Sunday, December 8, 2024
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नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa PDF)

नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa Pdf) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो नवग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु) के प्रति आस्था और भक्ति को व्यक्त करता है। “चालीसा” का मतलब होता है चालीस (40) श्लोक, और इस चालीसा में नवग्रहों की महिमा और उनके प्रभावों के बारे में 40 श्लोकों के माध्यम से विस्तार से वर्णन किया गया है।

नवग्रह चालीसा का पाठ विशेष रूप से ग्रह दोषों को दूर करने, जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त करने, और ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने के लिए किया जाता है। प्रत्येक ग्रह की अपनी विशेषताएँ और प्रभाव होते हैं, और यह चालीसा उन प्रभावों को संतुलित करने के लिए एक प्रभावी साधन मानी जाती है।

ग्रहों की स्थिति का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है, और नवग्रह चालीसा का पाठ करके साधक ग्रहों के शुभ प्रभाव को बढ़ा सकते हैं और अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं। यह चालीसा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो अपने जीवन में ग्रह दोषों के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं या जो अपने जीवन में अधिक सकारात्मक ऊर्जा और सुख चाहते हैं।

नवग्रह चालीसा का नियमित पाठ न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि यह मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और जीवन में सुख-समृद्धि को बढ़ावा देने में भी सहायक होता है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्तों को अपने जीवन में संतुलन और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।


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|| नवग्रह चालीसा ||

॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरुपद कमल,
प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत,
शारद होत सहाय ॥

जय जय रवि शशि सोम बुध,
जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह,
करहुं अनुग्रह आज ॥

॥ चौपाई ॥

॥ श्री सूर्य स्तुति ॥
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,
करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू,
मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।

॥ श्री चन्द्र स्तुति ॥
शशि मयंक रजनीपति स्वामी,
चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।
राकापति हिमांशु राकेशा,
प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर,
शीत रश्मि औषधि निशाकर ।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा,
शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।

॥ श्री मंगल स्तुति ॥
जय जय जय मंगल सुखदाता,
लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी,
करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै ।

॥ श्री बुध स्तुति ॥
जय शशि नन्दन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन,
चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।

॥ श्री बृहस्पति स्तुति ॥
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा,
करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,
इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।
वाचस्पति बागीश उदारा,
जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा,
करहुं सकल विधि पूरण कामा ।

॥ श्री शुक्र स्तुति ॥
शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुमही राजा ।

॥ श्री शनि स्तुति ॥
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन,
जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,
वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा,
क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला,
हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।

॥ श्री राहु स्तुति ॥
जय जय राहु गगन प्रविसइया,
तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,
सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।

॥ श्री केतु स्तुति ॥
जय श्री केतु कठिन दुखहारी,
करहु सुजन हित मंगलकारी ।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला,
घोर रौद्रतन अघमन काला ।
शिखी तारिका ग्रह बलवान,
महा प्रताप न तेज ठिकाना ।
वाहन मीन महा शुभकारी,
दीजै शान्ति दया उर धारी ।

॥ नवग्रह शांति फल ॥
तीरथराज प्रयाग सुपासा,
बसै राम के सुन्दर दासा ।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी,
दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु,
जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै,
सब सुख भोगि परम पद पावै ॥

॥ दोहा ॥
धन्य नवग्रह देव प्रभु,
महिमा अगम अपार ।
चित नव मंगल मोद गृह,
जगत जनन सुखद्वार ॥

यह चालीसा नवोग्रह,
विरचित सुन्दरदास ।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख,
सर्वानन्द हुलास ॥

॥ इति श्री नवग्रह चालीसा ॥

Navgrah Chalisa PDF

॥ Doha ॥
shree ganapati gurupad kamal,
prem siranaay ॥
navagrah chaaleesa kahat,
sharad hot sahaayata ॥

jay jay ravi shashi som budh,
jay guru bhrgushani raaj ॥
jayati raahu aru ketu grah,
karahun anugrah aaj ॥

॥ Chaupaee ॥

॥ Shree Surya stuti ॥
prathamahi ravi kahan naavaun maatha,
karahun krpa jani jani anaatha ॥
he aadity divaakar bhaanu,
main mati mand maha agyaanu ॥
ab nij jan kahan harahu kalesha,
dinakar dvaadash roop dinesha ॥
namo bhaaskar soory naukaraanee,
ark mitr agh mogh kshamaakar ॥

॥ Shree Chandra stuti ॥
shashi makkee rajanee svaamee,
chandr kalaanidhi namo namaami ॥
raakaapati himaanshu raakesha,
pranavat jan tan harahun kalesha ॥
som indu vidhu shaanti sudhaakar,
sheet rashmee aushadhi nishaachar ॥
tumheen shobhit sundar bhaal mahesa,
sharan sharan jan harahun kalesha ॥

॥ Shree Mangal stuti ॥
jay jay jay mangal sukhadaata,
lohit bhaumadik saahity ॥
angaarak kuj ruj rnaahaaree,
karahun daya yahee vinay hamaaree ॥
he mahisut chhitisut sukharaashee,
lohitaang jay jan aghanaashee ॥
agam mangal ab har leejai,
sakal manorath pooran keejai ॥

॥ Shree Budh stuti ॥
jay shashi nandan budh mahaaraaja,
karahu sakal jan kahan shubh kaaja ॥
deejai buddhi bal sumati sujaana,
kathin kasht hari kari kalyaan ॥
he taaraasut rohinee nandan,
chandrasuvan duhkh dvandv nikkandan ॥
poojahin aas daas kahu svaamee,
pranat pal prabhu namo namaami ॥

॥ Shree Brhaspati stuti ॥
jayati jayati jay shree gurudeva,
indakshan sada tumhaaree prabhu seva ॥
devaachaary tum dev guru gyaanee,
indr purohit vidyaadaanee ॥
vaachaspati baageez libaral,
jeev brhaspati naam ॥
vidya sindhu angira naama,
karahun sakal vidhi pooran kaam ॥

॥ Shree Shukra stuti ॥
shukr dev tal jal,
daas nirantan dhyaan sthaan ॥
he ushana bhaagavat bhrgu nandan,
daity purohit dusht nikandan ॥
bhrgukul bhooshan dooshan haaree,
harahun nesht grah karahun sukhaari ॥
tuhi dvijabar joshee sirataaja,
nar shareer ke tumheen raaja ॥

॥ shree Shani stuti ॥
jay shree shanidev ravi nandan,
jay krshno sauri jagavandan ॥
pingal mand raudr yam naama,
vapr aadi konasth laama ॥
vajr drshti pippal tan saaja,
kshan mahan karat rank kshan raaja ॥
laalat svarn pad karat nihaala,
harahun vipatti chhaaya ke laala ॥

॥ Shree Raahu stuti ॥
jay jay raahu gagan pravisiya,
tumheen chandr aadity graasiya ॥
ravi shashi ari svarbhaanu dhaara,
sikhee aadi bahu naam lipi ॥
sahinkey tum nishaachar raaja,
ardhakaay jag raakhahu laaja ॥
yadi grah samay paay hin aavahu,
sada shaanti aur sukh upajaavahu ॥

॥ Shree Ketu stuti ॥
jay shree ketu kathin duhkhahaaree,
karahu sujan hit mangalakaaree ॥
dhvajayut rund roop vikaarala,
ghor raudrataan aghaman kaala ॥
shikhee taarika grah balavaan,
maha prataap na tej vakta ॥
vaahan meen maha shubhakaaree,
deejai shaanti daya ur dhaaree ॥

॥ Navagrah shaanti phal ॥
teeratharaaj prayaag supaasa,
basai raam ke sundar daasa ॥
kakarara graamahin poore-tivaaree,
durvaasaashram jan duhkh haaree ॥
navagrah shaanti paathyo sukhaay,
jan tan utprerana setu ॥
jo nit paath karai chit laavai,
sab sukh bhogee param pad paavai ॥

॥ Doha ॥
dhany navagrah dev prabhu,
mahima agam apaar ॥
chit nav mangal mod grh,
jagat janan sukhadvaar ॥

yah chaaleesa navograh,
virachit sundaradaas ॥
padhat prem sut badhat sukh,
sarvaanand hulaas ॥

॥ iti shree navagrah chaaleesa ॥


नवग्रह चालीसा के लाभ

नवग्रह चालीसा एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है जो नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु) की स्तुति में लिखा गया है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। यहाँ नवग्रह चालीसा के प्रमुख लाभों का विस्तार से वर्णन किया गया है:

ग्रह दोषों का निवारण

नवग्रह चालीसा के पाठ से ग्रह दोषों का निवारण होता है। यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति अशुभ है, तो नवग्रह चालीसा का पाठ करने से ग्रहों की दुष्प्रभाव कम होता है। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं और परेशानियाँ कम होती हैं।

मानसिक शांति

नवग्रह चालीसा का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह मन को स्थिरता और शांति प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति तनावमुक्त और खुशहाल रहता है।

स्वास्थ्य लाभ

नवग्रह चालीसा के पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ और सशक्त रहता है।

आर्थिक समृद्धि

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है। यह व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि और स्थिरता प्रदान करता है। व्यवसाय में सफलता और नौकरी में उन्नति प्राप्त होती है।

पारिवारिक सुख

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। यह पारिवारिक सदस्यों के बीच प्रेम और सामंजस्य को बढ़ाता है, जिससे परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

जीवन में संतुलन

नवग्रह चालीसा का पाठ जीवन में संतुलन लाता है। यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं में सामंजस्य स्थापित करता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता और संतुलन बना रहता है।

आध्यात्मिक विकास

नवग्रह चालीसा का पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है और उसे ईश्वर के निकट ले जाता है। इससे आत्मा की शुद्धि और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।

बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहता है। यह व्यक्ति को हर प्रकार की नकारात्मकता से बचाता है और उसे सकारात्मकता से भरता है।

करियर और शिक्षा में सफलता

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से करियर और शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है। यह छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि यह उनकी एकाग्रता और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और उन्हें शिक्षा में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।

प्रेम और विवाह में सफलता

नवग्रह चालीसा का पाठ प्रेम और विवाह में सफलता प्रदान करता है। यह वैवाहिक जीवन को सुखद और खुशहाल बनाता है और प्रेम संबंधों में स्थिरता और विश्वास बढ़ाता है।

शुभ फलों की प्राप्ति

नवग्रह चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति के जीवन में शुभता और समृद्धि लाता है और उसे हर प्रकार की सुख-सुविधाएं प्रदान करता है।

मनोकामनाओं की पूर्ति

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। यह व्यक्ति की इच्छाओं और सपनों को पूरा करने में मदद करता है और उसे हर प्रकार की सफलताएं प्रदान करता है।

आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाता है और उसे हर चुनौती का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।

शत्रुओं से रक्षा

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति शत्रुओं से सुरक्षित रहता है। यह व्यक्ति को हर प्रकार के शत्रुओं और विरोधियों से बचाता है और उसे सफलता और सुरक्षा प्रदान करता है।

भाग्य में सुधार

नवग्रह चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के भाग्य में सुधार होता है। यह व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और सफलता लाता है और उसे हर प्रकार की मुश्किलों से उबारता है।

नवग्रह चालीसा का पाठ व्यक्ति को हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाता है और उसे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करता है। यह एक अद्भुत धार्मिक ग्रंथ है जो व्यक्ति को हर प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाता है और उसे जीवन में सफलता और खुशहाली प्रदान करता है।


नवग्रह चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

नवग्रह चालीसा पढ़ने से ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति की जीवनशैली में सुधार होता है। यह समृद्धि, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है। यह ग्रहों की अनुकूलता बढ़ाने में मदद करता है और मानसिक शांति भी प्रदान करता है।

नवग्रह शांत कैसे करें?

नवग्रह शांत करने के लिए नियमित रूप से नवग्रह पूजा, हवन, और व्रत का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा, ग्रहों की अशांति को दूर करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप, दान-पुण्य, और तंत्र-मंत्र का पालन भी किया जाता है। प्रत्येक ग्रह के अनुसार विशेष उपाय किए जाते हैं।

नवग्रह स्तोत्र कब पढ़ना है?

नवग्रह स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से ग्रहों की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसे मंगलवार, शनिवार, और अन्य ग्रहों के विशेष दिनों पर पढ़ना शुभ माना जाता है। इसे सुबह और संध्या के समय विशेष रूप से पढ़ा जाता है।

नवग्रह का मंत्र क्या है?

नवग्रहों के लिए विभिन्न मंत्र होते हैं। यहाँ कुछ सामान्य मंत्र दिए जा रहे हैं:

सूर्य: “ॐ सूर्याय नमः”
चंद्रमा: “ॐ चंद्रमसे नमः”
मंगल: “ॐ अंगारकाय नमः”
बुध: “ॐ बुधाय नमः”
गुरु: “ॐ गुरवे नमः”
शुक्र: “ॐ शुक्राय नमः”
शनि: “ॐ शनैश्चराय नमः”
राहू: “ॐ राहवे नमः”
केतू: “ॐ केतवे नमः”

नवग्रह के देवता कौन हैं?

नवग्रहों के देवता निम्नलिखित हैं:

सूर्य: सूर्य देव
चंद्रमा: चंद्र देव
मंगल: मंगल देव
बुध: बुध देव
गुरु: गुरु देव
शुक्र: शुक्र देव
शनि: शनि देव
राहू: राहू (छाया ग्रह)
केतू: केतू (छाया ग्रह)

नवग्रह में सबसे शक्तिशाली ग्रह कौन सा है?

नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह की पहचान विभिन्न धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय दृष्टिकोण के आधार पर की जाती है। परंपरागत रूप से, गुरु और शनि को अत्यंत शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। गुरु को भाग्य और समृद्धि का कारक माना जाता है, जबकि शनि को न्याय और कर्मफल का कारक माना जाता है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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