श्री ललिता माता की आरती (Shri Lalita Mata Ki Aarti) हिंदू धर्म में देवी ललिता को समर्पित एक प्रमुख स्तुति है। देवी ललिता को त्रिपुरा सुंदरी के रूप में भी जाना जाता है, और वे दस महाविद्याओं में से एक हैं। उनका पूजन और आराधना विशेष रूप से शाक्त परंपरा में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
ललिता देवी का स्वरूप अत्यंत ही आकर्षक, सौम्य और शांतिमय है। वे सृष्टि, स्थिति, और संहार की देवी मानी जाती हैं और उनकी पूजा से भक्तों को समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। माता ललिता को सौंदर्य, विद्या और शक्ति की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।
श्री ललिता माता की आरती के दौरान, भक्तगण दीप जलाकर, फूलों की माला चढ़ाकर, और मधुर भजनों के साथ देवी की महिमा का गान करते हैं। इस आरती में देवी के विभिन्न नामों और रूपों का वर्णन किया जाता है, जो उनकी अद्वितीय शक्ति और सुंदरता को प्रकट करते हैं। भक्तगण उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं, जिससे उनका जीवन सुखमय और समृद्ध हो सके।
आरती के शब्द सरल और मनोहारी होते हैं, जो भक्तों के हृदय को भक्ति और श्रद्धा से भर देते हैं। यह आरती न केवल देवी ललिता के प्रति प्रेम और भक्ति को दर्शाती है, बल्कि उनके प्रति सम्मान और आस्था को भी प्रकट करती है। आरती के माध्यम से भक्त अपनी सभी कठिनाइयों और दुखों को देवी के चरणों में समर्पित करते हैं और उनसे मार्गदर्शन और संबल की प्रार्थना करते हैं।
श्री ललिता माता की आरती विशेष अवसरों पर, विशेषकर नवरात्रि और अन्य महत्वपूर्ण तीज-त्योहारों पर गाई जाती है। यह आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का एक अभिन्न हिस्सा है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिकता का संचार भी करती है।
श्री ललिता माता की आरती के गायन से भक्तों को मानसिक शांति, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। यह आरती भक्तों को अपनी आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ने और देवी ललिता के अनुग्रह से अपने जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा देती है।
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|| श्री ललिता माता की आरती ||
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी ।
राजेश्वरी जय नमो नमः ॥
करुणामयी सकल अघ हारिणी ।
अमृत वर्षिणी नमो नमः ॥
जय शरणं वरणं नमो नमः ।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी ॥
अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी ।
खल-दल नाशिनी नमो नमः ॥
भण्डासुर वधकारिणी जय माँ ।
करुणा कलिते नमो नम: ॥
जय शरणं वरणं नमो नमः ।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी ॥
भव भय हारिणी, कष्ट निवारिणी ।
शरण गति दो नमो नमः ॥
शिव भामिनी साधक मन हारिणी ।
आदि शक्ति जय नमो नमः ॥
जय शरणं वरणं नमो नमः ।
जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः ॥
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी ।
राजेश्वरी जय नमो नमः ॥
|| Shri Lalita Mata Ki Aarti ||
Shri Maateshvari jay Tripureshvari,
Raajeshvari jay namo namaḥ.
Karuṇāmayi sakal agh hāriṇi,
Amṛita varshīni namo namaḥ.
Jay sharaṇam varaṇam namo namaḥ,
Shri Maateshvari jay Tripureshvari.
Ashubh vināshini, sab sukh dāyini,
Khal-dal nāshini namo namaḥ.
Bhandaasur vadhakārini jay Maa,
Karunā kalite namo namaḥ.
Jay sharaṇam varaṇam namo namaḥ,
Shri Maateshvari jay Tripureshvari.
Bhav bhay hāriṇi, kasht nivāriṇi,
Sharan gati do namo namaḥ.
Shiv bhāminī sādhak man hāriṇi,
Ādi shakti jay namo namaḥ.
Jay sharaṇam varaṇam namo namaḥ,
Jay Tripur Sundari namo namaḥ.
Shri Maateshvari jay Tripureshvari,
Raajeshvari jay namo namaḥ.
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श्री ललिता माता की आरती के लाभ
श्री ललिता माता की आरती का पाठ और उनकी पूजा के कई लाभ होते हैं जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यह आरती देवी ललिता की महिमा का गान करती है और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावशाली तरीका है। निम्नलिखित लाभ इस आरती के नियमित पाठ और पूजा से प्राप्त हो सकते हैं:
आध्यात्मिक उन्नति: श्री ललिता माता की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक स्थिति में सुधार होता है। देवी ललिता ज्ञान, भक्ति और शक्ति की देवी हैं, और उनकी आरती से भक्त आत्मा को शुद्ध करने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर होते हैं। यह आरती भक्ति और विश्वास को प्रबल करती है, जिससे भक्त की आध्यात्मिक यात्रा में गहरी अनुभूति होती है।
मानसिक शांति: आरती के दौरान देवी ललिता की स्तुति और मंत्रों का जाप मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है। यह भक्तों के मन को शांति प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करता है। आरती की मधुर ध्वनि और भक्ति पूर्ण वातावरण से मन में स्थिरता और संतुलन की अनुभूति होती है|
सकारात्मक ऊर्जा का संचार: ललिता माता की आरती से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। देवी ललिता की पूजा से घर और वातावरण में सकारात्मकता का प्रवाह होता है, जिससे परिवारिक जीवन में सामंजस्य और खुशी बनी रहती है। यह आरती जीवन में सकारात्मकता और आनंद को आकर्षित करती है।
वित्तीय समृद्धि: देवी ललिता को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी आरती से धन-धान्य की प्राप्ति और वित्तीय समृद्धि की दिशा में भी सहायता मिलती है। भक्तों की आर्थिक स्थिति में सुधार और जीवन में धन के प्रवाह में वृद्धि हो सकती है।
स्वास्थ्य लाभ: नियमित रूप से आरती का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। मानसिक शांति और संतुलन के कारण, तनाव और चिंता कम होती है, जो स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। आरती के माध्यम से प्राप्त आध्यात्मिक संतोष और शांति भी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
समस्याओं का समाधान: देवी ललिता की आरती कठिन समय और समस्याओं में सहारा बन सकती है। भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनकर देवी ललिता उनकी समस्याओं का समाधान करती हैं। यह आरती संकटों और मुश्किलों का सामना करने में ताकत और संबल प्रदान करती है।
आध्यात्मिक संरक्षण: देवी ललिता की आरती से भक्तों को आध्यात्मिक संरक्षण प्राप्त होता है। देवी के आशीर्वाद से जीवन में सुरक्षा और रक्षा का अनुभव होता है। यह आरती आत्मरक्षा और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव में सहायक होती है।
कुलीनता और सम्मान: देवी ललिता की पूजा और आरती से भक्तों को कुलीनता और सामाजिक सम्मान प्राप्त होता है। यह आरती समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ाने में भी सहायक होती है। देवी के आशीर्वाद से व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सम्मान प्राप्त होता है।
संबंधों में सुधार: आरती का नियमित पाठ और पूजा परिवार और संबंधों में सुधार लाने में मददगार होती है। यह आरती परिवारिक सौहार्द और एकता को बढ़ावा देती है। देवी ललिता की कृपा से रिश्तों में सामंजस्य और प्रेम का संचार होता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण में वृद्धि: ललिता माता की आरती से भक्तों का आध्यात्मिक दृष्टिकोण विस्तृत और गहरा होता है। यह आरती आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समझने और आत्मा की गहराई को जानने में मदद करती है। भक्तों को जीवन के उच्चतम उद्देश्य को पहचानने में सहायता मिलती है।
आत्मसमर्पण और भक्ति में वृद्धि: इस आरती के माध्यम से भक्तों के दिल में माता के प्रति आत्मसमर्पण और भक्ति की भावना प्रबल होती है। यह आरती भक्तों को माता के प्रति अधिक समर्पित और समर्पित बनाती है, जिससे भक्ति में गहराई और मजबूती आती है।
समाजिक और धार्मिक समर्पण: ललिता माता की आरती समाज में धार्मिक जागरूकता और समर्पण को बढ़ावा देती है। यह आरती समाज में धार्मिक उत्सवों और अनुष्ठानों के महत्व को समझाने में मदद करती है और धार्मिक समर्पण की भावना को बढ़ाती है।
इन लाभों के माध्यम से श्री ललिता माता की आरती भक्तों के जीवन को बेहतर बनाती है और उन्हें आत्मिक, मानसिक और भौतिक समृद्धि की ओर अग्रसर करती है। नियमित पूजा और आरती के माध्यम से भक्त देवी ललिता की अनंत कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जो उनके जीवन को खुशहाल और संतुलित बनाता है।
FAQs – श्री ललिता माता की आरती (Shri Lalita Mata Ki Aarti)
श्री ललिता देवी कौन है?
श्री ललिता देवी, हिंदू धर्म की प्रमुख देवी हैं और उन्हें त्रिमूर्ति की शक्तियों में से एक माना जाता है। वे शक्ति और सौंदर्य की देवी हैं, जिनका संबंध आदिशक्ति और मातृशक्ति से है। श्री ललिता देवी को “ललिता त्रिपुरसुंदरी” के नाम से भी जाना जाता है और वे प्रमुख रूप से शाक्त संप्रदाय में पूजा जाती हैं।
माता ललिता का दूसरा नाम क्या है?
माता ललिता का दूसरा नाम “ललिता त्रिपुरसुंदरी” है। उन्हें “श्री विद्या” और “रक्षा” जैसे नामों से भी पूजा जाता है, जो उनके विभिन्न रूपों और शक्तियों को दर्शाते हैं।
ललिता बेन कौन है?
“ललिता बेन” एक सामान्य हिंदी शब्द नहीं है, लेकिन यदि आप ललिता देवी की बात कर रहे हैं, तो यह एक सांस्कृतिक या स्थानीय संदर्भ हो सकता है। इस संदर्भ में, ललिता बेन का मतलब किसी व्यक्तिगत या स्थानीय नाम से हो सकता है जो देवी ललिता से जुड़ा हो।
ललिता देवी की देवी कौन है?
ललिता देवी स्वयं ही एक प्रमुख देवी हैं और उनकी पूजा में वे एक आदर्श रूप होती हैं। वे देवी पार्वती, लक्ष्मी, और सरस्वती के तत्वों को सम्मिलित करती हैं। इसलिए, ललिता देवी को आदिशक्ति, जो सृजन, पालन, और संहार की शक्ति की प्रतीक होती हैं, के रूप में पूजा जाता है।
ललिता देवी शिव पर क्यों बैठती है?
श्री ललिता देवी शिव पर बैठती हैं क्योंकि वे शक्ति और शिव की अद्वितीय एकता को दर्शाती हैं। यह प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि शक्ति (शक्ति) और शिव (पुरुष) का संयोजन सृष्टि का मूल आधार है। ललिता देवी की शिव पर स्थिति यह भी दर्शाती है कि शक्ति शिव के अर्धांगिनी और उनसे अभिन्न रूप से जुड़ी होती है।