सर्व रोग नाशक मंत्र (Sarv Bhayanak Rog Nashak Mantra) भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान आदिनाथ, जो पहले तीर्थंकर हैं, की स्तुति में रचित है। भत्तारक मानतुंगाचार्य द्वारा रचित इस स्तोत्र में कुल ४८ श्लोक हैं, जिनमें भगवान आदिनाथ की महिमा, उनकी दिव्य शक्तियों और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इन श्लोकों में से कुछ विशेष श्लोकों को “सर्व रोग नाशक मंत्र” के रूप में जाना जाता है, जो रोगों से मुक्ति दिलाने और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति के लिए उच्चारित किए जाते हैं।
सर्व रोग नाशक मंत्र के रूप में भक्ति और आस्था के साथ उच्चारित किए गए ये श्लोक न केवल शारीरिक रोगों से मुक्ति दिलाते हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी सुधारते हैं। इन श्लोकों की नियमित साधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता का नाश होता है।
भक्तामर स्तोत्र के इन श्लोकों की शक्ति और प्रभाव उनके पवित्र और दिव्य शब्दों में निहित है। जब भक्त इन्हें संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ उच्चारित करते हैं, तो ये श्लोक उनके जीवन में अद्वितीय परिवर्तन ला सकते हैं। अनेक लोगों ने इन श्लोकों की साधना से अपने जीवन में चमत्कारिक परिणामों का अनुभव किया है।
सर्व रोग नाशक मंत्र के रूप में भक्तामर स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह मंत्र रोगों के नाश के साथ-साथ मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी मार्गदर्शन प्रदान करता है।
भक्तामर स्तोत्र का यह सर्व रोग नाशक मंत्र विभिन्न जैन मंदिरों और धार्मिक स्थानों पर नियमित रूप से उच्चारित किया जाता है। इसके उच्चारण से न केवल रोगों का नाश होता है, बल्कि मनुष्य का संपूर्ण जीवन स्वस्थ और समृद्ध बनता है। यह मंत्र जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और सुख-शांति लाने वाला माना जाता है।
भक्तामर स्तोत्र और इसके सर्व रोग नाशक मंत्र का महत्व केवल जैन धर्मावलंबियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी धर्मों और विश्वासों के लोगों के लिए समान रूप से उपयोगी और प्रभावी है। इसका नियमित और विधिपूर्वक उच्चारण हर व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतोष प्रदान कर सकता है।
इस प्रकार, सर्व रोग नाशक मंत्र – भक्तामर स्तोत्र एक दिव्य और पवित्र साधना है जो न केवल शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार भी करती है। इस मंत्र की साधना से जीवन में आने वाले सभी प्रकार के रोगों और परेशानियों का नाश होता है और मनुष्य स्वस्थ, सुखी और संतुष्ट जीवन जी सकता है।
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|| भक्तामर स्तोत्र का 45वाँ मंत्र – रोग-उन्मूलन मंत्र ||
उद्भूत-भीषण-जलोदर-भार-भुग्नाः,
शोच्यां दशा-मुपगताश्-च्युत-जीविताशाः ।
त्वत्पाद-पंकज-रजो-मृत-दिग्ध-देहाः,
मर्त्या भवन्ति मकर-ध्वज-तुल्य-रूपाः ॥
|| Sarv Bhayanak Rog Nashak Mantra ||
Udbhoot-bheeshan-jalodar-bhaar-bhugnaah,
Shochyaam dashaa-mupagataash-chyut-jeevitaashaah॥
Tvatpaad-pankaj-rajo-mrt-digdh-dehaah,
Mritya bhavanti makar-dhvaj-tuly-roopaah ॥
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Sarv Bhayanak Rog Nashak Mantra Lyrics
Sarv Bhayanak Rog Nashak Mantra Benefits
भक्तामर स्तोत्र के सर्व रोग नाशक मंत्र के लाभ
भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान आदिनाथ की महिमा का गुणगान किया गया है। इस स्तोत्र में निहित सर्व रोग नाशक मंत्र को रोगों से मुक्ति और जीवन में स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इन मंत्रों के नियमित उच्चारण से अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यहाँ हम भक्तामर स्तोत्र के सर्व रोग नाशक मंत्र के प्रमुख लाभों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
सर्व रोग नाशक मंत्र का सबसे महत्वपूर्ण लाभ शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार है। जब यह मंत्र श्रद्धा और विश्वास के साथ नियमित रूप से उच्चारित किया जाता है, तो यह शरीर के विभिन्न रोगों और विकारों को दूर करने में मदद करता है। यह मंत्र शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और विभिन्न बीमारियों से बचाव होता है।
मानसिक शांति और संतुलन
भक्तामर स्तोत्र के सर्व रोग नाशक मंत्र का उच्चारण मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह मंत्र मन को शांत करता है और तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं को दूर करता है। मानसिक शांति प्राप्त होने से व्यक्ति अधिक केंद्रित और सकारात्मक रहता है, जिससे उसकी निर्णय लेने की क्षमता में भी सुधार होता है।
आध्यात्मिक उन्नति
सर्व रोग नाशक मंत्र न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होता है। इस मंत्र का उच्चारण आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को ईश्वर के निकट ले जाता है। इससे व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति होती है और उसे जीवन के उच्चतम लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
नियमित रूप से सर्व रोग नाशक मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह मंत्र शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति को बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य मजबूत होता है और वह आसानी से बीमार नहीं पड़ता।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार
सर्व रोग नाशक मंत्र का उच्चारण जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह मंत्र नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता को बढ़ावा देता है। इससे व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है और वह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सक्षम होता है।
जीवन में सुख और समृद्धि
भक्तामर स्तोत्र के सर्व रोग नाशक मंत्र का उच्चारण व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में आने वाले विघ्न-बाधाओं को दूर करता है और उसे हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सहायता करता है। इससे व्यक्ति का जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।
आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ
इस मंत्र का उच्चारण धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी होता है। यह मंत्र व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उसे धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में संलग्न होने के लिए प्रेरित करता है। इससे व्यक्ति का जीवन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध होता है।
संपूर्ण परिवार के लिए लाभकारी
सर्व रोग नाशक मंत्र का उच्चारण केवल व्यक्ति विशेष के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण परिवार के लिए भी लाभकारी होता है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर इस मंत्र का उच्चारण करें, तो इससे परिवार में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य का संचार होता है। परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है और सभी सदस्य एक स्वस्थ और सुखी जीवन जीते हैं।
रोगों के उपचार में सहायक
यह मंत्र केवल रोगों से बचाव में ही नहीं, बल्कि रोगों के उपचार में भी सहायक होता है। जिन लोगों को पहले से ही किसी रोग की समस्या है, वे इस मंत्र का उच्चारण करके अपने रोगों का उपचार कर सकते हैं। इस मंत्र की साधना से रोगों का नाश होता है और व्यक्ति पुनः स्वस्थ हो जाता है।
जीवन में सकारात्मक परिवर्तन
सर्व रोग नाशक मंत्र का नियमित उच्चारण व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। इससे व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक होता है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस के साथ कर सकता है। इससे जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
भक्तामर स्तोत्र के सर्व रोग नाशक मंत्र का महत्व और प्रभाव अद्वितीय है। यह मंत्र शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने में अत्यंत सहायक है। इसके नियमित उच्चारण से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है और व्यक्ति एक स्वस्थ, सुखी और संतुष्ट जीवन जी सकता है। इस मंत्र की साधना से व्यक्ति न केवल अपने रोगों से मुक्ति प्राप्त करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतोष प्राप्त करता है।
FAQs – रोग-उन्मूलन मंत्र (Sarv Rog Nashak Mantra)
कौन सा मंत्र सभी रोगों को ठीक कर सकता है?
कोई भी एकल मंत्र सभी रोगों को ठीक करने का दावा नहीं कर सकता, लेकिन कई मंत्र स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति के लिए प्रभावी माने जाते हैं।
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” (भगवान कृष्ण का मंत्र): यह मंत्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है।
“ॐ स्वस्थि मानो भैरवाय नमः” (भैरव मंत्र): यह भी स्वास्थ्य और शारीरिक कल्याण के लिए उपयोगी माना जाता है।
शिवजी का रोग नाशक मंत्र कौन सा है?
शिवजी का रोग नाशक मंत्र है:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा अमृतात् ||”
यह मंत्र शिवजी की आराधना के दौरान उपयोग किया जाता है और स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोग नाशक प्रभाव के लिए माना जाता है।
स्वास्थ्य के लिए कौन सा मंत्र शक्तिशाली है?
स्वास्थ्य के लिए कई मंत्र प्रभावी हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
“ॐ धन्वंतरये नमः”: यह मंत्र भगवान धन्वंतरि, जो चिकित्सा और स्वास्थ्य के देवता हैं, के लिए है।
“ॐ स्वस्थि मानो भैरवाय नमः”: यह भी स्वास्थ्य और रोग नाशक के लिए शक्तिशाली माना जाता है।
हनुमान जी का रोग नाशक मंत्र कौन सा है?
हनुमान जी का रोग नाशक मंत्र है:
“ॐ श्री हनुमते नमः”
इसके अतिरिक्त, विशेष रूप से हनुमान चालीसा का पाठ भी स्वास्थ्य और रोग नाशक के रूप में किया जाता है।
कौन सा मंत्र सभी रोगों को ठीक कर सकता है?
एक निश्चित मंत्र सभी प्रकार के रोगों को ठीक करने की गारंटी नहीं हो सकती, लेकिन रोगों से राहत पाने के लिए निम्नलिखित मंत्र प्रभावी हो सकते हैं:
“ॐ श्री धन्वंतरये नमः”: भगवान धन्वंतरि के लिए यह मंत्र उपयोगी माना जाता है, जो चिकित्सा और स्वास्थ्य के देवता हैं।
“ॐ श्री भूतनाथाय नमः”: यह भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
रोगों के देवता कौन हैं?
भारतीय धार्मिक परंपराओं में, रोगों के देवता विभिन्न देवताओं के रूप में माने जाते हैं:
भगवान धन्वंतरि: चिकित्सा और स्वास्थ्य के देवता।
भगवान भीमसेन (भैरव): स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पूजा जाता है।
भगवान अश्विनी कुमार: आयुर्वेद के देवता और चिकित्सा के प्रतीक।
इन देवताओं की पूजा और मंत्र जाप से स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से राहत मिल सकती है।