Saturday, December 7, 2024
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Sai Baba Aarti PDF | श्री शिरडी साईं बाबा की आरती 2024

साईं बाबा की आरती (Sai Baba Aarti PDF) की आरती का महत्त्व उनकी भक्ति और श्रद्धा के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है। साईं बाबा, जिन्हें शिरडी साईं बाबा के नाम से भी जाना जाता है, एक संत और गुरु के रूप में समर्पित भक्तों के हृदयों में बसे हुए हैं। उनकी आरती न केवल उनकी दिव्यता का गुणगान करती है, बल्कि भक्तों के जीवन में शांति और सौभाग्य की कामना भी करती है। साईं बाबा की आरती, भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें वे अपने आराध्य गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करते हैं। आप यहां से साईं चालीसा भी पढ़ सकते हैं।

साईं बाबा की आरतियाँ दिन में चार बार की जाती हैं: काकड़ आरती (सुबह), मध्यान्ह आरती (दोपहर), धूप आरती (शाम), और शेज आरती (रात)। इन आरतियों के माध्यम से साईं बाबा के भक्त उनके चरणों में समर्पित होते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। शिरडी में साईं बाबा के समाधि स्थल पर हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन इन आरतियों में शामिल होते हैं, जिससे वहां की दिव्यता और भक्ति का माहौल और भी पवित्र हो जाता है।

आरती का महत्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान में नहीं, बल्कि यह भक्तों के लिए एक आत्मिक अनुभव है, जिसमें वे साईं बाबा की कृपा का अनुभव करते हैं। आरतियों के दौरान गाए जाने वाले भजन और मंत्र साईं बाबा की शिक्षाओं और उनके द्वारा किए गए चमत्कारों का स्मरण कराते हैं। यह भक्ति गीत साईं बाबा के प्रति असीम प्रेम और आस्था को उजागर करते हैं, जो भक्तों के जीवन को मार्गदर्शित करता है।


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|| श्री शिरडी साईं बाबा की आरती ||

आरती साईबाबा ।
सौख्यदातारा जीवा ।
चरणरजतळीं निज दासां विसावां ।
भक्तां विसावा

जाळुनियां अनंग ।
स्वस्वरुपी राहे दंग ।
मुमुक्षुजना दावी ।
निजडोळां श्रीरंग ॥१॥

जया मनीं जैसा भाव ।
तया तैसा अनुभव ।
दाविसी दयाघना ।
ऐसी ही तुझी माव ॥२॥

तुमचें नाम ध्यातां ।
हरे संसृतिव्यथा ।
अगाध तव करणी ।
मार्ग दाविसी अनाथा ॥३॥

कलियुगीं अवतार ।
सगुणब्रह्म साचार ।
अवतीर्ण झालासे ।
स्वामी दत्त दिगंबर ॥४॥

आठा दिवसां गुरुवारी ।
भक्त करिती वारी ।
प्रभुपद पहावया ।
भवभय निवारी ॥५॥

माझा निजद्रव्य ठेवा ।
तव चरणसेवा ।
मागणें हेंचि आता ।
तुम्हा देवाधिदेवा ॥६॥

इच्छित दीन चातक ।
निर्मळ तोय निजसुख ।
पाजावें माधवा या ।
सांभाळ आपुली भाक ॥७॥

|| Sai Baba Aarti Lyrics ||

Aarti Saibaba
Saukhyadatara Jeeva
Charanrajatali Nija Daasaan Visaava
Bhaktaan Visaava

Jaaluniya Anang
Swaswarupi Rahe Dang
Mumukshu Janaa Daavi
Nij Dolaan Shrirang ॥1॥

Jaya Manee Jaisa Bhaav
Tayaa Taisaa Anubhav
Daavisi Dayaghana
Aisee Hi Tujhi Maav ॥2॥

Tumche Naam Dhyaataa
Hare Sansruti Vyatha
Agadha Tav Karanee
Maarg Daavisi Anaathaa ॥3॥

Kaliyugee Avataar
Saguna Brahma Sachaara
Avateern Jhalaase
Swami Datt Digambar ॥4॥

Aathaa Divasaan Guruwari
Bhakta Karitee Vaari
Prabhupad Pahavaya
Bhavabhaya Nivaari ॥5॥

Maazaa Nijdravya Thevaa
Tav Charansevaa
Maagane Henchi Aataa
Tumha Devaadhidevaa ॥6॥

Ichchhit Deen Chaatak
Nirmal Toy Nijasukh
Paajaave Maadhavaa Yaa
Saambhaal Aapuli Bhaak ॥7॥




साईं बाबा के 11 वचन

शिरडी साईं बाबा, जिन्हें शिरडी के साईं बाबा के नाम से जाना जाता है, एक महान संत और आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने अपने भक्तों को जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन करने के लिए 11 वचन दिए, जो उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा और साहस का स्रोत हैं। इन वचनों में उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया और सच्चाई, धर्म, और भक्ति का संदेश दिया। इन 11 वचनों के माध्यम से, साईं बाबा ने अपने भक्तों को जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन बनाए रखने और आत्मा की शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाया है। यहाँ हम इन 11 वचनों का विस्तृत वर्णन करेंगे।

1. जो शिरडी आएगा, मेरा दर्शन पाएगा

यह वचन साईं बाबा के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो उनकी शरण में आते हैं। शिरडी आना साईं बाबा के भक्तों के लिए उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक प्रतीक है। साईं बाबा ने अपने भक्तों से वादा किया कि जो कोई भी उनकी शरण में आएगा, वह उनके दर्शन और उनकी कृपा का अनुभव करेगा। यह वचन इस बात का प्रतीक है कि बाबा अपने भक्तों के लिए हमेशा उपलब्ध हैं और उनकी मदद के लिए तत्पर रहते हैं। शिरडी आना और बाबा के दर्शन करना भक्तों के लिए एक पवित्र और आत्मिक अनुभव है, जो उन्हें आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करता है।

2. मेरे भक्तों का कभी अनिष्ट नहीं होगा

साईं बाबा के इस वचन में गहरी आस्था और विश्वास की भावना है। बाबा अपने भक्तों को यह आश्वासन देते हैं कि वे कभी भी अपने भक्तों को कष्ट में नहीं छोड़ेंगे। बाबा के इस वचन के अनुसार, वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें जीवन की कठिनाइयों से बचाते हैं। यह वचन भक्तों के लिए एक आस्था का प्रतीक है, जिससे उन्हें यह विश्वास होता है कि बाबा हमेशा उनके साथ हैं और उनकी रक्षा कर रहे हैं। जब भक्त सच्चे मन से बाबा की शरण में आते हैं, तो उन्हें जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और बाबा की कृपा से उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

3. जो मुझसे मांगेगा, उसे मैं दूंगा

यह वचन बाबा की उदारता और कृपा का प्रतीक है। साईं बाबा ने अपने भक्तों को यह वचन दिया कि जो कोई भी उनसे कुछ मांगेगा, वह उसे प्रदान करेंगे। बाबा के इस वचन का अर्थ यह है कि वह अपने भक्तों की इच्छाओं और आवश्यकताओं को समझते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। हालांकि, बाबा ने अपने भक्तों से यह भी कहा कि वे केवल उचित और धर्म के अनुसार ही मांगे, क्योंकि बाबा वही प्रदान करते हैं जो उनके भक्तों के लिए सही और उचित हो। यह वचन भक्तों को यह संदेश देता है कि वे बाबा पर विश्वास रखें और अपनी सभी इच्छाओं और आवश्यकताओं के लिए उनसे प्रार्थना करें।

4. जो मेरे शरण आएगा, उसे मैं मुक्त करूंगा

साईं बाबा के इस वचन का मतलब है कि जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से उनकी शरण में आता है, वह सभी सांसारिक बंधनों और कष्टों से मुक्त हो जाता है। बाबा के अनुसार, उनकी शरण में आकर व्यक्ति अपने सभी पापों और दुखों से मुक्ति पा सकता है। यह वचन भक्तों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है, जिससे वे बाबा की शरण में आकर अपनी आत्मा की शुद्धि और मुक्ति का अनुभव कर सकते हैं। बाबा के इस वचन से भक्तों को यह समझ में आता है कि सच्ची भक्ति और विश्वास से ही मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

5. मुझे जो भी देखेगा, उसके सभी दुख दूर हो जाएंगे

यह वचन साईं बाबा की दिव्यता और उनकी कृपा का प्रतीक है। बाबा ने अपने भक्तों से यह वचन दिया कि जो कोई भी उन्हें सच्चे मन से देखेगा, उसके सभी दुख और कष्ट दूर हो जाएंगे। यह वचन इस बात का संकेत है कि बाबा के दर्शन से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है और उनके जीवन के सभी दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। बाबा के इस वचन के अनुसार, उनके दर्शन करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वे अपने जीवन में नई ऊर्जा और उमंग का अनुभव करते हैं।

6. मैं सदैव सभी की सहायता करूंगा

साईं बाबा के इस वचन में उनकी करुणा और दया का भाव प्रकट होता है। बाबा ने अपने भक्तों को यह आश्वासन दिया कि वे हमेशा उनकी सहायता करेंगे, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। बाबा के इस वचन का अर्थ है कि वे अपने भक्तों के हर कदम पर उनके साथ हैं और उन्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़ेंगे। यह वचन भक्तों को साहस और आत्मविश्वास देता है कि वे अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं, क्योंकि बाबा हमेशा उनके साथ हैं और उनकी मदद कर रहे हैं। बाबा के इस वचन से भक्तों को यह विश्वास होता है कि वे कभी भी असहाय या अकेले नहीं हैं।

7. मैं समय पर आने में देरी कर सकता हूँ, लेकिन मैं हमेशा आऊंगा

यह वचन साईं बाबा के धैर्य और संकल्प का प्रतीक है। बाबा ने अपने भक्तों को यह वचन दिया कि भले ही उन्हें समय पर मदद पहुंचाने में देरी हो, लेकिन वे हमेशा उनकी सहायता के लिए आएंगे। यह वचन इस बात का संकेत है कि बाबा कभी भी अपने भक्तों को निराश नहीं करते और हमेशा उनकी मदद के लिए उपस्थित होते हैं। यह वचन भक्तों के लिए धैर्य और विश्वास का प्रतीक है, जिससे उन्हें यह समझ में आता है कि बाबा के समय पर भरोसा रखना आवश्यक है और वे हमेशा सही समय पर उनकी मदद के लिए आते हैं।

8. मैं अपने भक्तों के साथ हमेशा खड़ा हूँ

साईं बाबा के इस वचन का मतलब है कि वे अपने भक्तों के साथ हर समय खड़े रहते हैं, चाहे वे किसी भी स्थिति में हों। बाबा ने अपने भक्तों को यह वचन दिया कि वे कभी भी उनका साथ नहीं छोड़ेंगे और हमेशा उनके साथ रहेंगे। यह वचन भक्तों के लिए एक सुरक्षा और आस्था का प्रतीक है, जिससे उन्हें यह विश्वास होता है कि बाबा हमेशा उनके साथ हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की कठिनाई में अकेला नहीं छोड़ेंगे। बाबा के इस वचन से भक्तों को आत्मविश्वास मिलता है कि वे किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं, क्योंकि बाबा उनके साथ हैं।

9. मेरे भक्त अगर कुछ और नहीं जानते, तो भी चिंता मत करो, सिर्फ मुझसे प्रेम करो और मुझ पर विश्वास रखो

यह वचन बाबा की भक्ति और प्रेम के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। बाबा ने अपने भक्तों से कहा कि अगर वे कुछ और नहीं जानते, तो भी उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें बस साईं बाबा से प्रेम करना चाहिए और उन पर पूरा विश्वास रखना चाहिए। बाबा के इस वचन का अर्थ यह है कि भक्ति और प्रेम ही सबसे महत्वपूर्ण है। बाबा के प्रति सच्चा प्रेम और विश्वास रखने से भक्तों को सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान मिल सकता है। यह वचन भक्तों के लिए एक सरल और प्रभावी मार्गदर्शन है, जो उन्हें साईं बाबा के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

10. यदि तुम मेरे वचनों का पालन करोगे, तो तुम्हें किसी भी प्रकार की चिंता नहीं करनी पड़ेगी

यह वचन साईं बाबा के अनुशासन और मार्गदर्शन का प्रतीक है। बाबा ने अपने भक्तों से कहा कि अगर वे उनके वचनों का पालन करेंगे, तो उन्हें किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। बाबा के इस वचन का अर्थ यह है कि उनके निर्देशों का पालन करने से भक्तों को जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होगा।

बाबा के वचनों का पालन करना उनके अनुयायियों के लिए एक मार्गदर्शन का स्रोत है, जिससे वे अपने जीवन में सही दिशा प्राप्त कर सकते हैं। बाबा के इस वचन से भक्तों को यह समझ में आता है कि अगर वे बाबा के मार्ग पर चलेंगे, तो उन्हें किसी भी प्रकार की चिंता या कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।

11. जो मुझ पर विश्वास करेगा, उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ा जाएगा

साईं बाबा के इस वचन में उनकी करुणा और दया का भाव प्रकट होता है। बाबा ने अपने भक्तों को यह वचन दिया कि जो कोई भी उन पर विश्वास करेगा, उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। बाबा के इस वचन का अर्थ यह है कि वे हमेशा अपने भक्तों के साथ रहेंगे और उन्हें किसी भी परिस्थिति में अकेला नहीं छोड़ेंगे। यह वचन भक्तों के लिए एक सुरक्षा और आस्था का प्रतीक है, जिससे उन्हें यह विश्वास होता है कि बाबा हमेशा उनके साथ हैं और उनकी रक्षा कर रहे हैं। बाबा के इस वचन से भक्तों को आत्मविश्वास मिलता है कि वे किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं, क्योंकि बाबा उनके साथ हैं।


शिरडी साईं बाबा की आरती के लाभ

शिरडी साईं बाबा की आरती का भक्तों के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना का मार्ग भी है। साईं बाबा की आरती को सुनने और उसमें भाग लेने से अनेक आध्यात्मिक और मानसिक लाभ होते हैं। इस लेख में हम 786 शब्दों में शिरडी साईं बाबा की आरती के लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

1. आध्यात्मिक शांति और संतुलन

शिरडी साईं बाबा की आरती के दौरान गाए जाने वाले भजन और मंत्रों में गहन आध्यात्मिक शक्ति होती है। जब भक्त आरती में ध्यान केंद्रित करते हैं और साईं बाबा की कृपा का आह्वान करते हैं, तो उनके मन और आत्मा को गहरा संतोष और शांति प्राप्त होती है। आरती के दौरान साईं बाबा की दिव्य उपस्थिति का अनुभव करना, आत्मिक शांति का एक अनूठा अनुभव होता है। यह व्यक्ति के जीवन में संतुलन और स्थिरता लाने में सहायक होता है, जिससे वे बाहरी संघर्षों और चुनौतियों का सामना अधिक धैर्य और आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं।

2. सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण की शुद्धि

आरती के समय गाए जाने वाले भजनों की ध्वनि और आरती की लौ से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाती है। जब भक्त एकाग्रता के साथ आरती करते हैं, तो वह ऊर्जा उनके आसपास के क्षेत्र में फैल जाती है, जिससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और वातावरण शुद्ध होता है। साईं बाबा की आरती को नियमित रूप से सुनने और उसमें भाग लेने से घर या मंदिर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है, जो नकारात्मकता और बुरे प्रभावों को समाप्त कर देता है।

3. आत्मिक उन्नति और भक्ति का गहन अनुभव

साईं बाबा की आरती एक साधना के रूप में भी कार्य करती है। भक्तों को आरती में शामिल होने से भक्ति का गहन अनुभव होता है, जिससे वे अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ते हैं। आरती के दौरान साईं बाबा की शिक्षाओं का स्मरण और उनके चरणों में समर्पण से व्यक्ति के भीतर भक्ति की भावना प्रबल होती है। यह उन्हें उनके सांसारिक जीवन से परे ले जाकर आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है। इस प्रकार, साईं बाबा की आरती भक्ति का एक सशक्त माध्यम है, जो व्यक्ति के आत्मिक विकास में सहायक होता है।

4. स्वास्थ्य और मानसिक शांति का संवर्धन

आरती के दौरान गाए जाने वाले भजनों और मंत्रों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ध्वनि तरंगों के माध्यम से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा न केवल मानसिक शांति प्रदान करती है, बल्कि शरीर को भी स्वस्थ रखने में मदद करती है। नियमित रूप से साईं बाबा की आरती में भाग लेने से तनाव और चिंता कम होती है, मन की अशांति समाप्त होती है, और व्यक्ति को गहरी मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा, आरती के दौरान एकाग्रता और ध्यान बढ़ाने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति की जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

5. धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

साईं बाबा की आरती धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। साईं बाबा ने अपने जीवनकाल में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के अनुयायियों को समान रूप से प्रेम और सेवा का संदेश दिया। आरती के माध्यम से उनके इस संदेश को सभी धर्मों और जातियों के लोगों के बीच प्रचारित किया जाता है। इससे भक्तों के बीच धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलता है। साईं बाबा की आरती में भाग लेने से व्यक्ति की धार्मिक सोच का दायरा बढ़ता है और वह सभी धर्मों के प्रति सम्मान और प्रेम का भाव रखता है।

6. संकटों से मुक्ति और जीवन में समृद्धि का आगमन

ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा की आरती करने से जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है और समृद्धि का आगमन होता है। भक्तगण जब सच्चे मन से साईं बाबा की आरती करते हैं, तो वे अपने जीवन की कठिनाइयों से निजात पाने की प्रार्थना करते हैं। साईं बाबा की कृपा से उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। कई भक्तों का अनुभव है कि नियमित रूप से साईं बाबा की आरती करने से उनके जीवन में चल रही समस्याओं का समाधान होता है और उन्हें नए अवसर प्राप्त होते हैं।

7. भक्ति और विश्वास में वृद्धि

साईं बाबा की आरती करने से भक्तों के भीतर भक्ति और विश्वास की भावना बढ़ती है। आरती के दौरान साईं बाबा के प्रति श्रद्धा और प्रेम का भाव प्रकट किया जाता है, जिससे भक्तों का विश्वास और भी मजबूत होता है। यह विश्वास उन्हें जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी साईं बाबा की कृपा और मार्गदर्शन पर अडिग बनाए रखता है। भक्ति और विश्वास के इस मार्ग पर चलने से भक्तों को जीवन में आत्मिक बल और साहस प्राप्त होता है।


1. साईं बाबा की कितनी आरती है?

साईं बाबा की चार प्रमुख आरतियाँ हैं:
– काकड़ आरती (सुबह),
– मध्यान्ह आरती (दोपहर),
– धूप आरती (शाम),
– शेज आरती (रात)।

2. साईं बाबा का मुख्य भक्त कौन है?

साईं बाबा के मुख्य भक्तों में शिर्डी के भक्त महलसापति, हेमाडपंत, श्यामा, और लक्ष्मण राव प्रमुख हैं।

3. शिर्डी में आरती क्या है?

शिर्डी में साईं बाबा के सम्मान में की जाने वाली आरती एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भजन, मंत्र और चमत्कारी अनुभवों का गायन किया जाता है। यह आरती प्रतिदिन चार बार की जाती है।

4. साईं बाबा की कौन सी जाति है?

साईं बाबा की जाति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। उन्होंने कभी अपनी जाति का उल्लेख नहीं किया और उन्होंने अपने अनुयायियों को जाति और धर्म से ऊपर उठने का संदेश दिया।

5. साईं बाबा कौन से धर्म के थे?

साईं बाबा के धर्म के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। उन्होंने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया और हिंदू और मुस्लिम दोनों के अनुयायियों को समान रूप से मार्गदर्शन दिया।

6. साई बाबा की आरती किसने लिखी थी?

साईं बाबा की आरती का लेखन प्रसिद्ध मराठी संतों और भक्तों द्वारा किया गया है। इनमें से प्रमुख हैं मध्यान्ह आरती (उपयुक्त अज्ञात लेखक) और शेज आरती (माधव अदा)।


Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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