गंगा चालीसा (Ganga Chalisa Pdf) का अपना एक विशिष्ट महत्व है। माँ गंगा को पवित्रता, शुद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। उनकी भक्ति और आराधना से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। गंगा चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक संतोष और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
गंगा चालीसा में माँ गंगा की महिमा, उनकी लीलाओं और भक्तों के प्रति उनकी असीम कृपा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा के नियमित पाठ से जीवन के सभी कष्ट और पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। माँ गंगा की चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का संचार होता है और उसे पवित्रता और शुद्धि की अनुभूति होती है। आप लक्ष्मी चालीसा के लिए क्लिक करें
गंगा माँ की आराधना से सभी प्रकार की बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं। यह चालीसा भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करती है। माँ गंगा के आशीर्वाद से भक्तों को हर प्रकार के संकट से मुक्ति मिलती है और वे अपने जीवन में उन्नति और प्रगति करते हैं। आप सरस्वती चालीसा के लिए क्लिक करें
बोलो: हर हर गंगे!
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|| गंगा चालीसा ||
॥दोहा॥
जय जय जय जग पावनी,
जयति देवसरि गंग ।
जय शिव जटा निवासिनी,
अनुपम तुंग तरंग ॥
॥चौपाई॥
जय जय जननी हराना अघखानी ।
आनंद करनी गंगा महारानी ॥
जय भगीरथी सुरसरि माता ।
कलिमल मूल डालिनी विख्याता ॥
जय जय जहानु सुता अघ हनानी ।
भीष्म की माता जगा जननी ॥
धवल कमल दल मम तनु सजे ।
लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई ॥ ४ ॥
वहां मकर विमल शुची सोहें ।
अमिया कलश कर लखी मन मोहें ॥
जदिता रत्ना कंचन आभूषण ।
हिय मणि हर, हरानितम दूषण ॥
जग पावनी त्रय ताप नासवनी ।
तरल तरंग तुंग मन भावनी ॥
जो गणपति अति पूज्य प्रधान ।
इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना ॥ ८ ॥
ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी ।
श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि ॥
साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो ।
गंगा सागर तीरथ धरयो ॥
अगम तरंग उठ्यो मन भवन ।
लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन ॥
तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता ।
धरयो मातु पुनि काशी करवत ॥ १२ ॥
धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी ।
तरनी अमिता पितु पड़ पिरही ॥
भागीरथी ताप कियो उपारा ।
दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा ॥
जब जग जननी चल्यो हहराई ।
शम्भु जाता महं रह्यो समाई ॥
वर्षा पर्यंत गंगा महारानी ।
रहीं शम्भू के जाता भुलानी ॥ १६ ॥
पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो ।
तब इक बूंद जटा से पायो ॥
ताते मातु भें त्रय धारा ।
मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा ॥
गईं पाताल प्रभावती नामा ।
मन्दाकिनी गई गगन ललामा ॥
मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी ।
कलिमल हरनी अगम जग पावनि ॥ २० ॥
धनि मइया तब महिमा भारी ।
धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी ॥
मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी ।
धनि सुर सरित सकल भयनासिनी ॥
पन करत निर्मल गंगा जल ।
पावत मन इच्छित अनंत फल ॥
पुरव जन्म पुण्य जब जागत ।
तबहीं ध्यान गंगा महं लागत ॥ २४ ॥
जई पगु सुरसरी हेतु उठावही ।
तई जगि अश्वमेघ फल पावहि ॥
महा पतित जिन कहू न तारे ।
तिन तारे इक नाम तिहारे ॥
शत योजन हूं से जो ध्यावहिं ।
निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं ॥
नाम भजत अगणित अघ नाशै ।
विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे ॥ २८ ॥
जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना ।
धर्मं मूल गंगाजल पाना ॥
तब गुन गुणन करत दुख भाजत ।
गृह गृह सम्पति सुमति विराजत ॥
गंगहि नेम सहित नित ध्यावत ।
दुर्जनहूं सज्जन पद पावत ॥
उद्दिहिन विद्या बल पावै ।
रोगी रोग मुक्त हवे जावै ॥ ३२ ॥
गंगा गंगा जो नर कहहीं ।
भूखा नंगा कभुहुह न रहहि ॥
निकसत ही मुख गंगा माई ।
श्रवण दाबी यम चलहिं पराई ॥
महं अघिन अधमन कहं तारे ।
भए नरका के बंद किवारें ॥
जो नर जपी गंग शत नामा ।
सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा ॥ ३६ ॥
सब सुख भोग परम पद पावहीं ।
आवागमन रहित ह्वै जावहीं ॥
धनि मइया सुरसरि सुख दैनि ।
धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी ॥
ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा ।
सुन्दरदास गंगा कर दासा ॥
जो यह पढ़े गंगा चालीसा ।
मिली भक्ति अविरल वागीसा ॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
नित नए सुख सम्पति लहैं, धरें गंगा का ध्यान ।
अंत समाई सुर पुर बसल, सदर बैठी विमान ॥
संवत भुत नभ्दिशी, राम जन्म दिन चैत्र ।
पूरण चालीसा किया, हरी भक्तन हित नेत्र ॥
Ganga Chalisa PDF (in English)
॥Doha ॥
Jay jay jay jag pyaaree,
Jayati devasaari gange ॥
Jay shiv jata nivaasinee,
Adbhut tung tarang ॥
॥Chaupaee ॥
Jay jay jananee haraana aghaakhaanee ॥
Aanand karan mahaaraanee ganga ॥
Jay bhaageerathee surasari maata ॥
Kalimal mool daalinee sangrahaalaya ॥
Jay jay jahaanu suta agh hanani ॥
Bheeshm kee maata jag jananee ॥
Dhaval kamal dal mam tanu saje ॥
Lakkhee shat sharad chandr chhavi laajai ॥ 4 ॥
Vahaan makar vikram shuchi sohane ॥
Amiya kalash kar lakhee man mohen ॥
Jadita ratna kanchan aabhooshan ॥
Hiy mani har, haranitam dooshan ॥
Jag poori tray taap naasaavanee ॥
Taar tarang tung man bhaavani ॥
Jo ganapati ati poojy pradhaan ॥
Ihoon te pratham ganga asnaana ॥ 8 ॥
Brahma kamandal vaasinee devee ॥
Shree prabhu pad pankaj sukh sevi ॥
Mitr sahastr saagar sut taraayo ॥
Ganga saagar teerath dharayo ॥
Agam tarang uthyo man bhavan ॥
Lakkhee teerath haridvaar suhaavan ॥
Teerath raaj prayaag akshaiveta ॥
Dharayo maatu puni kaashee karavat ॥ 12 ॥
Dhanee dhanee surasaari svarg kee disha ॥
Tarani amita pitu pad pirahee ॥
Bhaageerathee taap kiyo upaara ॥
Diyo brahm tav surasari dhaara ॥
Jab jag jananee chalyo haarai ॥
Shambhu jaat mahan rahyo samaay ॥
Varsha paryant ganga mahaaraanee ॥
Rath shambhoo ke bhorani ॥ 16 ॥
Puni bhaageerathee shambhuhin dhyaano ॥
Tab ik boom jata se paayo ॥
Taate maatu bhen tray dhaara ॥
Mrityu lok naabha aru paataara ॥
Paataal prabhaavati naama ॥
Mandaakinee gaee gagan lalaama ॥
Mrityu lok garbhapaat suhaavanee ॥
Kalimal harani agam jag pyaaree ॥ 20 ॥
Dhani maiya tab mahima bhaaree ॥
Dharman dhur kaalee kalush kuthaari ॥
Maatu prabhaavati dhani mandaakinee ॥
Dhani sur sarit sakal bhayanaasini ॥
Pan karat nirmal ganga jal ॥
Paavat man ichchhuk anant phal ॥
Poorv janm puny jab jagat ॥
Tabaheen dhyaan ganga mahan laagat ॥ 24 ॥
Jay pagu surasaree uthaavahee ॥
Tai jagi ashvamegh phal paavahi ॥
Maha patit jin kaahoo na taare ॥
Tin taare ik naam tihaare ॥
Shat yojana hoon se jo dhyaanahin ॥
Nishchay vishnu lok pad paavaheen ॥
Naam bhajat aganit agh naashaay ॥
Vimal gyaan bal buddhi prakaashe ॥ 28 ॥
Jimee dhan mool dharman aru daana ॥
Dharman mool gangaajal paana ॥
Tab gun gunan karat duhkh bhajat ॥
Grah grah sampati sumati viraajat ॥
Gangaahi nem sahit nit dhyaavat ॥
Durjan hoon sajjan pad paavat ॥
Uddihin vidya bal paavai ॥
Rogee rog mukt hove jaavai ॥ 32 ॥
Ganga ganga jo nar kahahin ॥
Bhookha nanga kabuhuh na rahahin ॥
Nikasat hee mukh ganga maee ॥
Shravan daabee yam chalahin paraee ॥
Mahan aghin adhaman kahan taare ॥
Bhe hela ke band kivaaren ॥
Jo nar jap gang shat naama ॥
Sakal siddhi poorn hvai kaam ॥ 36 ॥
Sab sukh bhog param pad paavaheen ॥
Asaadhy anupayukt hvai jaavahin ॥
Dhani maiya surasari sukh daayani ॥
Dhani dhani teerath raaj trivenee ॥
Kaakara graam rshi durvaasa ॥
Sundaradaas ganga kar daasa ॥
Jo isane ganga chaaleesa padhee ॥
Mili bhakti aviral vaageesa ॥ 40 ॥
॥ Doha ॥
Nit naye sukh sampati lahen, dharen ganga ka dhyaan ॥
Ant samaee sur pur basal, sadar aavaaseey vimaan ॥
Sanvat bhoot nabhadishee, raam janm divas chaitr ॥
Puraan chaaleesa, hari bhaktan hit utsav ॥
Ganga Chalisa Benefits
गंगा चालीसा के लाभ
गंगा चालीसा (Ganga Chalisa Pdf) गंगा नदी की महिमा और उसके पवित्रता का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण भजन है। यह चालीसा श्री गंगा देवी की स्तुति में रची गई है और इसे पढ़ने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। नीचे गंगा चालीसा के लाभों का विस्तार से वर्णन किया गया है:
आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून:
गंगा चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और सुकून की प्राप्ति होती है। यह मन को स्थिरता प्रदान करता है और चिंताओं को दूर करता है। नियमित पाठ करने से ध्यान केंद्रित होता है और आत्मिक बल में वृद्धि होती है।
पापों का नाश:
गंगा नदी को पापों का नाश करने वाली माना गया है। गंगा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पा सकता है। यह पवित्रता का स्रोत है और आत्मा की शुद्धि में सहायक है।
स्वास्थ्य लाभ:
गंगा चालीसा के नियमित पाठ से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। यह सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करता है। इसके अलावा, गंगा नदी के जल का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।
सुख और समृद्धि:
गंगा चालीसा का पाठ करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है। यह परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ाता है और जीवन में खुशहाली लाता है। गंगा देवी की कृपा से धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आध्यात्मिक उन्नति:
गंगा चालीसा का नियमित पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सत्संग, साधना और सेवा का महत्व बढ़ता है।
संकटों का निवारण:
गंगा चालीसा का पाठ करने से जीवन के संकटों का निवारण होता है। यह कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करने में सहायक है। गंगा देवी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विघ्नों का समाधान होता है और जीवन सरल और सुगम बनता है।
मोक्ष की प्राप्ति:
गंगा नदी को मोक्षदायिनी कहा गया है। गंगा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कराती है और आत्मा को परमात्मा के साथ एकाकार करती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति:
गंगा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। यह इच्छाओं और अभिलाषाओं को पूरा करने में सहायक है। गंगा देवी की कृपा से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
गंगा चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है। इससे व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
अध्यात्मिक साधना में सहायक:
गंगा चालीसा अध्यात्मिक साधना में भी सहायक होती है। यह ध्यान और प्रार्थना में एकाग्रता बढ़ाती है और साधना को सफल बनाती है। इससे आत्मा की शुद्धि होती है और व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
पारिवारिक शांति:
गंगा चालीसा का पाठ करने से परिवार में शांति और सौहार्द का वातावरण बनता है। यह परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और समझ को बढ़ावा देता है। इससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
जल संकट से मुक्ति:
गंगा चालीसा का पाठ करने से जल संकट से मुक्ति मिलती है। गंगा देवी की कृपा से वर्षा होती है और जल का संरक्षण होता है। इससे खेती और अन्य कार्यों में जल की आपूर्ति होती है और जीवन समृद्ध बनता है।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व:
गंगा चालीसा का पाठ करने से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की भी समझ होती है। यह व्यक्ति को अपनी संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से जोड़ता है। इससे व्यक्ति में धार्मिक आस्था और विश्वास बढ़ता है।
प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा:
गंगा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति प्रेम और संवेदना बढ़ती है। यह व्यक्ति को गंगा नदी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए प्रेरित करता है। इससे पर्यावरण की शुद्धता बनी रहती है और पृथ्वी का संतुलन कायम रहता है।
नकारात्मकता से मुक्ति:
गंगा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है। यह बुरी आदतों, बुरे विचारों और नकारात्मक प्रवृत्तियों को दूर करता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
आत्मविश्वास में वृद्धि:
गंगा चालीसा का पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है और उसे जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है। इससे व्यक्ति के आत्म-सम्मान में भी वृद्धि होती है।
ध्यान और एकाग्रता:
गंगा चालीसा का पाठ करने से ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह मानसिक स्थिरता और शांति प्रदान करता है। इससे व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और जीवन में संतुलन बना रहता है।
समर्पण और सेवा भावना:
गंगा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में समर्पण और सेवा भावना का विकास होता है। यह व्यक्ति को निस्वार्थ सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इससे समाज और राष्ट्र की सेवा में योगदान करने की प्रेरणा मिलती है।
आध्यात्मिक गुरु की कृपा:
गंगा चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक गुरु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्यक्ति को अपने गुरु की शिक्षाओं का पालन करने और उन्हें समझने में सहायता करता है। इससे व्यक्ति का आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त होता है।
मानसिक तनाव से मुक्ति:
गंगा चालीसा का पाठ करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। यह मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। इससे व्यक्ति को अपने जीवन में तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है और वह खुशहाल जीवन जीता है।
गंगा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को संवारने और उसे सही दिशा में अग्रसर करने का माध्यम भी है। गंगा देवी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता का वास होता है। अतः नियमित रूप से गंगा चालीसा का पाठ करना चाहिए और इसके अद्भुत लाभों का अनुभव करना चाहिए।
FAQS – गंगा चालीसा (Ganga Chalisa PDF)
गंगा मैया का मंत्र क्या है?
गंगा मैया का प्रसिद्ध मंत्र है:
“ॐ श्रीम ह्रीं क्लीं स्वाहा,
ॐ श्रीम ह्रीं क्लीं स्वाहा,
ॐ श्रीम ह्रीं क्लीं स्वाहा।”
इस मंत्र का जाप करने से गंगा मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है और समस्त पापों का नाश होता है।
गंगा का पाठ कैसे करते हैं?
गंगा का पाठ करने के लिए सबसे पहले पवित्र भावनाओं के साथ गंगा जी का ध्यान करें। फिर “गंगा चालीसा” या “गंगा स्तोत्र” का पाठ करें। इस दौरान गंगा जल का संकल्प लेना, दीप जलाना और पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है।
गंगा जी का असली नाम क्या है?
गंगा जी का असली नाम “भागीरथी” है। यह नाम राजा भगीरथ के नाम पर पड़ा, जिन्होंने गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाने के लिए कठोर तप किया था।
गंगा किसका अवतार है?
गंगा देवी को भगवान विष्णु के चरणों से उत्पन्न माना जाता है, और वे भगवान शिव की जटाओं में स्थित हैं। उन्हें धरती पर लाने के लिए राजा भगीरथ ने तप किया था, जिससे उन्हें भागीरथी भी कहा जाता है।
गंगा माता को कैसे प्रसन्न करें?
गंगा माता को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन गंगा मैया का ध्यान करें, गंगा जल से स्नान करें, और उनकी आरती करें। इसके अलावा, गंगा नदी को स्वच्छ रखने का संकल्प लें और किसी भी प्रकार की गंदगी या अपवित्रता से बचें। गंगा के किनारे पर पूजा-अर्चना करना और दीपदान करना भी शुभ माना जाता है।