Sunday, December 8, 2024
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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् (Daridraya Dahana Shiv Stotram)

दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र (Daridraya Dahana Shiv Stotram) भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली भजन है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में विध्वंसक और परिवर्तनकर्ता के रूप में जाना जाता है। ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित, इस स्तोत्र को गरीबी को दूर करने और भक्तों को समृद्धि प्रदान करने की क्षमता के लिए सम्मानित किया जाता है जो इसे भक्ति के साथ पढ़ते हैं। स्तोत्र की शुरुआत भगवान शिव के आह्वान से होती है, जो सभी रूपों में गरीबी (दरिद्र) को जलाने में सक्षम हैं।

यह भगवान शिव के दिव्य गुणों का गुणगान करता है, उन्हें ब्रह्मांडीय नर्तक (नटराज), अर्धचंद्र (चंद्रशेखर) से सुशोभित और पवित्र शहर काशी (वाराणसी) में रहने वाले के रूप में वर्णित करता है। दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र का प्रत्येक श्लोक भगवान शिव की सर्वशक्तिमानता और परोपकार की प्रशंसा करता है, उनसे सभी प्रकार की गरीबी को मिटाने और अपने भक्तों को प्रचुरता और समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करता है। स्तोत्रम की लयबद्ध और मधुर रचना न केवल भक्ति की भावना को जागृत करती है, बल्कि भगवान शिव की कठिनाइयों को दूर करने और आशीर्वाद प्रदान करने की क्षमता में विश्वास भी जगाती है।

दारिद्रय दहन शिव स्तोत्रम के पाठ और चिंतन के माध्यम से, भक्त वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने, भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त करने और आंतरिक शांति और पूर्णता का अनुभव करने के लिए भगवान शिव की कृपा चाहते हैं।

दारिद्रय दहन शिव स्तोत्रम के गहन छंदों की खोज में हमारे साथ जुड़ें, क्योंकि हम भगवान शिव के शुभ आशीर्वाद का आह्वान करते हैं, जो सर्वोच्च देवता हैं जो अपनी दिव्य कृपा से समृद्धि प्रदान करते हैं और गरीबी को दूर करते हैं।


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|| दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् ||

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय ।
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 1 ॥

गौरीप्रियाय रजनीश कलाधराय
कालांतकाय भुजगाधिप कंकणाय ।
गंगाधराय गजराज विमर्धनाय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 2 ॥

भक्तप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुःख भवसागर तारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 3 ॥

चर्मांबराय शवभस्म विलेपनाय
फालेक्षणाय मणिकुंडल मंडिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 4 ॥

पंचाननाय फणिराज विभूषणाय
हेमांकुशाय भुवनत्रय मंडिताय
आनंद भूमि वरदाय तमोपयाय ।
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 5 ॥

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालांतकाय कमलासन पूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 6 ॥

रामप्रियाय रघुनाथ वरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णव तारणाय ।
पुण्याय पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 7 ॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीताप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय ।
मातंगचर्म वसनाय महेश्वराय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 8 ॥

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोग निवारणम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादि वर्धनम् ।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्ग मवाप्नुयात् ॥ 9 ॥

॥ इति श्री वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहन शिवस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

|| DARIDRYA DAHANA SHIVA STOTRAM ||

viśvēśvarāya narakārṇava tāraṇāya
karṇāmṛtāya śaśiśēkhara dhāraṇāya ।
karpūrakānti dhavaḻāya jaṭādharāya
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 1 ॥

gaurīpriyāya rajanīśa kaḻādharāya
kālāntakāya bhujagādhipa kaṅkaṇāya ।
gaṅgādharāya gajarāja vimardhanāya
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 2 ॥

bhaktapriyāya bhavarōga bhayāpahāya
ugrāya duḥkha bhavasāgara tāraṇāya ।
jyōtirmayāya guṇanāma sunṛtyakāya
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 3 ॥

charmāmbarāya śavabhasma vilēpanāya
phālēkṣaṇāya maṇikuṇḍala maṇḍitāya ।
mañjīrapādayugaḻāya jaṭādharāya
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 4 ॥

pañchānanāya phaṇirāja vibhūṣaṇāya
hēmāṅkuśāya bhuvanatraya maṇḍitāya
ānanda bhūmi varadāya tamōpayāya ।
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 5 ॥

bhānupriyāya bhavasāgara tāraṇāya
kālāntakāya kamalāsana pūjitāya ।
nētratrayāya śubhalakṣaṇa lakṣitāya
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 6 ॥

rāmapriyāya raghunātha varapradāya
nāgapriyāya narakārṇava tāraṇāya ।
puṇyāya puṇyabharitāya surārchitāya
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 7 ॥

muktēśvarāya phaladāya gaṇēśvarāya
gītāpriyāya vṛṣabhēśvara vāhanāya ।
mātaṅgacharma vasanāya mahēśvarāya
dāridryaduḥkha dahanāya namaśśivāya ॥ 8 ॥

vasiṣṭhēna kṛtaṃ stōtraṃ sarvarōga nivāraṇam ।
sarvasampatkaraṃ śīghraṃ putrapautrādi vardhanam ।
trisandhyaṃ yaḥ paṭhēnnityaṃ sa hi svarga mavāpnuyāt ॥ 9 ॥

॥ iti śrī vasiṣṭha virachitaṃ dāridryadahana śivastōtraṃ sampūrṇam ॥


दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् के लाभ

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण शिव स्तोत्र है जो विशेष रूप से आर्थिक तंगी और दरिद्रता को दूर करने के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण को व्यक्त करने के साथ-साथ व्यक्ति की दरिद्रता और आर्थिक समस्याओं को समाप्त करने का एक प्रभावी साधन है। इस स्तोत्र का पाठ न केवल आर्थिक स्थिति को सुधारता है बल्कि मानसिक शांति और आत्म-संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस स्तोत्र के लाभ और इसके पाठ की महत्वता के बारे में।

आर्थिक समस्याओं का समाधान

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का मुख्य लाभ यह है कि यह आर्थिक समस्याओं और दरिद्रता को दूर करने में सहायक होता है। जब कोई व्यक्ति आर्थिक तंगी से गुजरता है, तो यह स्तोत्र उसकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो आर्थिक समृद्धि और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देती है।

संतुलित और सकारात्मक मानसिकता

ध्यान और स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति की मानसिक स्थिति संतुलित रहती है। दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का पाठ करने से मन में सकारात्मकता और आत्म-विश्वास का विकास होता है। इससे व्यक्ति की मानसिक स्थिरता बढ़ती है और वह आर्थिक समस्याओं के बावजूद शांत और स्थिर रहता है।

धन-सम्पत्ति में वृद्धि

इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन में धन और सम्पत्ति की वृद्धि होती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और जो धन के अभाव का सामना कर रहे हैं। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने से धन के प्रवाह में सुधार होता है और वित्तीय स्थिरता प्राप्त होती है।

बुरी परिस्थितियों से मुक्ति

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का पाठ बुरी परिस्थितियों और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रभावी है जो जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। भगवान शिव की पूजा और स्तोत्र के पाठ से सभी प्रकार की समस्याओं और बाधाओं को पार करने में मदद मिलती है।

आध्यात्मिक उन्नति

इस स्तोत्र के पाठ से आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करता है, जिससे व्यक्ति की आत्मा को शांति और संतोष मिलता है। यह स्तोत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने और आत्मिक जागरूकता प्राप्त करने में मदद करता है।

व्यापार और पेशेवर सफलता

व्यापारियों और पेशेवर लोगों के लिए दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकता है। यह स्तोत्र व्यापारिक और पेशेवर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सहायक होता है। नियमित पाठ से व्यापार में उन्नति, नए अवसरों की प्राप्ति और पेशेवर क्षेत्र में सफलता की संभावना बढ़ती है।

शांति और समृद्धि

भगवान शिव की पूजा और स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो जीवन में शांति और सुख की तलाश में हैं। इससे परिवार में सामंजस्य और सुख-शांति बनी रहती है, जिससे जीवन में समृद्धि और खुशी का अनुभव होता है।

आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का नियमित पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है। भगवान शिव की भक्ति और समर्पण से व्यक्ति की मानसिक स्थिति मजबूत होती है और वह जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है।

स्वास्थ्य लाभ

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का पाठ लाभकारी हो सकता है। इससे मानसिक तनाव कम होता है, जो स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। जब मानसिक स्थिति स्थिर और शांत रहती है, तो यह शारीरिक स्वास्थ्य को भी अच्छा बनाता है।

संकटमोचन

यह स्तोत्र संकट और परेशानियों से उबरने के लिए भी प्रभावी है। जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों को दूर करने के लिए दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का पाठ किया जाता है। यह व्यक्ति को कठिन समय में समर्थन और शक्ति प्रदान करता है।

भक्तिपूर्वक पूजा

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का पाठ भक्तिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करने से व्यक्ति की भक्ति और समर्पण की भावना बढ़ती है। भगवान शिव के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और व्यक्ति का जीवन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध होता है।

सहजता और सुख

इस स्तोत्र के नियमित पाठ से जीवन में सहजता और सुख का अनुभव होता है। व्यक्ति अपने जीवन के सभी पहलुओं में अधिक संतुलित और खुशहाल महसूस करता है। यह स्तोत्र जीवन की जटिलताओं को सरल बनाता है और खुशी और संतोष प्रदान करता है।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् का पाठ व्यक्ति के जीवन में आर्थिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ लाने में सहायक होता है। यह स्तोत्र दरिद्रता और आर्थिक समस्याओं को समाप्त करने के साथ-साथ मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति प्रदान करता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति का जीवन खुशहाल और समृद्ध बनता है। भगवान शिव की कृपा और भक्ति से व्यक्ति का जीवन सहज और संतुलित होता है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि का अनुभव होता है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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