द के आनंद भयो के गाने के बोल
Anup Jalota Nand Ke Anand Bhayo Lyrics Video
नन्द के आनंद भयो भजन के लाभ
आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन:
“नन्द के आनंद भयो” भजन का नियमित रूप से गान करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। जब हम भजन गाते हैं, तो हमारा मन एकाग्र और शांत हो जाता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। इस भजन के प्रत्येक शब्द में श्रीकृष्ण के जन्म का उल्लास और आनंद निहित है, जो हमारे मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है। भजन के दौरान भक्त भगवान के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध अनुभव करते हैं, जिससे उनका मन शांत और स्थिर हो जाता है।
भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि:
इस भजन का गान भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा को गहराई से बढ़ाता है। “नन्द के आनंद भयो” भजन में श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की महिमा का वर्णन है, जो भक्तों के ह्रदय में उनके प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को मजबूत करता है। भजन के माध्यम से भक्त भगवान के प्रति अपनी असीमित भक्ति और प्रेम को व्यक्त कर सकते हैं, जो उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार करता है।
सकारात्मकता और आनंद की अनुभूति
“नन्द के आनंद भयो” भजन का नियमित गान व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और आनंद की अनुभूति कराता है। इस भजन में नन्द बाबा के घर में श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी का वर्णन किया गया है, जो सुनने वालों के मन में भी उसी आनंद और उल्लास का संचार करता है। इस भजन का गान करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है और वे जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक उत्साह और आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं।
सामूहिक भजन के माध्यम से सामुदायिक एकता:
इस भजन को सामूहिक रूप से गाने से सामुदायिक एकता और सौहार्द्र की भावना का विकास होता है। जब लोग एक साथ “नन्द के आनंद भयो” भजन गाते हैं, तो वे एक दूसरे के साथ भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को साझा करते हैं। इससे सामूहिक प्रार्थना का माहौल बनता है, जो समाज में एकता और भाईचारे की भावना को प्रबल करता है।
धार्मिक उत्सवों में उत्साह और उल्लास
“नन्द के आनंद भयो” भजन विशेष रूप से जन्माष्टमी जैसे धार्मिक उत्सवों के दौरान गाया जाता है, जिससे इन पर्वों में उत्साह और उल्लास का माहौल बनता है। इस भजन का गान धार्मिक पर्वों की महत्ता को बढ़ाता है और भक्तों को भगवान के जन्म की खुशी में भागीदार बनने का अवसर देता है। इस प्रकार, यह भजन धार्मिक पर्वों को अधिक आनंदमय और सार्थक बनाता है।
FAQs – Nand Ke Anand Bhayo PDF
“नन्द के आनंद भयो” भजन का क्या अर्थ है?
“नन्द के आनंद भयो” भजन का अर्थ है कि नन्द बाबा के घर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के कारण अत्यंत आनंद और खुशी का माहौल है। यह भजन श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव को मनाने के लिए गाया जाता है और इसमें उनके बाल स्वरूप की महिमा का वर्णन किया गया है।
“नन्द के आनंद भयो” भजन को किस अवसर पर गाया जाता है?
यह भजन विशेष रूप से जन्माष्टमी के अवसर पर गाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा, यह भजन अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक समारोहों में भी गाया जा सकता है जहां श्रीकृष्ण की पूजा और उनकी बाल लीलाओं का गुणगान किया जाता है।
“नन्द के आनंद भयो” भजन गाने के क्या लाभ हैं?
इस भजन के गान से मानसिक शांति, भक्ति में वृद्धि, जीवन में सकारात्मकता का संचार, सामुदायिक एकता, और धार्मिक उत्सवों में उत्साह और उल्लास का अनुभव होता है। यह भजन भक्तों के मन में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और श्रद्धा को गहराई से बढ़ाता है।
“नन्द के आनंद भयो” भजन का स्रोत क्या है?
“नन्द के आनंद भयो” एक पारंपरिक भजन है, जो सदियों से भारतीय संस्कृति में गाया जाता रहा है। इसके सटीक स्रोत का पता लगाना कठिन है, क्योंकि यह भजन विभिन्न संतों और भक्तों द्वारा रचित और गाया गया है, लेकिन इसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथाओं से है।
इस भजन को किस शैली में गाया जाता है?
“नन्द के आनंद भयो” भजन को विभिन्न संगीत शैलियों में गाया जा सकता है, जैसे कि भजन, कीर्तन, शास्त्रीय संगीत, या लोक संगीत। इसकी धुन सरल होती है, जिससे इसे सभी आयु वर्ग के लोग आसानी से गा सकते हैं।
क्या “नन्द के आनंद भयो” भजन का गान केवल जन्माष्टमी पर किया जा सकता है?
नहीं, इस भजन का गान किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि, यह भजन जन्माष्टमी पर अधिक लोकप्रिय है, लेकिन इसे अन्य धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा, या श्रीकृष्ण से जुड़े किसी भी उत्सव में भी गाया जा सकता है।
क्या “नन्द के आनंद भयो” भजन बच्चों के लिए भी उपयुक्त है?
हां, यह भजन बच्चों के लिए भी उपयुक्त है। भजन के सरल और मधुर शब्द बच्चों को आसानी से समझ में आते हैं और श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की महिमा को उजागर करते हैं, जिससे बच्चों में भी भक्ति और श्रद्धा का भाव जागृत होता है।