विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् (Vindhyeshwari Stotram) हिन्दू धर्म के प्रमुख देवी स्तोत्रों में से एक है, जो देवी विन्ध्येश्वरी की महिमा का गुणगान करता है। विन्ध्येश्वरी माता का उल्लेख पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में प्रमुखता से किया गया है। ये स्तोत्र भगवान श्री विन्ध्येश्वरी देवी की स्तुति और उपासना के लिए समर्पित है, जो समस्त संसार की संरक्षक और उद्धारक मानी जाती हैं।
विन्ध्येश्वरी देवी का निवास स्थान विंध्य पर्वत माना जाता है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। इस पर्वत के नाम पर ही देवी को ‘विन्ध्येश्वरी’ कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, विंध्य पर्वत पर देवी विन्ध्येश्वरी का प्राकट्य हुआ था और यहीं उन्होंने महिषासुर जैसे दैत्यों का वध करके धर्म की रक्षा की थी।
विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् की रचना प्राचीन काल में ऋषियों और मुनियों द्वारा की गई थी। इस स्तोत्र के माध्यम से भक्त देवी की महिमा, उनकी कृपा और उनके अद्भुत रूप का वर्णन करते हैं। यह स्तोत्र न केवल भक्तों को आस्था और श्रद्धा से भर देता है, बल्कि उनके जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि भी लाता है।
विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् में देवी को विभिन्न रूपों में पूजित किया गया है, जैसे महिषासुर मर्दिनी, दुर्गा, काली, लक्ष्मी आदि। इन सभी रूपों में देवी विन्ध्येश्वरी की महिमा, उनकी शक्तियाँ और उनकी उपासना के महत्व को दर्शाया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करता है और उन्हें जीवन के कठिनाइयों से उबरने में सहायता करता है।
इस स्तोत्र के पाठ का विशेष महत्व है। इसे नित्यप्रति पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। विशेष रूप से नवरात्रि के दिनों में इस स्तोत्र का पाठ अत्यधिक फलदायी माना गया है। यह स्तोत्र साधकों को देवी के समीप ले जाता है और उन्हें आत्मिक शांति प्रदान करता है।
विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का अध्ययन और पाठ भक्तों को एक आध्यात्मिक अनुभव देता है। यह स्तोत्र व्यक्ति के मन में न केवल श्रद्धा और भक्ति उत्पन्न करता है, बल्कि उसे आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी अग्रसर करता है। विन्ध्येश्वरी माता की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं और भक्त को अपनी साधना में सिद्धि प्राप्त होती है।
इस प्रकार, विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो भक्तों को देवी विन्ध्येश्वरी की उपासना के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
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|| श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् ||
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,
प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी,
धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कराब्जदानदाधरां,
शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां,
त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
विशिष्ट शिष्ट कारिणी,
विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां,
पुरादिवंशखण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं,
भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
|| Vindhyeshwari Stotram ||
Nishumbh shumbh garjanee,
prachand mund khandinee॥
banerane prakaashinee,
bhajaami vindhyavaasinee॥
trishool mund dhaarinee,
dhara vighaat haarinee॥
ghare-grhe nivaasinee,
bhajaami vindhyavaasinee॥
daridr duhkh haarinee,
sada vibhooti kaarinee॥
viyog shok haarinee,
bhajaami vindhyavaasinee॥
lasusolool lochanan,
lataasanan varapradan॥
kapaal-shool dhaarinee,
bhajaami vindhyavaasinee॥
karabjadanaadharaan,
shivashivaan pradaayinee॥
vara-varaanaan shubhaan,
bhajaami vindhyavaasinee॥
kapindn jaaminipradaan,
tridha svaroop dhaarinee॥
jale-thale nivaasinee,
bhajaami vindhyavaasinee॥
vishisht susanskrt kaarinee,
vishaal roop dhaarinee॥
mahodare vilaasinee,
bhajaami vindhyavaasinee॥
punradaaraadi sevitaan,
puraadivanshakhanditam॥
antim buddhikaarineen,
bhajaami vindhyavaasineen ॥
Vindhyeshwari Stotram Benefits
विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् के लाभ
विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ करने से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं, जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार के होते हैं। यह स्तोत्र देवी विन्ध्येश्वरी की स्तुति में रचा गया है, जो शक्ति और सामर्थ्य की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनके अनुग्रह से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। निम्नलिखित में विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् के पाठ से प्राप्त होने वाले प्रमुख लाभों का वर्णन किया गया है:
आध्यात्मिक उन्नति: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का नियमित पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाता है। यह स्तोत्र ध्यान और साधना में मन को स्थिरता प्रदान करता है और आत्मा की शुद्धि में सहायक होता है। इसके पाठ से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मानसिक शांति: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह व्यक्ति के मन से तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करता है और उसे मानसिक रूप से स्वस्थ और सशक्त बनाता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के मन में स्थिरता और संतुलन आता है।
आर्थिक समृद्धि: इस स्तोत्र के पाठ से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है। विन्ध्येश्वरी माता की कृपा से भक्त के जीवन में धन और संपत्ति की वृद्धि होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है, जो आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं।
स्वास्थ्य लाभ: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसके पाठ से शारीरिक रोगों और व्याधियों से मुक्ति मिलती है। देवी की कृपा से व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो उसे स्वस्थ और निरोगी बनाता है।
संवेदनात्मक संतुलन: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति के भावनात्मक जीवन में संतुलन आता है। यह स्तोत्र क्रोध, ईर्ष्या, घृणा और अन्य नकारात्मक भावनाओं को दूर करता है और व्यक्ति के मन में प्रेम, करुणा और सहानुभूति का संचार करता है।
परिवारिक सुख: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ परिवार में सुख और शांति की स्थापना करता है। इससे पारिवारिक कलह और विवाद समाप्त होते हैं और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। देवी की कृपा से परिवार में खुशहाली और समृद्धि का वास होता है।
विवाह और संतान सुख: इस स्तोत्र के पाठ से विवाह में आने वाली अड़चनों का निवारण होता है और संतान सुख प्राप्त होता है। जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति में समस्या हो रही हो, उन्हें इस स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। देवी की कृपा से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।
जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करता है। देवी की कृपा से व्यक्ति के सभी संकट समाप्त होते हैं और वह सफलता की ओर अग्रसर होता है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक समर्पण: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ व्यक्ति के धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में समर्पण की भावना को बढ़ाता है। यह स्तोत्र व्यक्ति को भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण करता है और उसे धार्मिक क्रियाओं में अधिक सक्रिय बनाता है।
विवेक और बुद्धिमत्ता: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को तीव्र करता है। इसके पाठ से व्यक्ति के मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और वह जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों को सही तरीके से ले पाता है। यह स्तोत्र विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि इससे उनकी स्मरण शक्ति और ज्ञान में वृद्धि होती है।
सकारात्मकता और आत्मविश्वास: इस स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के भीतर सकारात्मकता और आत्मविश्वास का संचार करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता है।
दुर्गुणों से मुक्ति: विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ व्यक्ति को उसके दुर्गुणों से मुक्ति दिलाता है। यह स्तोत्र व्यक्ति के भीतर की बुरी आदतों को समाप्त करता है और उसे एक बेहतर इंसान बनाता है। देवी की कृपा से व्यक्ति अपने जीवन में सन्मार्ग पर चलता है और पुण्य कर्म करता है।
भूत-प्रेत बाधाओं से रक्षा: इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को भूत-प्रेत बाधाओं से भी रक्षा करता है। इसके पाठ से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती है।
इस प्रकार, विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् का पाठ व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करता है। यह स्तोत्र देवी विन्ध्येश्वरी की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है, जो भक्त को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, सुख और समृद्धि प्रदान करता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और वह एक सफल, सुखी और संतुलित जीवन जीता है।
FAQs – श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् (Vindhyeshwari Stotram PDF)
विंध्यवासिनी स्तोत्र पढ़ने से क्या होता है?
विंध्यवासिनी स्तोत्र पढ़ने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं:
धार्मिक शांति: यह स्तोत्र पढ़ने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष प्राप्त होता है।
संकट से मुक्ति: विंध्यवासिनी देवी की आराधना और स्तोत्र के पाठ से जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है।
आशीर्वाद प्राप्ति: नियमित रूप से विंध्यवासिनी स्तोत्र पढ़ने से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे सुख-समृद्धि और समर्पण बढ़ता है।
ध्यान और एकाग्रता: यह स्तोत्र ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है और भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर स्थिरता प्रदान करता है।
मां विंध्यवासिनी का मंत्र कौन सा है?
मां विंध्यवासिनी का प्रमुख मंत्र है:
“ॐ विंध्यवासिन्यै नमः”
यह मंत्र मां विंध्यवासिनी की पूजा और आराधना के दौरान बोला जाता है, जिससे उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
विंध्याचल माता किसकी कुलदेवी है?
विंध्याचल माता को विशेष रूप से उन भक्तों की कुलदेवी माना जाता है जो विंध्याचल क्षेत्र में निवास करते हैं या जिनकी धार्मिक परंपराएँ इस क्षेत्र से जुड़ी हैं। विंध्याचल माता की पूजा और आराधना वे लोग करते हैं जो इस क्षेत्र की आध्यात्मिक परंपराओं को मानते हैं।
विंध्याचल में कौन सा शक्तिपीठ है?
विंध्याचल में प्रमुख शक्तिपीठ “विंध्यवासिनी शक्तिपीठ” है। यह शक्तिपीठ देवी विंध्यवासिनी की पूजा और आराधना का स्थल है, और यहाँ श्रद्धालु देवी के दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं।
विंध्यवासिनी किसकी पुत्री थी?
विंध्यवासिनी देवी को अक्सर देवी पार्वती की पुत्री के रूप में पूजा जाता है। कुछ धार्मिक कथाओं के अनुसार, वे हिमालय पर्वत के विंध्याचल क्षेत्र में निवास करती हैं और उन्हें देवी पार्वती की एक रूप माना जाता है।
विंध्याचल में मां का कौन सा अंग गिरा था?
विंध्याचल में मां सती का बायाँ अंग गिरा था। यह घटना देवी सती के शरीर के 51 अंगों के धरती पर गिरने से संबंधित है, और विंध्याचल क्षेत्र में सती के बायाँ अंग गिरने का स्थान विशेष रूप से पूजा जाता है।
देवी का बीज मंत्र कौन सा है?
देवी विंध्यवासिनी का बीज मंत्र है:
“ॐ श्रीं ह्लीं क्लीं विंध्यवासिन्यै नमः”
यह बीज मंत्र देवी की शक्ति और ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रभावशाली माना जाता है।